सिर्फ नौकरी ही नहीं, सरकार ने खेलों को भी नई उड़ान देने का फैसला किया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने समग्र 'खेलो भारत नीति 2025' को मंजूरी दी है. यह नीति 1984 और 2001 की पुरानी खेल नीतियों की जगह लेगी.
इस मामले में एक नया खुलासा हुआ है. इन कथावाचकों के पास दो-दो आधार कार्ड मिले हैं. दोनों आधार कार्ड का नंबर एक ही था और उन पर एक ही व्यक्ति की फोटो लगी थी, लेकिन नाम अलग-अलग थे. पुलिस ने इसकी जांच शुरू कर दी है.
थोड़ा फ्लैशबैक में चलते हैं. लालू प्रसाद यादव के शासनकाल को अक्सर 'जंगलराज' और 'चारा घोटाला' जैसे शब्दों से जोड़ा जाता था. सड़कें गड्ढों में ज्यादा दिखती थीं और बिजली की आंख-मिचौली रोज की बात थी. शाम होते ही लोगों को घरों में दुबकना पड़ता था और अपराध का बोलबाला था.
चीन पर लगाम इस दौरे का सबसे महत्वपूर्ण पहलू दुर्लभ खनिजों (Rare Earth Metals) को लेकर है. ये खनिज इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स तक, हर चीज़ के लिए ज़रूरी हैं. अभी तक इन खनिजों पर चीन का लगभग 90% नियंत्रण है.
तेलंगाना की राजनीति हमेशा से जातिगत समीकरणों पर चलती रही है. रेड्डी और वेलमा जैसे समुदाय तो प्रभावशाली हैं ही, लेकिन ओबीसी, एससी और एसटी समुदाय भी महत्वपूर्ण वोट बैंक हैं. ब्राह्मणों का सामाजिक प्रभाव भी कम नहीं है. अब एन रामचंद्र राव के आने और टी राजा सिंह के जाने से बीजेपी एक नई राह पर चलती दिख रही है.
अक्सर अपने बेबाक बयानों के चलते सुर्खियों में रहने वाले राजा सिंह कई बार विवादों में भी घिर चुके हैं. उन्होंने अपने पत्र में एक महत्वपूर्ण बात कही है. उन्होंने लिखा, "बहुत से लोगों की चुप्पी को सहमति नहीं समझा जाना चाहिए."
साठ का दशक आते-आते कोल्हापुरी चप्पलें सिर्फ 'परंपरा' नहीं रहीं, बल्कि 'फैशन का नया सिंबल' बन गईं. युवा और शहर के लोग इन्हें पहनकर खुद को कूल महसूस करने लगे. बॉलीवुड फ़िल्मों में, मैगज़ीन के कवर पर, हर जगह इनकी धूम मच गई. ये ऐसी चप्पल बन गई जो ट्रेडिशनल कपड़ों के साथ भी जंचती थी और मॉडर्न लिबास के साथ भी.
धमाके की खबर मिलते ही फायर ब्रिगेड की 11 गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं और आग बुझाने के साथ-साथ बचाव अभियान भी शुरू कर दिया गया. जिला प्रशासन के अधिकारी लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं.
मामला तब सुर्खियों में आई जब चंद्रशेखर आज़ाद फ्लाइट से प्रयागराज एयरपोर्ट पहुंचे. उनका इरादा कौशांबी और प्रयागराज (करछना) में दो अलग-अलग परिवारों से मिलने का था. पुलिस पहले से ही सतर्क थी और जैसे ही आज़ाद एयरपोर्ट से बाहर निकले, उन्हें उनके समर्थकों के साथ कौशांबी जाने से रोक दिया गया. इसके बजाय, उन्हें प्रयागराज के सर्किट हाउस में 'हाउस अरेस्ट' कर लिया गया.
बीजेपी लंबे समय से मुस्लिम वोटों से दूर रही है. लेकिन बिहार में मुस्लिम आबादी अच्छी खासी है (लगभग 17.7%). 1 बीजेपी जानती है कि अगर 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत हासिल करनी है, तो उसे नए वोट बैंक तलाशने होंगे. पसमांदा समाज इसी कड़ी का हिस्सा है.