हालांकि यह कानूनी विवाद धोनी के लिए एक सिरदर्द बन चुका है, लेकिन उनके फैंस के लिए एक राहत की खबर भी है. धोनी ने हाल ही में पुष्टि की है कि वे आईपीएल 2025 के सीजन में चेन्नई सुपर किंग्स के लिए खेलेंगे.
अक्षरा ने केवल अभिनय क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि राजनीति में भी कदम रखा था. 2023 में वह प्रशांत किशोर के 'जन सुराज' अभियान से जुड़ी थीं. हालांकि, उनकी राजनीति में रुचि केवल कैम्पेन तक ही सीमित रही और वह लोकसभा चुनाव में भाग नहीं लीं.
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा और महुआ माजी जैसे नेताओं की किस्मत दांव पर है. वहीं, वायनाड लोकसभा सीट पर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी भी चुनावी मैदान में हैं, जहां उनका मुकाबला भाजपा के उम्मीदवार से होगा.
आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा के फरीदाबाद जिले में सबसे ज्यादा बीपीएल लाभार्थी हैं. फरीदाबाद में 14.29 लाख लोग बीपीएल सूची में शामिल हैं, जो राज्य के किसी भी अन्य जिले से अधिक है.
विश्लेषकों के अनुसार, बीजेपी का उद्देश्य हिंदू समाज में एकता लाकर चुनावी लाभ हासिल करना है. राज्यवार चुनावों में जातीय राजनीति का असर बढ़ता जा रहा है, और बीजेपी इसे अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर रही है.
जस्टिस खन्ना को उनकी स्पष्टता और तर्कपूर्ण फैसलों के लिए जाना जाता है. उन्होंने RTI, न्यायिक पारदर्शिता, VVPAT, इलेक्टोरल बॉन्ड, अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों पर ऐतिहासिक फैसले दिए हैं.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में इन बयानबाजियों से चुनावी माहौल और भी गर्म हो गया है. एक तरफ जहां देवेंद्र फडणवीस ने ओवैसी पर आरोप लगाए हैं, वहीं दूसरी तरफ ओवैसी ने भाजपा और उसके नेताओं के खिलाफ तीखे शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया दी है.
अब देखने वाली बात यह होगी कि चुनावी परिणामों में इन वादों में से कौन सा गठबंधन जनता पर ज्यादा प्रभाव डालता है. महाविकास अघाड़ी जहां जातीय जनगणना और सामाजिक समानता के मुद्दे को प्रमुखता दे रही है, वहीं महायुति महिलाओं, किसानों और युवाओं के लिए सीधे वित्तीय मदद की बात कर रही है.
योगी आदित्यनाथ का "बंटेंगे तो कटेंगे" नारा अब महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा विवाद बन चुका है. जहाx कुछ नेता इसे एकता और मजबूती की ओर इशारा मानते हैं, वहीं कई अन्य इसका विरोध कर रहे हैं.
इस चुनाव में बीजेपी के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वह कोल्हान और संथाल परगना में अपनी स्थिति मजबूत कर पाएगी. इन दोनों इलाकों में आदिवासी वोटों के अलावा जनसंख्या संतुलन और स्थानीय बनाम बाहरी मुद्दे प्रमुख हैं, जो चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं.