राकेश कुमार

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राकेश कुमार विस्तार न्यूज़ में वरिष्ठ उप संपादक सह संवाददाता के पद पर हैं. यहां वो डेटा स्टोरीज, एक्सप्लेनर के अलावा इन डेप्थ खबरों पर काम करते हैं. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन में मास्टर्स डिग्री हासिल कर चुके राकेश को रिसर्च में इंटरेस्ट है. इन्हें राजनीति के अलावा बिजनेस, मनोरंजन और लीगल न्यूज स्टोरीज पर काम करना पसंद है. काम के इतर बात करें, तो राकेश को खाली वक्त में फिल्में, क्रिकेट खेलने और किताब पढ़ने में मजा आता है. पूर्व में राकेश सहारा समय नेशनल न्यूज़ चैनल, फीवर FM, APN न्यूज़ और भारत एक्सप्रेस जैसे संस्थानों से जुड़े थे.

Youth Employment Scheme

पहली नौकरी, डबल खुशी…अब कंपनी के साथ-साथ सरकार भी खाते में डालेगी पैसे!

सिर्फ नौकरी ही नहीं, सरकार ने खेलों को भी नई उड़ान देने का फैसला किया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने समग्र 'खेलो भारत नीति 2025' को मंजूरी दी है. यह नीति 1984 और 2001 की पुरानी खेल नीतियों की जगह लेगी.

Etawah Kathavachak

नकली आधार कार्ड, छेड़छाड़ के आरोप और हंगामा…अब इटावा से दोनों ‘कथावाचक’ गायब!

इस मामले में एक नया खुलासा हुआ है. इन कथावाचकों के पास दो-दो आधार कार्ड मिले हैं. दोनों आधार कार्ड का नंबर एक ही था और उन पर एक ही व्यक्ति की फोटो लगी थी, लेकिन नाम अलग-अलग थे. पुलिस ने इसकी जांच शुरू कर दी है.

Bihar Election

जहां कभी मुश्किल से जलती थी ‘लालटेन’! उस बिहार को ‘स्कॉटलैंड’ बनाने चले तेजस्वी, चुनाव से पहले कर दिया बड़ा वादा

थोड़ा फ्लैशबैक में चलते हैं. लालू प्रसाद यादव के शासनकाल को अक्सर 'जंगलराज' और 'चारा घोटाला' जैसे शब्दों से जोड़ा जाता था. सड़कें गड्ढों में ज्यादा दिखती थीं और बिजली की आंख-मिचौली रोज की बात थी. शाम होते ही लोगों को घरों में दुबकना पड़ता था और अपराध का बोलबाला था.

PM Modi

दुर्लभ खनिजों पर ड्रैगन की दादागीरी होगी खत्म! जल्द ही नामीबिया जा रहे हैं पीएम मोदी

चीन पर लगाम इस दौरे का सबसे महत्वपूर्ण पहलू दुर्लभ खनिजों (Rare Earth Metals) को लेकर है. ये खनिज इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स तक, हर चीज़ के लिए ज़रूरी हैं. अभी तक इन खनिजों पर चीन का लगभग 90% नियंत्रण है.

Telangana Politics

‘शांत’ रामचंद्र राव का राजतिलक, ‘फायर ब्रांड’ टी राजा सिंह का विद्रोह…क्या बदल जाएगी तेलंगाना की सियासी बिसात?

तेलंगाना की राजनीति हमेशा से जातिगत समीकरणों पर चलती रही है. रेड्डी और वेलमा जैसे समुदाय तो प्रभावशाली हैं ही, लेकिन ओबीसी, एससी और एसटी समुदाय भी महत्वपूर्ण वोट बैंक हैं. ब्राह्मणों का सामाजिक प्रभाव भी कम नहीं है. अब एन रामचंद्र राव के आने और टी राजा सिंह के जाने से बीजेपी एक नई राह पर चलती दिख रही है.

T Raja Singh

तेलंगाना BJP को लगा बड़ा झटका, अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले T Raja Singh ने दिया इस्तीफा

अक्सर अपने बेबाक बयानों के चलते सुर्खियों में रहने वाले राजा सिंह कई बार विवादों में भी घिर चुके हैं. उन्होंने अपने पत्र में एक महत्वपूर्ण बात कही है. उन्होंने लिखा, "बहुत से लोगों की चुप्पी को सहमति नहीं समझा जाना चाहिए."

Kolhapuri Chappal Controversy

800 साल पुरानी कोल्हापुरी चप्पल की अनकही कहानी, जिसने झटके में हिला दिया प्राडा का ‘साम्राज्य’!

साठ का दशक आते-आते कोल्हापुरी चप्पलें सिर्फ 'परंपरा' नहीं रहीं, बल्कि 'फैशन का नया सिंबल' बन गईं. युवा और शहर के लोग इन्हें पहनकर खुद को कूल महसूस करने लगे. बॉलीवुड फ़िल्मों में, मैगज़ीन के कवर पर, हर जगह इनकी धूम मच गई. ये ऐसी चप्पल बन गई जो ट्रेडिशनल कपड़ों के साथ भी जंचती थी और मॉडर्न लिबास के साथ भी.

Telangana Factory Blast

तेलंगाना के केमिकल फैक्ट्री में जोरदार धमाका, 8 मजदूरों की मौत, PM मोदी ने जताया दुख

धमाके की खबर मिलते ही फायर ब्रिगेड की 11 गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं और आग बुझाने के साथ-साथ बचाव अभियान भी शुरू कर दिया गया. जिला प्रशासन के अधिकारी लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं.

Karachhana Violence

इन दो परिवारों से मिलना चाहते थे चंद्रशेखर ‘रावण’, जानिए क्या है ‘करछना बवाल’ के पीछे की पूरी कहानी

मामला तब सुर्खियों में आई जब चंद्रशेखर आज़ाद फ्लाइट से प्रयागराज एयरपोर्ट पहुंचे. उनका इरादा कौशांबी और प्रयागराज (करछना) में दो अलग-अलग परिवारों से मिलने का था. पुलिस पहले से ही सतर्क थी और जैसे ही आज़ाद एयरपोर्ट से बाहर निकले, उन्हें उनके समर्थकों के साथ कौशांबी जाने से रोक दिया गया. इसके बजाय, उन्हें प्रयागराज के सर्किट हाउस में 'हाउस अरेस्ट' कर लिया गया.

Bihar Politics

बिहार में BJP का ‘पसमांदा प्रेम’…क्या बदलेगी मुस्लिम राजनीति की तस्वीर?

बीजेपी लंबे समय से मुस्लिम वोटों से दूर रही है. लेकिन बिहार में मुस्लिम आबादी अच्छी खासी है (लगभग 17.7%). 1 बीजेपी जानती है कि अगर 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत हासिल करनी है, तो उसे नए वोट बैंक तलाशने होंगे. पसमांदा समाज इसी कड़ी का हिस्सा है.  

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