आज जब हम विदेशों में उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों का उपयोग करते हैं, मंहगे मॉल्स में शॉपिंग करते हैं, और नई तकनीकों का फायदा उठाते हैं, तो यह सब डॉ. मनमोहन सिंह की नीतियों का परिणाम है.
डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए अतुलनीय रहेगा. उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी और उसे वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनका कार्यकाल भारतीय इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा,
इस बावड़ी का निर्माण बिलारी सहसपुर के राजा चंद्र विजय सिंह के शासनकाल में हुआ था. बावड़ी की देखरेख और इसके उपयोग का जिम्मा रानी सुरेंद्र बाला के पास था, जिन्हें यह रियासत के मैनेजर ने रहने के लिए दी थी.
मक्की पर भारत और अन्य देशों में आतंकवाद फैलाने का आरोप था. 2023 में संयुक्त राष्ट्र ने उसे ग्लोबल आतंकवादी घोषित कर दिया था, जिसके बाद उसकी संपत्तियां जब्त कर ली गई थीं और उसे यात्रा व हथियारों के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था.
अमर सिंह ने एक सशक्त और विस्तृत नेटवर्क तैयार किया, जिसमें उन्होंने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन को राजनीतिक समर्थन दिलवाया. यह एक कड़ी राजनीतिक चतुराई और सहयोग का परिणाम था, जिसे उन्होंने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर किया.
मनमोहन सिंह एक कद्दावर राजनीतिज्ञ नहीं थे, बल्कि वे एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री और पूर्व वित्त मंत्री थे. कांग्रेस के भीतर यह महसूस किया गया कि यदि किसी राजनीतिक व्यक्ति को पीएम पद पर बैठाया जाता, तो यह राहुल गांधी के लिए भविष्य को मुश्किल बना सकता था.
आज, हम जिस भारत को देखते हैं, वह पूरी तरह से उस 1991 के आर्थिक सुधारों का परिणाम है. यह कदम न केवल देश को आर्थिक संकट से उबारा, बल्कि भारत को वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में भी अग्रसर किया.
Manmohan Singh Death LIVE: डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 1932 में पंजाब में हुआ था. वे 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. उन्होंने अपनी सरकार में कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार किए और भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूत किया.
वायुदेव तेजपुंज के पास पहुंचे और उन्होंने अपनी शक्ति का अभिमान करते हुए कहा, "मैं अतिबलवान हूं, मैं ही प्राणों का स्रोत हूं, और मेरी शक्ति के आगे किसी की भी नहीं चल सकती." यह सुनकर तेजपुंज रूपी देवी दुर्गा ने वायुदेव से कहा, "अगर तुम सचमुच इतने शक्तिशाली हो, तो इस तिनके को हिलाकर दिखाओ."
मनमोहन सिंह ने एक ही बार 1999 में लोकसभा चुनाव लड़ा था, जब सोनिया गांधी ने उन्हें दक्षिण दिल्ली से उम्मीदवार बनाया था. वह चुनाव हार गए, और यह हार उनके परिवार के लिए बहुत कठिन थी.