MP News: शिमला और कश्मीर का ग्रीन एप्पल रीवा में दे रहा फल, कृषि वैज्ञानिक सहित लोग भी हो रहे हैरान
MP News: ग्रीन एप्पल का नाम आते ही आप के दिमाग में कश्मीर और शिमला की तस्वीरें सामने आने लगती है. अपने स्वाद के लिए मशहूर ये ग्रीन एप्पल अब एमपी के रीवा में होने लगा है जिसको लेकर लोग भी हैरान है और अब इस ग्रीन एप्पल को बड़े पैमाने पर उगाने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए कृषि अनुसंधान केंद्र ने तैयारी पूरी कर ली है.
यह है पूरा मामला
रीवा से ग्रीन एप्पल की खेती को लेकर खुशखबरी मिल रही है. शिमला और कश्मीर में उगने वाले ग्रीन एप्पल को अब रीवा की मिट्टी में भी उगाने की बड़े पैमाने पर तैयारी चल रही है. दरअसल यहां के किसानों के द्वारा शिमला, कश्मीर के मशहूर ग्रीन एप्पल को जिले में उगाने के लिए चर्चा तेज हो गई. रीवा के सुंदरजा आम को जीआई टैग भी मिल चुका है. और अब रीवा के एक किसान दिलीप नामदेव ने अपने घर पर ग्रीन एप्पल उगाया है जिसे देखकर लोग भी हैरान है.
इस प्रकार हुई शुरुआत
आप को लगता होगा कि इसकी शुरुआत कैसे हुई? तो बता दें, रीवा के दिलीप नामदेव जो भारतीय सेवा से सेवानिवृत हो चुके हैं वह मनाली घूमने के लिए गए वहां से वह ग्रीन एप्पल के पांच पौधे लेकर आए, जिसमें से एक एप्पल का पौधा सूख गया, एक फला ही नहीं. वहीं, तीन पौधों में जमकर फल आ रहे हैं. एक पौधा 30 से 35 किलो फल दे रहा है. इसको लेकर किसान बेहद उत्साहित हैं. इन पेड़ों के फल देखकर लगता है, यहां का मौसम इनको सूट करेगा.
ग्रीन एप्पल के लिए भी जाना जाएगा गोविंदगढ़
सुंदरजा आम के लिए जाना जानें वाला रीवा का गोविंदगढ़ अब ग्रीन एप्पल के लिए भी जाना जाएगा. इसको लेकर स्थानीय किसान और कृषि अनुसंधान केंद्र तैयारी कर रहा है. उसकी एक खास वजह है, रीवा के एक किसान के खेत में लगे तीन पौधों ने, लगभग 120 किलो फल दिया. इसे देखकर बाकी किसान भी ग्रीन एप्पल की बाग लगाने की सोच रहे.. क्योंकि बाजार में ग्रीन एप्पल सामान्य एप्पल से दो गुना दामों पर बिकते हैं दो से ढाई सौ रुपए किलो ग्रीन एप्पल बेचे जाते हैं.
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ग्रीन एप्पल को अपनी बगिया में लगाने वाले दिलीप नामदेव का कहना है, मैं घूमने गया था मनाली, वहां से मैं चार-पांच पेड़ लेकर आया था. एक तो सूख गया, तीन में बेहतर फल आ रहे हैं. एक पेड़ में हमने 30 से 35 किलो फल का उत्पादन लिया है. अब मैं इसको बड़े लेवल पर लगाने के बारे में सोच रहा हूं.
दिलीप बताते हैं कि “पेड़ पर मैंने ऑर्गेनिक खाद डाली. मिट्टी को थोड़ा सा बदला, जहां पर मैंने पौधा लगाया था, उस जगह पर नमी बरकरार रखी इसके लिए पेड़ों के नीचे नियमित तौर पर पानी देते रहे. रीवा के कृषि अनुसंधान केंद्र कुठुलिया फार्म से समय-समय पर सलाह भी ली. नतीजे के रूप में आज हमारे बगिया में ग्रीन एप्पल जमकर फल रहे.
कृषि वैज्ञानिक उत्साहित
कृषि वैज्ञानिक अपने इलाके में एप्पल को सरवाइव करता हुआ देखकर, बेहद उत्साहित हैं. उनका कहना है, इस इलाके में ग्रीन एप्पल की खेती हो सकती है, बस ध्यान रखना है, जब एप्पल अपना कलर बदलता है, उस समय सावधानी बरतना चाहिए. पूरे पेड़ को अगर कैनोपी से ढक दिया जाए तो शिमला की तरह रीवा में भी एप्पल हो सकता है. खास तौर से उत्तर भारत के लिए एक वैरायटी तैयार की गई है, जिसका नाम है हरमन 99. इस प्रजाति का पौधा इस इलाके में किसान सफलतापूर्वक लगा सकते हैं. हरमन 99 ग्रीन एप्पल की एक ऐसी किस्म है जिसे अब धीरे-धीरे ठंडे से गर्म प्रदेशों की ओर उगाया जा रहा है और इसका एक सफलतम प्रयास रीवा के किस दिलीप नामदेव ने किया है.