इस दिन बस्तर आ रहे हैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, आदिवासियों के साथ मनाएंगे ऐतिहासिक और पारंपरिक दशहरा

Bastar Dussehra: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बस्तर दशहरा में शामिल होने के लिए आएंगे. वह 4 अक्टूबर को आएंगे और आदिवासियों के साथ ऐतिहासिक और पारंपरिक बस्तर दशहरा मनाएंगे.
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बस्तर दशहरा में शामिल होंगे अमित शाह

Amit Shah in Bastar Dussehra: बस्तर की गौरवशाली सामाजिक और सांस्कृतिक परंपरा के संरक्षण के लिए बस्तर सांसद एवं दशहरा समिति अध्यक्ष महेश कश्यप के नेतृत्व में दशहरा समिति के प्रतिनिधिमंडल मांझी-चालकी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को विश्वप्रसिद्ध बस्तर दशहरा में सम्मिलित होने के लिए आमंत्रण दिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस आमंत्रण को स्वीकर कर लिया है. वह 4 अक्टूबर को आदिवासियों के साथ ऐतिहासिक और पारंपरिक बस्तर दशहरा मनाएंगे.

पारंपरिक पगड़ी पहनाकर सम्मानित

शहरा समिति के प्रतिनिधिमंडल मांझी-चालकी ने आमंत्रण के दौरान गृह मंत्री अमित शाह को पारंपरिक पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया. साथ ही आराध्य देवी मां दंतेश्वरी की छायाचित्र भी भेंट की. गृह मंत्री अमित शाह ने स्नेहपूर्ण आमंत्रण स्वीकार करते हुए बस्तर सांसद सहित दशहरा समिति के प्रतिनिधिगण को धन्यवाद ज्ञापित कर समस्त बस्तर वासियों को विश्व प्रसिद्ध दशहरे की शुभकामनाएं दी .

यह आमंत्रण बस्तर की ऐतिहासिक और लोकतांत्रिक परंपराओं को सहेजने और आगे बढ़ाने तथा आम जनता की समस्याओं और सुझावों को सीधे सुनने की परंपरा को बनाए रखने के उद्देश्य से दिया गया.

4 अक्टूबर को बस्तर आएंगे अमित शाह

मुरिया दरबार का आयोजन 4 अक्टूबर को सिरहासार भवन में किया जाएग. इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, प्रदेश मंत्रिमंडल के मंत्री, बस्तर संभाग के जनप्रतिनिधि और देश एवं प्रदेश के अन्य गणमान्य नेता उपस्थित रहेंगे. राज्य गठन के बाद यह पहला अवसर है जब केंद्रीय गृहमंत्री बस्तर दशहरा के मुरिया दरबार में जनता की बात सीधे सुनेंगे. अमित शाह बस्तर दौरे पर 4 अक्टूबर को रहेंगे इस दौरान मिशन 2026 के तहत नक्सल उन्मूलन अभियान पर भी विस्तृत चर्चा करेंगे.

बस्तर आगमन को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा-‘नक्सलवाद से मुक्ति और शांति की ओर अग्रसर बस्तर अपने पर्व-त्योहार धूमधाम से मना रहा है. आदिवासी संस्कृति और विरासत का प्रमाण 75 दिनों तक मनाया जाने वाला बस्तर दशहरा के ‘मुरिया दरबार’ में आने का निमंत्रण मिला. इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उत्सुक हूं.’

मुरिया दरबार की ऐतिहासिक परंपरा

मुरिया विद्रोह के पश्चात 8 मार्च 1876 से मुरिया दरबार की परंपरा प्रारंभ हुई. यह दरबार जनता और तत्कालीन राजा के बीच सीधे संवाद का प्रमुख माध्यम रहा. उस समय बस्तर के गांवों के प्रमुख मांझी-चालकी अपनी समस्याएं और सुझाव दरबार में रखकर तत्कालीन शासन से समाधान प्राप्त करते थे.

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आज स्वतंत्र और लोकतांत्रिक भारत में मुरिया दरबार की परंपरा जनप्रतिनिधियों और लोकतांत्रिक पदों पर आसीन व्यक्तियों तक समस्याएं पहुंचाने का माध्यम बनी हुई है. इस बार यह अवसर और भी विशेष होगा क्योंकि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहली बार मुरिया दरबार में उपस्थित होकर मांझी चालकी द्वारा प्रस्तुत समस्याओं और सुझावों को प्रत्यक्ष रूप से सुनेंगे और उनकी गंभीरता को समझेंगे.

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