पीएम मोदी ने यह भी ऐलान किया कि गुजरात के अरावली में 1960 में मिले भगवान बुद्ध के अवशेष श्रीलंका में दर्शन के लिए भेजे जाएंगे. साथ ही, त्रिंकोमाली के थिरुकोनेश्वरम मंदिर को ठीक करने में भारत मदद करेगा.
शरद सिंह का जन्म लड़की के रूप में हुआ था, लेकिन बचपन से ही शरद के अंदर एक पुरुष था. फिर शरद ने लड़का लेने का फैसला लिया और सर्जरी कराई. अब शरद की पत्नी ने एक बेटे को जन्म दिया है. घर में खुशी का माहौल है.
वक्फ बोर्ड की नजर सिर्फ स्मारकों पर ही नहीं, बल्कि आदिवासी इलाकों की जमीन पर भी थी. मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और पूर्वोत्तर राज्यों में वक्फ ने वहां की जमीनों को अपनी संपत्ति बताना शुरू कर दिया था. जबलपुर और छिंदवाड़ा जैसे इलाकों में तो स्थानीय आदिवासी भड़क उठे और आंदोलन तक शुरू हो गए.
शहर के प्रमुख स्थानों पर लगे इन बैनरों में कब्र तक की दूरी साफ-साफ बताई गई है. मिसाल के तौर पर, क्रांतिचौक से 27 किमी, जिला न्यायालय से 26 किमी, बाबा पेट्रोल पंप से 25 किमी, होली क्रॉस स्कूल से 24 किमी, और शरनापुर से 14 किमी. मनसे का मकसद है कि लोग यह जानें कि मराठा इतिहास का एक क्रूर शासक यहीं दफन है.
सुवेंदु ने ममता पर तंज कसते हुए कहा, “पिछले साल 2023 में आपके ‘शांति के लड़ाकों’ ने राम नवमी के जुलूसों पर हमले किए थे. अब हिंदू समाज ने ठान लिया है कि इस बार सड़कों पर उतरकर जय श्री राम के नारे लगाएंगे. हर गाड़ी पर भगवा झंडा लहराएगा.”
क्फ बिल की बहस ने एक नया रिकॉर्ड बनाया. पुराने रिकॉर्ड्स में एक दिन में 14 घंटे से ज्यादा की बहस का जिक्र नहीं मिलता. GST और लोकपाल जैसे सत्र 12-13 घंटे तक चले, लेकिन वक्फ बिल ने उस सीमा को पार कर दिया. हालांकि, प्राचीन डेटा की कमी के कारण इसे 100% निश्चित कहना मुश्किल है. फिर भी, आधुनिक समय में ये निश्चित रूप से सबसे लंबी एकल सत्र बहसों में से एक है.
बाकी देश भी लपेटे में चीन पर 54% टैरिफ के साथ ट्रंप ने साफ कर दिया कि वह अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर होने के बावजूद निशाने पर रहेगा. वहीं, कंबोडिया पर 49%, वियतनाम पर 46%, और यूरोपीय संघ पर 20% टैरिफ लगेगा.
ठाकुर ने दावा किया कि इस विधेयक को व्यापक समर्थन मिल रहा है. कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया, केरल काउंसिल ऑफ चर्चेस, ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच जैसे संगठनों ने इसका स्वागत किया है.
भारत सरकार के मुताबिक, कई इस्लामिक देश ऐसे हैं जहां वक्फ की कोई व्यवस्था नहीं है. इनमें तुर्किये, लीबिया, इजिप्ट, सूडान, लेबनान, सीरिया, जॉर्डन, ट्यूनीशिया और इराक शामिल हैं. यानी इन देशों में न तो वक्फ बोर्ड है और न ही ऐसी संपत्तियों को मैनेज करने का कोई खास सिस्टम.
ललन सिंह ने कहा कि कुछ लोग इसे मुस्लिमों के खिलाफ बताकर देश का माहौल खराब कर रहे हैं. वक्फ कोई धार्मिक संस्था नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक ट्रस्ट है जो मुस्लिम समुदाय के हितों के लिए काम करता है. लेकिन अभी तक वक्फ बोर्ड में पसमांदा मुस्लिमों और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है.