1990 में मंदाकिनी ने एक बड़े मोड़ पर अपनी जिंदगी बदल दी. उन्होंने एक बौद्ध भिक्षु से शादी की और भारत छोड़कर विदेश में अपनी नई जिंदगी की शुरुआत की. मंदाकिनी ने अपने निजी जीवन को साधारण रखा और पूरी तरह से फिल्म इंडस्ट्री से दूर हो गईं.
सीरिया में बदलाव तो हो चुका है, लेकिन क्या लोकतंत्र आने के संकेत हैं? हालांकि, यहां की राजनीति, बाहरी हस्तक्षेप और गुटबाजी का इतिहास इसे और मुश्किल बना रहा है. लेकिन अगर सीरिया के लोग मिलकर एकजुट होते हैं, तो क्या पता! हो सकता है कि वह एक दिन लोकतंत्र की ओर बढ़ सकें.
उत्तर प्रदेश के इन शहरों के मंदिरों और मस्जिदों का इतिहास यह सिखाता है कि धर्म से ऊपर इंसानियत और भाईचारा होता है.
जिस दिन यह घटना घटी, वह शुक्रवार का दिन था और शाम का समय था. तालेब ने एक बीएमडब्ल्यू कार किराए पर ली और उस कार को एक सटीक लक्ष्य के साथ बाजार में घुसा दिया. उसकी कार इतनी तेज़ रफ्तार से चल रही थी कि सड़क पर चलते हुए 68 लोग उसकी चपेट में आ गए.
सड़क पर भागते लोग, जलते हुए बर्तन, बिखरे हुए टिफिन—हर तरफ सिर्फ भय और अफरा-तफरी का आलम था. लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर दौड़ रहे थे, लेकिन आग की लपटों ने सब कुछ निगल लिया.
Apple का यह प्लान था कि ग्राहक अब iPhone को एक सब्सक्रिप्शन फीस के तहत ले सकेंगे. यानी, जैसे आप कार सब्सक्रिप्शन पर लेते हैं, ठीक वैसे ही हर साल एक नया iPhone आपके हाथ में होगा, और आपको खरीदने के लिए एक बड़ी राशि खर्च नहीं करनी पड़ेगी.
कई सालों तक मीनाक्षी के बारे में किसी तरह की जानकारी नहीं आई. उनके फैंस यही सोचते रहे कि क्या मीनाक्षी कभी बॉलीवुड में वापसी करेंगी? क्या वह अपने पुराने दौर की फिल्मों की तरह एक बार फिर से सिल्वर स्क्रीन पर नजर आएंगी?
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विपक्ष का यह दांव पूरी तरह से नाकाम हुआ, जिससे विपक्षी दलों को एक बड़ा झटका लगा है. अब देखना यह है कि विपक्ष अपनी रणनीतियों में क्या बदलाव करता है.
यह वह वक्त था जब टीम इंडिया को आकाशदीप और बुमराह की बेहतरीन साझेदारी की जरूरत थी. दोनों खिलाड़ियों ने संयम और साहस का परिचय दिया. आकाशदीप ने अपनी बल्लेबाजी से न सिर्फ टीम को संकट से बाहर निकाला, बल्कि एक अहम चौका मारकर फॉलोऑन से बचने में भारत की मदद की.
15 अगस्त 1947 को जब भारत ने ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त की, तो यह सबके लिए एक नई शुरुआत थी. लोग खुश थे कि अब उनका देश स्वतंत्र हो गया है, लेकिन एक बुरी खबर भी थी, गोवा अभी भी पुर्तगालियों के अधीन था. भारत के आज़ादी के दिन सभी जगह ख़ुशियां मनाई जा रही थीं, लेकिन गोवा के लोग ग़म में थे क्योंकि वे भी स्वतंत्रता की उम्मीद में थे...