MP News: संपत्ति खरीद-बिक्री के लिए अब कार्यालयों के चक्कर लगाने की जरुरत नहीं, फेसलेस रजिस्ट्री की सुविधा मिलेगी

MP News: प्रदेश में अभी गुना, रतलाम, हरदा, डिंडोरी में संपदा 2.0 के पायलट प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. यहां ठीक से नई व्यवस्था प्रारंभ किए जाने के बाद अब पूरे प्रदेश में लागू करने के लिए तैयारी की जा रही है.
Now you will be able to generate the deed yourself by uploading the documents online, calculating the stamp value.

अब खुद ऑनलाइन दस्तावेज अपलोड कर, स्टाम्प वैल्यू कैलकुलेट करके खुद ही डीड जेनरेट कर सकेंगे.

MP News: संपत्ति खरीदी-बिक्री के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाने के साथ ही दलालों के चंगुल में फंसने सहित कई अन्य तरह की परेशानियों का अब सामना नहीं करना पड़ेगा. पंजीयन विभाग जल्द ही रीवा सहित अन्य जिलों में संपदा-2.0 पोर्टल के जरिए रजिस्ट्री की सुविधा प्रारंभ करने जा रहा है. इसमें एक बड़ी सुविधा यह मिलेगी कि जमीन या अन्य संपत्ति की खरीदी या बिक्री के लिए नहीं रजिस्ट्री कार्यालय में जाना पड़ेगा. इसमें फेसलेस रजिस्ट्री कराए जाने का प्रावधान रखा गया है. आधार एवं मोबाइल नंबर के जरिए संबंधित व्यक्ति की तस्दीक कराई जाएगी.

जिस भूमि या भवन की बिक्री की जाएगी उसका फोटो- वीडियो संपदा ऐप के माध्मय से अपलोड करना होगा. यह फोटो- वीडियो उसी स्थान से अपलोड करना पड़ेगा जहां पर संपत्ति होगी. इससे आटोमेटिक सिस्टम के जरिए कलेक्टर गाइडलाइन में उस क्षेत्र की भूमि के लिए निर्धारित दर का निर्धारण हो जाएगा. इससे कई तरह के फायदे होंगे. अब तक दलालों द्वारा हेराफेरी कर मनमानी रेट बताकर रजिस्ट्री की प्रक्रिया से जुड़ा शुल्क वसूला जा रहा है. साथ ही उन लोगों को भी फायदा होगा जो दूसरे शहरों में रहते हैं और उन्हें संपत्ति बेचने या खरीदने कई बार चक्कर लगाना पड़ता है. नई व्यवस्था 15 अगस्त से प्रारंभ होने की संभावना सरकार के स्तर पर बताई गई है. जिला पंजीयन विभाग के अधिकारियों को भी अलर्ट किया गया है.

दलालों का कम होगा दखल

रीवा में संपत्ति की खरीदी-बिक्री में दलालों का जोर सबसे अधिक होता है. जिसकी वजह से कई बार विवाद भी हो चुके हैं. नई व्यवस्था में डिजिलटी रूप से पंजीबद्ध दस्तावेज वाट्सएप व ईमेल से तत्काल संबंधित व्यक्ति को मिल जाएंगे. प्रॉपर्टी मोर्टगेज रखने वालों को पहले इसका फायदा मिलेगा. खुद ऑनलाइन दस्तावेज अपलोड कर, स्टाम्प वैल्यू कैलकुलेट करके खुद ही डीड जेनरेट कर सकेंगे. अधिकांश लोग स्वयं यह प्रक्रिया कर सकेंगे या फिर किसी सर्विस प्रोवाइडर का सहयोग ले सकेंगे. अन्य दलाल जो गुमराह करते रहे हैं उससे राहत मिलेगी. एक फायदा यह भी होगा कि लोग ई-स्टांप शुल्क का भुगतान खुद कर सकेंगे.

प्रापर्टी आईडी नहीं बना पाया नगर निगम, आएंगी दिक्कतें

सरकार ने संपदा के नए वर्जन पर काम करने पर पूरा जोर दे रखा है. अधिकारियों से बताया गया है कि मुख्यमंत्री इसकी लांचिंग की तारीख तय करेंगे. एक ओर नई व्यवस्था लागू होने जा रही है, वहीं रीवा नगर निगम अभी हर प्रापर्टी की आईडी नहीं बना पाया है. संपदा एप के जरिए रजिस्ट्री तभी आसान होगी, जब हर भूमि और भवन की प्रापर्टी आईडी बनकर तैयार हो जाएगी. बताया जा रहा है कि किसी संपत्ति की आईडी नए सिरे से बनवाने में दो से तीन सप्ताह तक का समय लग जाता है, ऐसे में लोगों के सामने उलझनें और बढ़ सकती हैं. हालांकि इस संबंध में नगर निगम आयुक्त ने कुछ दिन पहले ही बैठक लेकर अधिकारियों को यह कार्य तेजी से कराने का निर्देश दिया है. वहीं रजिस्ट्री कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती दौर में मुख्तारनामा और वसीयत जैसे कार्यों में संपदा का उपयोग किया जाएगा.

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पायलट प्रोजेक्ट कई जिलों में चल रहा

प्रदेश में अभी गुना, रतलाम, हरदा, डिंडोरी में संपदा 2.0 के पायलट प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. यहां ठीक से नई व्यवस्था प्रारंभ किए जाने के बाद अब पूरे प्रदेश में लागू करने के लिए तैयारी की जा रही है. गत दिवस अधिकारियों की बैठक में इसकी जानकारी दी गई है कि स्वतंत्रता दिवस पर संपदा के नए वर्जन में काम शुरू होगा. जानकारी मिली है कि संपदा 2.0 में रजिस्ट्री के दस्तावेज डीमैट दस्तावेज में परिवर्तित हो जाएंगे और फेसलेस रजिस्ट्री होगी.

होंगे यह बदलाव

संपत्ति की रजिस्ट्री कराने में अभी दो गवाह की जरूरत होती है, लेकिन संपदा-2 में गवाह की जरूरत नहीं पड़ेगी। आधार से फोटो व नाम लिया जाएगा। संपत्ति आधार से भी लिंक हो जाएगी.

हाउसिंग बोर्ड, उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन, एमएसएमई को रजिस्ट्रार के अधिकार मिलेंगे, ताकि प्रॉपर्टी को बैंक में बंधक बनाने में परेशानी न हो.

प्रॉपर्टी की आइडी होने से स्टांप शुल्क की चोरी रुकेगी। क्योंकि सेटेलाइट से संपत्ति दिख जाएगी. कितने मंजिल मकान बना है या प्लॉट है. सडक पर है या सडक से हटकर संपत्ति है.

एक क्लिक पर संपत्ति की रजिस्ट्री की जानकारी मिल जाएगी. इससे बेनामी संपत्ति पर शिकंजा कसने में मदद मिलेगी.

रजिस्ट्री के बाद नगर निगम को मैसेज जाएगा, जिससे नामांतरण आसान होगा. शुल्क की गणना भी होगी.

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