अदालत ने यह भी बताया कि दंपति के बीच 28 नवंबर 2024 को हुए समझौते के तहत पिता अपनी पत्नी और बेटी को कुल 73 लाख रुपये देने पर सहमत हुए थे, जिसमें 43 लाख रुपये बेटी की शिक्षा के लिए निर्धारित थे.
इस अजीबोगरीब इस्तीफे को लेकर सोशल मीडिया पर यूजर्स ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं, जिनमें अलग-अलग दृष्टिकोण देखने को मिले. इस वायरल लेटर पर कई यूजर्स ने मजेदार और रोचक कमेंट्स किए हैं.
फिल्म अर्जुन पंडित में जूही चावला और सनी देओल की जोड़ी को दर्शकों ने बेहद पसंद किया. इससे पहले दोनों ने डर जैसी सुपरहिट फिल्म में भी साथ काम किया था. उनकी कैमिस्ट्री दर्शकों के बीच हमेशा ही खास रही है, और यही वजह है कि दोनों की जोड़ी को फिर से देखने की ख्वाहिश हमेशा बनी रहती है.
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की मुफ्त योजनाओं ने पिछले कुछ सालों में राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं. मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी योजनाओं के चलते AAP ने दिल्ली की जनता में एक मजबूत आधार तैयार किया है.
कुमार विश्वास के इस बयान के बाद, बाबा रामदेव ने ट्विटर पर अपना जवाब दिया. उन्होंने कहा, "कुमार विश्वास के पिता जी जब घर आते हैं तो उन्हें समझाते हैं, और कहते हैं कि बाबा के बारे में उल्टा बोलना छोड़ दे. उनके माता-पिता मेरे परमभक्त हैं."
गांव के अधिकांश निवासी मजदूर वर्ग से हैं, जो अक्सर व्यस्तता के कारण स्वच्छता का ध्यान नहीं रख पाते. स्थानीय डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह की समस्याएं आमतौर पर साल में कुछ ही मामलों में देखी जाती हैं, लेकिन इस बार यह समस्या बहुत बड़ी संख्या में फैल गई है.
दिल्ली में कांग्रेस के सामने अब दोहरा संकट है – एक ओर जहां AAP और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर होगी, वहीं दूसरी ओर पार्टी को INDIA गठबंधन से भी बाहर होते हुए अपनी राह खुद तय करनी होगी. कांग्रेस के नेताओं को यह विचार करना होगा कि किस तरह से वे अपनी खोई हुई ताकत को फिर से हासिल कर सकते हैं.
आज से लगभग 200 साल पहले, 1833 में जब यूरोप में दास प्रथा का अंत हो गया, तब ब्रिटेन को अपनी कॉलोनियों में काम करने के लिए भारी संख्या में मजदूरों की जरूरत पड़ी. ऐसे में गुलामी के शिकंजे में फंसे भारत से मजदूरों को खींचकर विदेश भेजने का सिलसिला शुरू हुआ.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2015 में शुरू किया गया था. इसके तहत, निवेशक सोने में निवेश कर सकते थे. इसमें निवेश करने पर उन्हें सोने के बाजार भाव के हिसाब से लाभ तो मिलता ही था, साथ ही सरकार उन्हें सालाना 2.5% ब्याज भी देती थी.
देश में ऐसे मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. पारिवारिक दबाव, आर्थिक समस्याएं और मानसिक तनाव ऐसे कई कारण हैं, जो लोगों को इस हद तक पहुंचा रहे हैं. आइए, समझते हैं कि इसके पीछे की असल वजहें क्या हैं और इसे कैसे रोका जा सकता है.