नकली शराब और ‘सत्ता का खेल’…कैसे लपेटे में आए बघेल? समझिए पूरी ABCD
भूपेश बघेल के घर ईडी की रेड!
Chhattisgarh Liquor Scam: कुछ शातिर लोग सरकारी सिस्टम में घुसकर हज़ारों करोड़ का खेल कर जाते हैं. आज हम एक ऐसे बड़े घोटाले की परतें खोलने जा रहे हैं, जिसने छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल ला दिया है, छत्तीसगढ़ शराब घोटाला सिर्फ़ आंकड़ों का जाल नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार, धांधली और सत्ता के दुरुपयोग की एक ऐसी परत-दर-परत खुली दास्तान है.
ये मामला 2019 से 2022 के बीच का है, जब कांग्रेस सरकार राज्य में थी और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री थे. आरोप है कि इस दौरान 3200 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की गई, जिससे राज्य के खज़ाने को भारी चूना लगा. प्रवर्तन निदेशालय (ED) के ताबड़तोड़ छापों और जांच ने कई बड़े नामों को कटघरे में खड़ा कर दिया है. आइए इस पूरे घोटाले की शुरुआत से लेकर आज तक के हर बड़े अपडेट, हर किरदार और हर साज़िश की कहानी विस्तार से बताते हैं.
क्या है ये शराब घोटाला और कैसे हुआ?
सोचिए, आप एक बोतल शराब ख़रीदते हैं, और उस पर लगा होलोग्राम असली लगता है, लेकिन असल में वो नकली है. यही इस घोटाले का सबसे बड़ा खेल था. छत्तीसगढ़ में शराब बेचने का काम छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (CSMCL) के ज़रिए होता है. लेकिन जांच में सामने आया कि एक शातिर गैंग ने इस पूरे सिस्टम को अपने क़ब्ज़े में ले लिया था.
ऐसे चला ये खेल
नकली होलोग्राम का जाल: शराब की बोतलों पर असली होलोग्राम की जगह नोएडा की एक कंपनी से नकली होलोग्राम बनवाकर लगाए गए. ये होलोग्राम इतनी सफ़ाई से लगाए जाते थे कि पहचान करना मुश्किल था. इन नकली होलोग्राम वाली शराब को सरकारी दुकानों से बेचा गया, और इसका पैसा सरकार के ख़ज़ाने में जाने की बजाय सिंडिकेट की जेब में गया.
कमीशन का गोरखधंधा: शराब बनाने वाली कंपनियों (डिस्टिलरी) से लेकर शराब के ठेकेदारों तक, हर स्तर पर कमीशन वसूला जाता था. प्रति केस शराब पर मोटी रक़म ली जाती थी.
समानांतर शराब सिस्टम: इस गैंग ने एक ऐसा सिस्टम खड़ा कर दिया था, जहां बिना किसी रिकॉर्ड के देसी शराब बेची जाती थी. कल्पना कीजिए, जो शराब बिक रही है, उसका कोई हिसाब ही नहीं है. इस काली कमाई का पैसा सीधा सिंडिकेट के पास जाता था, जिससे सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हुआ. 15 ज़िलों में 40 लाख से ज़्यादा पेटी नकली शराब बेची गई.
ज़ोन का हेरफेर: डिस्टिलरी को सप्लाई ज़ोन तय करने में भी धांधली की गई. आठ ज़ोन में बांटकर हर साल कमीशन के आधार पर ज़ोन तय किए जाते थे, जिससे सिंडिकेट ने 52 करोड़ रुपये कमाए.
कौन-कौन हैं इस खेल के खिलाड़ी?
जांच में कई बड़े नाम सामने आए हैं, जिनमें राजनेता, नौकरशाह और शराब कारोबारी शामिल हैं. रायपुर के मेयर एजाज़ ढेबर के भाई अनवर ढेबर को इस घोटाले का मास्टरमाइंड माना जाता है. ईडी ने उनकी 116.16 करोड़ रुपये की 115 संपत्तियां कुर्क की हैं.
अनिल टुटेजा: पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा पर भी गंभीर आरोप हैं. उनकी 15.82 करोड़ रुपये की 14 संपत्तियां कुर्क हुई हैं.
अरुणपति त्रिपाठी: CSMCL के प्रबंध निदेशक के रूप में इन्होंने इस सिंडिकेट की पूरी मदद की.
कवासी लखमा: तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा को हर महीने मोटी रक़म देने का आरोप है. उन्हें 15 जनवरी 2023 को गिरफ़्तार किया गया था.
चैतन्य बघेल: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल पर भी अवैध कमाई लेने का आरोप है. ईडी ने उनके ठिकानों पर छापेमारी की और उन्हें समन भेजा.
ईडी के ताबड़तोड़ छापे
इस घोटाले की जांच की शुरुआत 11 मई 2022 को हुई, जब आयकर विभाग ने दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट में एक याचिका दायर की. इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 18 नवंबर 2022 को प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया. ईडी ने अब तक 205.49 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की हैं, जिनमें 18 चल और 161 अचल संपत्तियां शामिल हैं. कई बड़े अधिकारियों और नेताओं की गिरफ़्तारियां भी हुई हैं.
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भूपेश बघेल और उनके बेटे पर क्यों गिरी गाज?
इस घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल का नाम भी सामने आया है. ईडी ने उनके ठिकानों पर कई बार छापेमारी की है.
10 मार्च 2025 को छापा: ईडी ने भूपेश बघेल के भिलाई और रायपुर स्थित घरों सहित 14 ठिकानों पर छापा मारा. इस दौरान 30−33 लाख रुपये नकद, कुछ दस्तावेज़ और एक पेन ड्राइव ज़ब्त की गई. चैतन्य बघेल को अवैध कमाई का प्राप्तकर्ता माना गया, और उन्हें 15 मार्च 2025 को पूछताछ के लिए समन भेजा गया.
18 जुलाई 2025 को फिर छापा: ईडी ने आज सुबह फिर भूपेश बघेल के भिलाई स्थित घर पर छापा मारा. यह कार्रवाई सुबह 6:30 बजे शुरू हुई, जिसमें सीआरपीएफ के जवान भी शामिल थे. भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी और इसे विधानसभा सत्र के आख़िरी दिन की साज़िश बताया, जब वे अडानी और महाजेनको कोयला खदानों के मुद्दे उठाने वाले थे.
सीबीआई भी मैदान में: 26 मार्च 2025 को सीबीआई ने भी भूपेश बघेल के रायपुर और भिलाई स्थित ठिकानों पर छापेमारी की, जो महादेव सट्टा ऐप मामले से जुड़ी थी.
भूपेश बघेल का क्या कहना है?
भूपेश बघेल ईडी और सीबीआई की इन कार्रवाइयों को राजनीतिक साज़िश बता रहे हैं. उनका कहना है कि ईडी की कार्रवाई बीजेपी की हताशा का नतीजा है, जो उन्हें और कांग्रेस को बदनाम करने के लिए की जा रही है. उनके ख़िलाफ़ कोई ठोस सबूत नहीं है, और सुप्रीम कोर्ट ने भी नकली होलोग्राम मामले को ख़ारिज कर दिया था. बघेल ने यह भी कहा कि जब भी वे अन्य राज्यों के चुनावों में जाते हैं, उनके ख़िलाफ़ ऐसी छापेमारी होती है.
इस घोटाले ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में ख़ूब हलचल मचाई है. ईडी की छापेमारी के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भूपेश बघेल के घर के बाहर प्रदर्शन किए, और विधानसभा में भी हंगामा हुआ. कांग्रेस इसे बीजेपी की साज़िश बता रही है, जबकि बीजेपी इसे कांग्रेस शासन के भ्रष्टाचार का सबूत मानती है.