MP News: रीवा संभाग में स्कूलों की हालत जर्जर, आंकड़े बेहद चौंकाने वाले, अधिकारी मौन
MP News: एक ओर जहां स्कूली शिक्षा और सुविधा को लेकर बड़ी-बड़ी बातें और घोषणाएं की जाती हैं. शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस खोले गये हैं. वहीं दूसरी ओर रीवा संभाग के विद्यालय जहां आज भी बच्चे जर्जर भवनों के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं .कुछ ऐसे विद्यालय हैं जहां पहुंचना ही बेहद मुश्किल हो जाता है, बरसात के दिनों में यह मुश्किल कहीं ज्यादा हो जाती है. इसके अलावा स्थिति ऐसी है कि भवन की छत टूटकर नीचे फर्श पर गिर रही है. इसके बावजूद छोटे-छोटे बच्चे इसी छत के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं.
प्रदेशभर से आ रही जर्जर स्कूलों की तस्वीरों के बाद और कई घटनाओं के बाद रीवा जिले में रीवा संभाग में ज्यादातर स्थिति खराब प्राथमिक विद्यालयों की थी. हाई स्कूल और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों की हकीकत को जानने विस्तार न्यूज़ की टीम उन स्कूलों का दौरा किया जिनकी स्थिति कुछ समय पहले खराब थी कि प्रशासन की यह दावे थे की जर्जर स्कूलों को चिन्हित किया गया है जो स्कूल जर्जर हो चुकी है और जरूरत पड़ने पर मरम्मत होगी या स्कूलों के बच्चों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा. लेकिन हालात केवल प्राथमिक या माध्यमिक विद्यालयों के नहीं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के भी खराब है जिसमें बच्चे बैठने को मजबूर हैं.
रीवा संभाग में कक्षा 9 से 12वीं तक संचालित होने वाली कुल 549 स्कूल जर्जर अवस्था में हैं जिनकी मरम्मत होना बहुत जरूरी है जिसमें रीवा में 138, सतना में 289, सीधी में 83, सिंगरौली में 49 स्कूल हैं. यह आंकड़ा अगर प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में देखा जाए तो लगभग 900 ज्यादा स्कूल जर्जर हो चुके हैं और मरम्मत की जरूरत है. प्रशासन के द्वारा तमाम निर्देश दे दिए गए हैं कि कोई भी विद्यालय ऐसी ना हो जहां पर जर्जर अवस्था में बच्चों को बैठाया जाए, जिला शिक्षा अधिकारी और समन्वयकों को यह निर्देश दे दिए गए हैं.
लेकिन इसके बाद भी कई विद्यालय ऐसे संचालित हो रहे जो बेहद जर्जर अवस्था में हैं. चिन्हित स्कूलों के बाद भी कोई कवायद जिला शिक्षा अधिकारियों के द्वारा और जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा नहीं हो रही, केवल खानापूर्ति की जा रही है.
यह तस्वीर आधुनिक भारत में जहां शिक्षा में गुणवत्ता सुधार के बड़े-बड़े दावे होते हैं, लेकिन स्कूलों की यह रास्ते स्कूलों के लिए भवन हमें चिंता में डालते हैं कि अगर यही आधुनिक भारत है यही गुणवत्ता में सुधार है शिक्षा में तो हम किसी और जा रहे हैं?