देश के ग्रोथ की गड्डी की धीमी रफ्तार, GDP पर RBI के अनुमान को लगा झटका, इस रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

इस महीने की शुरुआत में RBI मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने 2024-25 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.
India Q4 GDP

प्रतीकात्मक तस्वीर

GDP Growth: गोल्डमैन सैक्स ने वर्ष 2024-2025 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के पूर्वानुमान में 20 आधार अंकों की कमी की है. रिपोर्ट के मुताबिक, कैलेंडर वर्ष 2024 में देश की अर्थव्यवस्था 6.7 प्रतिशत और 2025 में 6.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. अमेरिकी बैंक के अर्थशास्त्री शांतनु सेनगुप्ता की अगुआई में 23 अगस्त को एक रिपोर्ट में लिखा है कि चालू वर्ष की डाउनग्रेडिंग में अप्रैल-जून तिमाही के दौरान सरकारी व्यय में 35 प्रतिशत साल-दर-साल (YoY) कमी शामिल है.

7.2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ने की उम्मीद में RBI

इस महीने की शुरुआत में RBI मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने 2024-25 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था. केंद्रीय बैंक ने जून में लोकसभा चुनाव 2024 के बाद पहली MPC घोषणाओं में 2024-25 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था. आरबीआई ने 2024-25 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी 7.1 प्रतिशत, दूसरी तिमाही के लिए 7.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही के लिए 7.3 प्रतिशत और चौथी तिमाही के लिए 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. यह इस वर्ष की लगातार चार तिमाहियों के लिए 7.3 प्रतिशत, 7.2 प्रतिशत, 7.3 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत के पिछले अनुमानों से थोड़ा बदला हुआ है.

इस बीच, रेटिंग फर्म ICRA ने भी अनुमान लगाया है कि सरकारी पूंजीगत व्यय में कमी और शहरी उपभोक्ता विश्वास में गिरावट के बीच देश के जीडीपी का साल-दर-साल विस्तार वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही (Q1) में छह तिमाहियों के निचले स्तर 6.0 प्रतिशत पर आ जाएगा.

यह भी पढ़ें: पहले पुतिन अब जेलेंस्की, क्या है पीएम मोदी की गले लगाने वाली नीति? विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सब बता दिया

आईसीआरए का अनुमान सबसे कम

आईसीआरए का अनुमान आरबीआई के जीडीपी अनुमान से काफी कम है. आरबीआई ने 2024-25 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान 7.1 प्रतिशत लगाया है. आईसीआरए ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में संसदीय चुनावों से संबंधित कुछ क्षेत्रों में गतिविधि में अस्थायी रूप से सुस्ती देखी गई और केंद्र और राज्यों दोनों के लिए सरकारी पूंजीगत व्यय में सुस्ती देखी गई.

 

ज़रूर पढ़ें