2009 से यह सीट भाजपा का गढ़ रही है, राम शंकर कठेरिया ने 2009 और 2014 में निर्वाचन क्षेत्र जीता था और सत्यपाल सिंह बघेल ने 2019 में इसे जीता था.
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में बसे बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों सहित प्रताड़ना झेल चुके गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देना है.
बता दें कि ‘दीदी’ के साथ कांग्रेस लगातार इग्नोरेंस की मुद्रा में चल रही थी. लगातार उनके प्रपोजल और डेडलाइन पर बेरुखी दिखा रही थी. अब दीदी ने फैसला कर दिया है. दीदी ने ऐसा फैसला कर दिया है कि अब इंडी ब्लॉक के भविष्य पर ही सवाल उठने लगा है.
इस कानून के माध्यम से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों से आने वाले हिंदू शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी.
AIMIM किशनगंज के अलावा, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, दरभंगा, मधुबनी और गया में चुनाव लड़ना चाहती है. इन इलाकों में मुस्लिम वोटरों की संख्या अच्छी खासी है.
साल 2015 में सायोनी घोष ने शिवलिंग की एक विवादित तस्वीर शेयर की. कथित तौर पर हिंदू संस्कृति को बदनाम करने वाला उनका ट्वीट महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर पोस्ट किया गया था, जो उस वर्ष 17 फरवरी को मनाया गया था.
श्रीनगर एयरपोर्ट पर पीएम मोदी से मुलाकात करने वाला शख्स सफेद दाढ़ी के साथ काला कुर्ता और केसरिया रंग का वास्कट, सिर पर तिरंगे रंग की पगड़ी और कंधे पर बीजेपी का दुपट्टा पहने नजर आया.
1985 बैच के आईएएस अफसर अरुण गोयल ने 18 नवंबर, 2022 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी और एक दिन बाद ही उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया गया था. उनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि ‘आखिरकार जल्दबाजी’ क्या थी.
शहाबुद्दीन की पत्नी हिना ने कहा कि उन्हें आरजेडी से पहले भी कोई नाराजगी नहीं थी, आज भी नहीं है. उन्होंने कहा कि सीवान से वह खुद या उनके बेटे ओसामा शहाब (Osama Shahab) निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे.
पांच विधानसभा सीटों से बना वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र भारत के सबसे पवित्र शहरों में से एक है. 1957 के बाद से बीजेपी ने सात बार और कांग्रेस ने छह बार यह सीट जीती है. 1991 के बाद से बीजेपी का रिकॉर्ड बिल्कुल सही रहा है.