विवाद बढ़ने पर स्वामी अनिरुद्धाचार्य ने एक नया वीडियो जारी कर माफी मांगी. उन्होंने सफाई दी कि वायरल हुआ वीडियो AI से बनाया गया है और उनके मूल विचारों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है.
CJI गवई ने कहा कि जजों को वकीलों का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि अदालतें दोनों की साझा जगह हैं. उन्होंने जूनियर वकीलों को भी नसीहत दी, "कई बार देखता हूं कि 25 साल का वकील कुर्सी पर बैठा होता है और जब 70 साल के सीनियर वकील आते हैं, तो उठता भी नहीं. थोड़ी तो शर्म करो, सीनियर का सम्मान करो."
इस युद्ध की पहली आहट एक आम आदमी ने पहचानी. मई 1999 में ताशी नामग्याल नाम के एक स्थानीय चरवाहे ने बटालिक इलाके में कुछ संदिग्ध हरकतें देखीं. उन्होंने देखा कि कुछ ऐसे लोग, जो आसपास के लग नहीं रहे थे, हमारी चोटियों पर डेरा डाल रहे थे. ताशी ने बिना देर किए भारतीय सेना को खबर दी.
ऐसी चर्चा है कि बीजेपी अपने ही दल से किसी कद्दावर नेता को इस पद पर चुनेगी. दिलचस्प बात यह है कि पार्टी किसी ओबीसी नेता पर भी दांव खेल सकती है. इस फेहरिस्त में एक नाम जो काफी चर्चा में है, वह है राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश का.
चुनाव आयोग बिहार में एक अभियान चला रहा है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी योग्य मतदाता सूची से छूटे नहीं और कोई भी अयोग्य व्यक्ति का नाम इसमें न हो. 1 अगस्त, 2025 को वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट प्रकाशित होने वाला है.
CAG ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि बिहार सरकार के साथ यह समस्या लंबे समय से चली आ रही है. 70,877.61 करोड़ रुपये में से 14,452.38 करोड़ रुपये तो अकेले वित्त वर्ष 2016-17 तक के ही हैं. यानी, सरकार ने पिछली गलतियों से कोई सबक नहीं सीखा.
ये बात आग की तरह सोशल मीडिया पर फैल गई. लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. मामला बेसिक शिक्षा अधिकारी उपेंद्र गुप्ता तक पहुंचा और उन्होंने बिना देर किए शिक्षक ओम प्रकाश को निलंबित कर दिया. लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई.
इस विस्तार से उन विधायकों को निराशा हुई है जो राज्य में जल्द से जल्द एक नई सरकार बनाने की उम्मीद कर रहे थे. खासकर, सत्ताधारी गठबंधन (NDA) के मैतेई और नागा समुदाय से जुड़े विधायक लगातार राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर रहे थे.
टिंडा से लगभग 15 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर विमान का जलता हुआ मलबा मिला. दृश्य इतना भयावह था कि बचाव दल भी कांप उठा. चारों ओर आग की लपटें उठ रही थीं और धुआं आसमान में फैल रहा था.
यह कोई पहली घटना नहीं है. इस महीने की शुरुआत में ठाणे में MNS कार्यकर्ताओं ने एक दुकानदार को सिर्फ इसलिए थप्पड़ मारे थे, क्योंकि उसने पूछ लिया था कि मराठी बोलना क्यों जरूरी है. कुछ दिन बाद मुंबई के विखरोली में भी एक दुकानदार पर हमला हुआ था. इन घटनाओं ने महाराष्ट्र में भाषा के मुद्दे को और हवा दे दी है.