मैटरनिटी लीव छूट नहीं अधिकार… सरोगेसी और गोद लेने वाली मां में भेदभाव को High Court ने बताया गलत
हाईकोर्ट
CG News: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए मैटरनिटी लीव पर टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने कहा है कि मां बनना किसी भी महिला के जीवन की खूबसूरत घटना होती है, ऐसे में मैटरनिटी लीव) छूट नहीं, बल्कि यह महिलाओं का मौलिक अधिकार है.
मैटरनिटी लीव छूट नहीं अधिकार – हाईकोर्ट
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मैटरनिटी लीव को छूट नहीं, बल्कि यह महिलाओं का मौलिक अधिकार बताया. उन्होंने कहा कि लीव अप्रूव करते समय जैविक, सरोगेसी और गोद लेने वाली मां में भेदभाव नहीं किया जा सकता. अवकाश से वंचित करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.
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IIM में कार्यरत महिला अधिकारी की याचिका पर सुनवाई
बता दें कि रायपुर के IIM में कार्यरत महिला अधिकारी ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, इसमें बताया कि उनकी नियुक्ति IIM में साल 2013 में हुई थी. वे वर्तमान में सहायक प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं. उनकी शादी 2006 में हुई थी, लेकिन बच्चे नहीं हुए.
20 नवंबर 2023 को उन्होंने 2 दिन की नवजात बच्ची को गोद लिया. इसके बाद 180 दिन की छुट्टी के लिए आवेदन किया, लेकिन संस्थान ने 18 दिसंबर 2023 को यह कहते हुए मना कर दिया कि मानव संसाधन नीति में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. सिर्फ 60 दिन की परिवर्तित छुट्टी दी गई.