पुलिस अधिकारियों के अनुसार, घटना की सूचना कंट्रोल रूम से मिली थी. इसके बाद, डीएसपी दिलबाग सिंह ने कहा कि शुरुआती जांच में यह पता चला है कि धमाकों के कारण नाइट क्लब और आसपास के इलाके के शीशे टूट गए हैं, लेकिन इसके अलावा कोई और नुकसान नहीं हुआ है.
शिंदे ने एक्स पर कहा, ‘‘महायुति गठबंधन की बड़ी जीत के बाद राज्य में एक बार फिर हमारी सरकार बनेगी. हमने एक महागठबंधन के रूप में मिलकर चुनाव लड़ा और हम आज भी साथ हैं.’’
वैभव सूर्यवंशी के क्रिकेट में करियर बनाने की शुरुआत एक साधारण से गांव में हुई थी, जहां बच्चों के पास ना तो आधुनिक सुविधाएं थीं, ना ही क्रिकेट के लिए उचित संसाधन. लेकिन, वैभव के पिता संजीव सूर्यवंशी ने कभी भी अपने बेटे के सपनों को टूटने नहीं दिया.
संभल हिंसा के बाद, जिला प्रशासन और पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने के लिए छापेमारी की है. मामले की जांच जारी है और अधिकारियों का कहना है कि जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
अजित पवार ने एनसीपी में अपनी ताकत साबित की है. वह अब मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं और उनका नाम भी इस दौड़ में शामिल हो गया है. हालांकि, वह डिप्टी सीएम पद को लेकर भी सहमति दिखा रहे हैं, अगर बीजेपी अपना मुख्यमंत्री चुनती है.
हाल ही में सांसद बनी प्रियंका गांधी ने इस हिंसा को लेकर राज्य सरकार और प्रशासन के खिलाफ हमला बोला है. प्रियंका ने सोशल मीडिया पर लिखा कि संभल में हुई हिंसा के संदर्भ में राज्य सरकार का रवैया 'बेहद दुर्भाग्यपूर्ण' था.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, युवाओं का, माताओं का, किसानों और देश की जनता को नमन करता हूं." प्रधानमंत्री ने झारखंड की जनता को भी नमन किया और कहा, "झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे और इसमें भाजपा का हर कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा."
बीजेपी ने इस चुनाव में रोटी, बेटी और माटी के मुद्दे को उठाया था, जिसमें मुख्य रूप से बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ आक्रामक प्रचार किया गया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे को बार-बार उठाया और दावा किया था कि हेमंत सोरेन सरकार राज्य की अस्मिता और सुरक्षा को बचाने में विफल रही है.
सीएम योगी ने आगे कहा कि यह जीत न केवल भाजपा की राजनीतिक ताकत को साबित करती है, बल्कि उत्तर प्रदेश में बेहतर शासन और विकास की दिशा में जनता के भरोसे को भी दिखाती है.
प्रशांत किशोर ने कहा था कि आगामी चुनाव उनके लिए "अर्श या फर्श" हो सकते हैं, लेकिन उपचुनाव के परिणाम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनका राजनीतिक करियर एक चुनौतीपूर्ण मोड़ पर है. हालांकि, उन्होंने राज्य में पदयात्रा की है, लेकिन आम आदमी से जुड़ नहीं पाएं हैं.