राकेश कुमार

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राकेश कुमार विस्तार न्यूज़ में वरिष्ठ उप संपादक सह संवाददाता के पद पर हैं. यहां वो डेटा स्टोरीज, एक्सप्लेनर के अलावा इन डेप्थ खबरों पर काम करते हैं. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन में मास्टर्स डिग्री हासिल कर चुके राकेश को रिसर्च में इंटरेस्ट है. इन्हें राजनीति के अलावा बिजनेस, मनोरंजन और लीगल न्यूज स्टोरीज पर काम करना पसंद है. काम के इतर बात करें, तो राकेश को खाली वक्त में फिल्में, क्रिकेट खेलने और किताब पढ़ने में मजा आता है. पूर्व में राकेश सहारा समय नेशनल न्यूज़ चैनल, फीवर FM, APN न्यूज़ और भारत एक्सप्रेस जैसे संस्थानों से जुड़े थे.

UP News

यूपी में धार्मिक स्थलों के पास मांस बिक्री पर लगी रोक, योगी सरकार का बड़ा फैसला

योगी सरकार ने स्पष्ट किया है कि धार्मिक स्थलों के पास मांस की बिक्री और अवैध पशु वध पर सख्ती से नियंत्रण रखा जाएगा. 500 मीटर की परिधि के बाहर भी मांस की बिक्री लाइसेंस की शर्तों के तहत ही हो सकेगी.

मुंबई पुलिस के पोर्ट जोन के डीसीपी डॉक्टर सुधाकर पठारे

मुंबई पुलिस के DCP सुधाकर पठारे की सड़क हादसे में मौत, ट्रेनिंग के लिए गए थे हैदराबाद

इस हादसे के बारे में एसपी नगर कुरनूल के आईपीएस अधिकारी वैभव गायकवाड़ ने पुष्टि की. उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र के आईपीएस अधिकारी सुधाकर पठारे और उनके सहकर्मी की सड़क दुर्घटना में मौत की खबर सुनकर गहरा दुख हुआ. मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं."

प्रतीकात्मक तस्वीर

हर महीने 12 हजार रुपये जमा करके 25 साल में बन सकते हैं करोड़पति! जानिए कैसे

PPF एक सरकारी स्कीम है, जो पूरी तरह से सुरक्षित है. आपको ब्याज की दर का पूरा भरोसा रहता है, जो शेयर बाजार की तरह अस्थिर नहीं है. PPF में जमा की गई राशि और अर्जित ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता.

Tukaram Omble

कसाब को जिंदा पकड़ने वाले वीर Tukaram Omble का बनेगा स्मारक, महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला

कर दी है, जिससे काम जल्द शुरू हो सके. कैसे पकड़ा गया था कसाब? 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले के दौरान, जब पूरा शहर दहशत में था, तुकाराम ओंबले ने अपनी जान की बाजी लगाकर अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा था. उस दिन, कसाब और उसके साथी आतंकवादी छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (CST) स्टेशन पर अंधाधुंध गोलीबारी कर रहे थे.

Sambhal Tantrik Gang

‘मीडिया’, ‘कारीगर’ और ‘आर्टिकल’ जैसे कोड वर्ड…संभल में ‘हवशी तांत्रिकों’ का भंडाफोड़, कारनामे जान हो जाएंगे हैरान!

गिरोह के सदस्य कोड वर्ड का इस्तेमाल करते थे, जो दिखाता था कि यह सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा था. गैंग में तीन मुख्य कोड वर्ड थे, 'मीडिया', 'कारीगर' और 'आर्टिकल'. इन कोड वर्ड्स का इस्तेमाल गिरोह के विभिन्न सदस्यों के कार्यों को छिपाने के लिए किया जाता था.

Myanmar Earthquake

कभी ‘मैत्री’ तो कभी ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’…अपने पड़ोसी मुल्कों के लिए हमेशा खड़ा रहता है भारत, इस बार म्यांमार-थाईलैंड को किया सपोर्ट

2015 में नेपाल में आए भूकंप ने वहां भारी तबाही मचाई. उस वक्त भारत ने 'ऑपरेशन मैत्री' शुरू किया. भारतीय सशस्त्र बलों ने नेपाल में बचाव और राहत कार्यों को हाथ में लिया. भारत ने ना सिर्फ राहत सामग्री भेजी, बल्कि 43,000 से ज्यादा भारतीयों को नेपाल से सुरक्षित निकालने का काम भी किया.

Dhari Devi Temple

उत्तराखंड के इस मंदिर में दिन में 3 बार बदलता है माता का रूप, नवरात्रि में भक्तों का उमड़ता है सैलाब!

उत्तराखंड के स्थानीय लोग मानते हैं कि 2013 की भीषण बाढ़ का कारण धारी देवी की मूर्ति को उसके स्थान से हटाना था. 16 जून 2013 को जब मूर्ति को स्थानांतरित किया गया, उसी शाम को उत्तराखंड में बाढ़ आ गई थी, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे.

Cyber Fraud

पहले धमकाया, फिर ऐंठे 50 लाख रुपये…कर्नाटक में साइबर ठगों से परेशान बुजुर्ग दंपती ने दे दी जान…दिल दहला देने वाली कहानी!

तनाव इतना बढ़ गया कि दंपति ने अपनी जान देने की ठानी. डियांगो नजरत ने अपनी जान लेने के लिए गला काट लिया, जबकि उनकी पत्नी प्लैवियाना ने जहर खा लिया. दोनों ने एक सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें उन्होंने इस पूरे मामले के बारे में बताया है.

Nepal Protests

‘राजा राज करेगा’…नेपाल में बांग्लादेश जैसे हालात क्यों? सड़कों पर बवाल काट रहे हैं लोग!

अब सवाल यह उठता है कि क्या नेपाल में हालात बांग्लादेश जैसे हो सकते हैं, जहां सरकार के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए थे और कई लोगों की जान गई थी? नेपाल की स्थिति अब तक तो वैसी नहीं हुई, लेकिन अगर हिंसा और असंतोष बढ़ते गए, तो देश में राजनीतिक हालात खराब हो सकते हैं.

Amit Shah

BJP में जोश, नीतीश को सुकून और चुनावी दांव-पेंच…आज से बिहार में ऐसे लालू-तेजस्वी की टेंशन बढ़ाएंगे शाह!

अमित शाह का बिहार दौरा एक और वजह भी खास है, और वह है नीतीश कुमार के नेतृत्व को लेकर चल रही असमंजस की स्थिति को खत्म करना. 2022 में एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने 2024 में वापसी की थी, और उनके नेतृत्व को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे थे.

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