MP में भारत बंद का मिला-जुला असर, ग्वालियर में स्कूलों की छुट्टी लेकिन भोपाल समेत कई जिलों में स्कूल खुले, पुलिस अलर्ट मोड पर
Bharat Bandh: सुप्रीम कोर्ट के SC-ST आरक्षण से जुड़े फैसले के खिलाफ दलित संगठनों ने 21 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में अनुसूचित जाति और जनजातियों के भीतर उप-श्रेणियां बनाने की अनुमति दी गई है, जिसे लेकर दलित संगठनों में गहरी नाराजगी है. मध्य प्रदेश समेत देशभर में इस बंद का असर देखने को मिल रहा है. हालांकि देश की राजधानी दिल्ली में इस बंद का असर देखने को नहीं मिला. यहां मार्केट और दुकाने खुली हुई है.
प्रदेश में बंद की स्थिति
वहीं भारत बंद का एमपी के ग्वालियर में बड़ा असर दिखा, जहां कई स्कूलों में छुट्टी की घोषणा कर गई है. एतिहात के तौर जिला प्रशासन ने पहले से ही धारा 144 लागू कर दी थी, और पुलिस ने सुरक्षा की कमान संभाल ली है. दूसरी ओर, भोपाल, इंदौर और उज्जैन जैसे बड़े शहरों में स्कूल खुले हुए हैं, और वहां जनजीवन सामान्य बना हुआ है. यहां बंद का असर कम दिख रहा है.
#WATCH मध्य प्रदेश: ग्वालियर में भारत बंद को लेकर पुलिस के पुख़्ता इंतज़ाम देखे गए।
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने SC-ST आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध और इसे पलटने की मांग को लेकर भारत बंद का आह्वान किया है। pic.twitter.com/61w1DHQdkQ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 21, 2024
अन्य जिलों की स्थिति
भिंड में भारत बंद का असर मामूली दिखाई दिया, यहां दुकानें खुली रही और यातायात भी सामान्य रहा. उज्जैन में मिला-जुला असर देखा गया है. वहीं, डिंडौरी में कुछ दुकानों के बंद होने के बावजूद स्कूल और कॉलेज खुले हुए हैं. वहीं मंदसौर जिले में भी बंद का मिला जुला असर देखा जा रहा हैं. मंदसौर शहर सहित जिले के अन्य नगरों मे बंद का ऐसा ही नजारा है. आवश्यक सेवाएं जारी है. और अब दलित आदिवासी संगठन से जुड़े लोग वाहन रैली के साथ शहर में बंद का निवेदन करने निकल पड़े हैं.
फैसले का विरोध कर रहे लोगों की यह मांग
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में भारत बंद का आह्वान करने वालों की कुछ मांगे हैं. इनके अनुसार, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए ‘न्याय और समानता’, आरक्षण पर संसद का नया अधिनियम, केंद्र सरकार की नौकरियों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए जाति आधारित डेटा जारी करना; उच्च न्यायपालिका में इन समूहों के लिए 50% प्रतिनिधित्व का लक्ष्य; केंद्र/राज्य सरकार की नौकरियों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में बैकलॉग रिक्तियों को भरना.
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बंद को मिला नेताओं का समर्थन
इस भारत बंद को कई नेताओं का समर्थन भी मिल रहा है. समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज यादव और धार के कांग्रेस विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने बंद का समर्थन किया है. पुलिस-प्रशासन पूरी तरह अलर्ट पर है, और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने की अपील की गई है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराजगी क्यों?
NACDAOR (नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गनाइजेशन) ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध करते हुए कहा है कि यह फैसला आरक्षण के मौजूदा ढांचे को कमजोर करता है. संगठन ने मांग की है कि सरकार इस फैसले को अस्वीकार करे और संविधान के तहत एक नया केंद्रीय कानून बनाए, जिससे न्यायिक समीक्षा से बचा जा सके.
पुलिस प्रशासन अलर्ट मोड पर
बंद के दौरान संभावित हिंसा की आशंका के चलते पुलिस ने सभी जिलों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत बंद के आह्वान के बावजूद सरकारी दफ्तर, बैंक, स्कूल, कॉलेज, पेट्रोल पंप काम करेंगे, इसके अलावा, मेडिकल, पीने का पानी, सार्वजनिक परिवहन, रेल सेवाएं और बिजली जैसी आपातकालीन सेवाएं भी जारी रहेंगी.