MP News: एमपी-एमएलए कोर्ट में नहीं होगी रूसिया मामले की सुनवाई, CBI की विशेष कोर्ट में ही चलेगा मामला, पूर्व विधायक जितेंद्र डागा को किया तलब
MP News: भोपाल विकास प्राधिकरण (बीडीए) के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) रहे मदन गोपाल रूसिया की डेढ़ दशक पहले ट्रेन से गिरकर हुई संदिग्ध मौत की सुनवाई सीबीआई की विशेष कोर्ट गाजियाबाद में ही होगी. मामले को एमपी-एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर करने संबंधी आवेदन खारिज कर दिया गया. प्रकरण में आरोपी एवं पूर्व विधायक जितेंद्र डागा ने कोर्ट के समक्ष यह आवेदन किया था.
पूर्व विधायक डागा ने हाल ही में कोर्ट के समक्ष आवेदन दिया था कि मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट के सुपुर्द की जाए. बुधवार 21 अगस्त को सुनवाई के बाद विशेष कोर्ट ने यह आवेदन खारिज कर दिया. मामले की पैरवी कर रहे एडवोकेट मयंक प्रजापति ने बताया कि अगली सुनवाई जिसमें कोर्ट ने डागा को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा है. भोपाल के इस हाई प्रोफाइल मामले में सुनवाई के बाद बुधवार को सीबीआई विशेष कोर्ट की मजिस्ट्रेट डॉ मंजरी रावल ने यह निर्देश दिए. प्रकरण में आईपीसी की धारा 120 बी और 193 के तहत सुनवाई चल रही है. बीडीए के दिवंगत सीईओ रूसिया के भाई ओमप्रकाश रूसिया ने बताया कि वह इस मामले में हत्या की धारा 302 को पुनः जोड़ने के लिए हाईकोर्ट के समक्ष क्रिमिनल रिवीजन फाइल करेंगे.
ये भी पढ़ें: नीमच में पेट्रोल पंप पर गाड़ियों में पेट्रोल की जगह भरा जा रहा था पानी, शिकायत मिलने पर जांच करने पहुंचे अधिकारी
2013 में सीबीआई ने लगा दी थी क्लोजर रिपोर्ट
दिलचस्प यह भी है कि 2013 में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट लगा दी थी लेकिन दिवंगत रूसिया के परिजन कोर्ट के समक्ष इसे हत्या का मामला बताते हुए न्याय की अपील करते रहे. छानबीन सीबीआई लखनऊ की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने की थी. कोर्ट ने 2021 में क्लोजर रिपोर्ट को अस्वीकृत कर दिया। कोर्ट ने डागा के खिलाफ हत्या की धारा भी जोड़ दी थी, एक साल बाद धारा 302 को हटा लिया गया.
रहे थे डागा और रूसिया
उल्लेखनीय है कि पूर्व विधायक डागा और दिवंगत सीईओ 10 सितंबर 2009 को नई दिल्ली से भोपाल एक्सप्रेस द्वारा एक साथ भोपाल लौट रहे थे तभी देर रात आगरा के पास रूसिया ट्रेन से गिर गए. अगली सुबह उनका शव बरामद हुआ. रूसिया की संदिग्ध मौत और मामले में पूर्व विधायक डागा की भूमिका को लेकर कोर्ट में कई दौर की सुनवाई हो चुकी है. मप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर उत्तरप्रदेश सरकार ने इस घटना की जांच सीबीआई को सौंप दी थी.