बिजली गुल होने के बाद कुछ ग्रामीणों ने अपने घरों में इनवर्टर चालू किए, लेकिन यह बात दूसरे पक्ष को नागवार गुजरी. इसके बाद गांव में हंगामा मच गया और मामला तूल पकड़ने लगा. गुस्साए ग्रामीणों ने सीधे ऊर्जा मंत्री सोमेंद्र तोमर से शिकायत कर दी.
15 OGWs की पहचान हुई, जिनमें से 5 मुख्य संदिग्धों में 3 हिरासत में हैं. वहीं, 2500 संदिग्धों की जांच चल रही है, जिनमें 186 अभी हिरासत में हैं. NIA का कहना है कि ये नेटवर्क जटिल है, लेकिन वो इसे धीरे-धीरे तोड़ रहे हैं.
लोग इसे 'अश्लीलता की हद' और 'संस्कृति पर हमला' बता रहे हैं. एक्स पर यूजर्स ने जमकर भड़ास निकाली और सूचना-प्रसारण मंत्रालय से लेकर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव तक को टैग कर शो पर बैन की मांग की.
India Pakistan Conflict: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव फिर से चरम पर है. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार सख्त रुख अपनाए हुए है. खबरें हैं कि मोदी सरकार पाकिस्तान पर बड़ा हमला करने की तैयारी कर रही है. लेकिन इस बार सवाल ये है कि क्या भारत सिर्फ पाकिस्तानी सेना […]
राहुल गांधी ने इस मुद्दे को जिस तरह उठाया, उसने उन्हें पिछड़े वर्ग और दलित समुदायों के बीच नया चेहरा बना दिया. उन्होंने इसे सामाजिक 'एक्स-रे' बताया है, जो देश की सच्चाई सामने लाएगा. लेकिन बीजेपी का कहना है कि राहुल की मांग सिर्फ सियासी ड्रामा था, और असली काम मोदी सरकार ने किया.
मजदूरों ने अपनी आवाज बुलंद की. सभी ने एक स्वर में कहा, "हमें 8 घंटे काम, 8 घंटे आराम, और 8 घंटे अपने लिए चाहिए." ये मांग इतनी साधारण थी, लेकिन इसे हासिल करना आसान नहीं था.
NIA की टीम ने जांच को और गति देने के लिए हाईटेक उपकरणों का इस्तेमाल शुरू किया है. बैसरन घाटी में हुए हमले के बाद से ही एनआईए ने कई चश्मदीदों के बयान दर्ज किए हैं, जिनके आधार पर आतंकियों की गतिविधियों का एक प्रारंभिक खाका तैयार किया गया है.
कश्मीर में उग्रवाद और आतंक की शुरुआत कोई अचानक नहीं हुई. इसके पीछे सालों पुरानी साजिशें, राजनैतिक चालें और धार्मिक कट्टरता का जहर छिपा है. 1947 में भारत के बंटवारे के बाद से ही पाकिस्तान की नजर कश्मीर पर थी. सबसे पहले उसने 'ऑपरेशन गुलमर्ग' के तहत कबायली लड़ाकों को भेजा, जो कश्मीर पर हमला कर सके.
दिसंबर 2024 में उन्हें फिर से परिवहन विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में नियुक्त किया गया. यही विभाग लगभग 10 साल पहले भी उनके पास था, जब मनोहर लाल खट्टर सरकार ने उन्हें वहां से हटा दिया था.
अब सवाल ये कि पाकिस्तानी नागरिकों के पास ये दस्तावेज आए कहां से? राशन कार्ड और वोटर ID के लिए आधार कार्ड, स्थानीय पता और पहचान पत्र चाहिए. कई बार जो लोग लंबे वक्त से भारत में रहते हैं, वो स्थानीय ऑफिसों से ये दस्तावेज बनवा लेते हैं. लेकिन सिस्टम में ढील और चेकिंग में लापरवाही की वजह से ऐसा हो पाता है.