पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन बीजेपी से मुकाबला करना आसान नहीं था. इस दौरान कांग्रेस ने ममता को समर्थन दिया, लेकिन कांग्रेस के अपने नेता राहुल गांधी ने बंगाल में रैलियां करने से मना कर दिया.
अजय राय ने मीडिया से कहा कि पहले 30 नवंबर तक जनप्रतिनिधियों की यात्रा पर प्रतिबंध हटाने का वादा किया गया था, लेकिन अब इसे 10 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए यह कदम उठा रही है.
किसानों का यह आंदोलन एक बार फिर से केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है. किसानों ने बार-बार अपनी मांगों को उठाया है, लेकिन उनकी बातों को नकारा जा रहा है, जिससे उनका गुस्सा बढ़ता जा रहा है.
कहा जा रहा है कि अवध ओझा 2025 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमाने के लिए मैदान में उतर सकते हैं. ओझा ने पहले भी अपने राजनीतिक रूझान का इजहार किया था.
महाकुंभ मेला 2025 में प्रयागराज में 12 साल बाद आयोजित हो रहा है, जो 13 जनवरी से 25 फरवरी तक चलेगा. इस मौके पर लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए जुटेंगे.
तीन बार शत्रु के रूप में जन्म लेने के बाद जय और विजय को श्राप से पूरी तरह मुक्ति मिल गई. अब वे फिर से वैकुंठ लौट गए, जहां उन्होंने भगवान विष्णु के द्वारपाल के रूप में अपनी सेवा शुरू की.
जब बात आती है भारतीय सिनेमा की सबसे बड़ी हिट फिल्मों की, तो शोले का नाम सबसे पहले आता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस फिल्म में धर्मेंद्र का किरदार 'वीरू' बनने से पहले वह ठाकुर बल्देव सिंह के रोल में दिखना चाहते थे?
भागवत के बयान से यह स्पष्ट है कि जनसंख्या वृद्धि केवल एक सांस्कृतिक या सामाजिक समस्या नहीं, बल्कि एक आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा भी है. यदि जनसंख्या घटने की गति जारी रही, तो आने वाले समय में इसका प्रभाव देश के विकास, श्रम शक्ति, और सामाजिक संरचना पर पड़ सकता है.
भारत में धार्मिक स्थल विवाद केवल इतिहास और कानून से जुड़े हुए नहीं हैं, बल्कि इनका सामाजिक और राजनीतिक असर भी गहरा है. इन विवादों के कारण विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच तनाव बढ़ता है, और ये मुद्दे कभी-कभी साम्प्रदायिक हिंसा का कारण भी बन जाते हैं. अदालतों में इन मामलों की सुनवाई जारी रहती है, लेकिन इनका हल निकालना आसान नहीं है, क्योंकि इनमें धार्मिक भावनाएं, ऐतिहासिक दावे और कानूनी पहलू सभी जुड़े हुए होते हैं.
चक्रवातों के नामों की मौजूदा लिस्ट 2020 में तैयार की गई थी, जिसमें प्रत्येक सदस्य राज्य 13 नामों का योगदान देता है. इन नामों का इस्तेमाल रोटेशन में किया जाता है. किसी भी नाम का दोबारा इस्तेमाल नहीं होता है यानी कि हिंद महासागर क्षेत्र में आया हर चक्रवात अलग नाम से जाना जाता है. उदाहरण के लिए, 'फेंगल' नाम का सुझाव सऊदी अरब ने दिया था.