राकेश कुमार

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राकेश कुमार विस्तार न्यूज़ में वरिष्ठ उप संपादक सह संवाददाता के पद पर हैं. यहां वो डेटा स्टोरीज, एक्सप्लेनर के अलावा इन डेप्थ खबरों पर काम करते हैं. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन में मास्टर्स डिग्री हासिल कर चुके राकेश को रिसर्च में इंटरेस्ट है. इन्हें राजनीति के अलावा बिजनेस, मनोरंजन और लीगल न्यूज स्टोरीज पर काम करना पसंद है. काम के इतर बात करें, तो राकेश को खाली वक्त में फिल्में, क्रिकेट खेलने और किताब पढ़ने में मजा आता है. पूर्व में राकेश सहारा समय नेशनल न्यूज़ चैनल, फीवर FM, APN न्यूज़ और भारत एक्सप्रेस जैसे संस्थानों से जुड़े थे.

दिल्ली में भूकंप

दिल्ली-NCR में भूकंप के तेज झटके, सुबह-सुबह हिली धरती, घरों से निकले लोग

दिल्ली-NCR में भूकंप के झटके कोई नई बात नहीं हैं. दरअसल, ये इलाका सिस्मिक जोन IV में आता है, जिसका मतलब है कि यहां भूकंप आने की संभावना काफी ज़्यादा रहती है. पिछले कुछ सालों में दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में कई बार भूकंप के छोटे-मोटे झटके महसूस किए गए हैं.

Hindi Marathi Conflict

हिंदी भाषियों पर हमले, ठाकरे बंधुओं की सियासत…क्या होगा जब महाराष्ट्र से लौट आएंगे यूपी-बिहार के लोग?

मुंबई का ये तनाव नया नहीं है, लेकिन हर बार ये देश की एकता पर सवाल उठाता है. 1960 से शुरू हुई मराठी अस्मिता की लड़ाई आज सियासी स्वार्थ की भेंट चढ़ रही है. राज और उद्धव की सियासत बिहारियों-यूपी वालों को निशाना बना रही है, लेकिन अगर ये लोग सचमुच चले गए, तो मुंबई का दिल धड़कना बंद हो सकता है.

Delhi Double Murder

दिल्ली में प्यार के ‘खूनी खेल’ में दो जिंदगियां खत्म! युवती और 6 महीने की बच्ची की निर्मम हत्या

इस दिल दहला देने वाली वारदात का पता तब चला, जब पड़ोसियों को घर के भीतर से कुछ गड़बड़ महसूस हुई. उन्होंने अंदर जाकर देखा तो सोनल और यशिका की खून से लथपथ लाशें पड़ी थीं. तुरंत ही उन्होंने पुलिस को सूचना दी.

Unique Job

बिस्तर ही बनेगा आपका ‘ऑफिस’, 2 महीने सोने के लिए 10 लाख रुपये दे रही है यह कंपनी!

Wakefit समय-समय पर ऐसे इंटर्न्स हायर करता रहता है और 'स्लीप इंटर्नशिप सीज़न 5' के विनर को तो 10 लाख रुपये तक मिलेंगे. बाकी चुने गए कैंडिडेट्स को भी 2 महीने के लिए 1-1 लाख रुपये दिए जाएंगे.

Ahmedabad Plane Crash

जल्द सामने आएगा अहमदाबाद विमान हादसे का पूरा सच? जांच टीम ने दाखिल की प्राइमरी रिपोर्ट

नागरिक उड्डयन मंत्रालय के मुताबिक, 25 जून 2025 को AAIB की लैब में ब्लैक बॉक्स के क्रैश प्रोटेक्शन मॉड्यूल (CPM) से डेटा सफलतापूर्वक डाउनलोड कर लिया गया है. अब जांच एजेंसियों के पास वह अहम जानकारी आ गई है, जिससे हादसे की असल वजह का पता चल सकता है.

Elon Musk

अमेरिका में क्यों सफल नहीं हो पाती नई पार्टी? 150 सालों से ‘गधे’ और ‘हाथी’ का राज!

1912 में राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट ने 'बुल मूस' नाम की पार्टी बनाई थी. इस पार्टी ने 88 इलेक्टोरल वोट तो हासिल किए, लेकिन अगले चुनाव तक यह पार्टी टिक भी नहीं पाई. इन मिसालों से साफ है कि अमेरिका में नई पार्टियों के लिए अपनी जगह बनाना कितना मुश्किल रहा है.

Purnia Crime

300 की भीड़, पंचायत और ‘सजा-ए-मौत’ का ऐलान…अंधविश्वास की आग में कैसे भस्म हुआ एक परिवार?

राजिगंज पंचायत के वार्ड-10 स्थित टेटगामा गांव में अब मातमी सन्नाटा पसरा है. गांव की गलियों में पुलिस गश्त कर रही है, लेकिन दहशत इतनी गहरी है कि अधिकतर घरों पर ताले लटके हैं और लोग अपने घरों से गायब हैं.

Nishad Reservation

योगी सरकार में ‘विद्रोही’ मंत्री! निषाद आरक्षण को लेकर BJP से पूछे कड़वे सवाल

निषाद समुदाय को अभी अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में गिना जाता है, लेकिन वे लंबे समय से अनुसूचित जाति का दर्जा मांग रहे हैं. संजय निषाद का कहना है कि उनकी पार्टी ने बीजेपी के साथ गठबंधन ही इसी वादे पर किया था कि निषाद उप-जातियों को आरक्षण दिलाया जाएगा.

US Party Formation Rules

अमेरिका में नई पार्टी बनाना क्यों है मुश्किल? जानें भारत से कितना अलग है नियम

चुनाव आयोग के पास 100 से ज़्यादा रिजर्व चुनाव चिह्न हैं. आप अपनी पसंद का कोई भी चिह्न चुन सकते हैं, बशर्ते वह किसी दूसरी पार्टी को पहले से न मिला हो. एक बात का ध्यान रखें, अब पशु-पक्षियों या जानवरों से जुड़े चिह्न नहीं दिए जाते. अगर आपकी पार्टी रजिस्टर हो जाती है, तो आपको एक यूनीक कोड और आपका अपना चुनाव चिह्न मिलता है.

Bihar Politics

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से लेकर श्री-श्री रविशंकर तक…बिहार में ‘बाबा पॉलिटिक्स’, संतों के सहारे सियासी ‘कुर्सी’ का खेल!

बिहार की सियासत में धार्मिक मुद्दे पहले भी उठते रहे हैं, लेकिन जातिगत समीकरण हमेशा हावी रहे. 1980 और 1990 के दशक में लालू यादव ने मंडल आयोग के सहारे OBC और मुस्लिम वोटरों को एकजुट किया. वहीं, BJP ने राम मंदिर आंदोलन के जरिए हिंदुत्व को बिहार में लाने की कोशिश की, लेकिन उसे अकेले सत्ता कभी नहीं मिली.

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