कांग्रेस के पप्पू के साथ ‘खेला’, कन्हैया के अरमानों पर फिरा पानी… लालू यादव की चाल से सभी चित!

असल में लालू यादव हरगिज नहीं चाहते कि कन्हैया कुमार बिहार के बड़े नेता बन पायें. ऐसा वो तेजस्वी यादव की वजह से चाहते हैं. अभी तक कन्हैया कुमार जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस के युवा नेता के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन अगर एक चुनाव जीत कर कन्हैया लोकसभा पहुंच जाते हैं, तो उनके भाषणों से बार बार सुर्खियां बन सकती हैं.
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Lok Sabha Election 2024: विपक्ष के इंडिया गुट ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए बिहार में सीट-बंटवारे के समझौते पर मुहर लगा दी. राजद पूर्णिया और हाजीपुर समेत 26 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. कांग्रेस किशनगंज और पटना साहिब सहित 9 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि वाम दल 5 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. महागठबंधन में जिन सीटों पर पेंच फंसा था और सीटों का बंटवारा नहीं हो पा रहा था, उनमें पूर्णिया, बेगुसराय और कराकाट और कटिहार शामिल है. कांग्रेस अपने युवा नेता कन्हैया कुमार को बेगुसराय से चुनाव लड़ाना चाहती थी. लेकिन आरजेडी किसी भी हाल में यह सीट छोड़ने को तैयार नहीं हुई, हालांकि, यह सीट वाम दल को दे दिया गया है. पूर्णिया का भी यही हाल हुआ. पूर्णिया सीट के लिए पप्पू यादव ने अपनी पार्टी जन अधिकार पार्टी का विलय कांग्रेस में कर लिया, लेकिन सीटों के बंटवारे से पहले ही आरजेडी ने पार्टी सिंबल बीमा भारती को दे दिया.

कन्हैया को क्यों नहीं चाहते लालू?

असल में लालू यादव हरगिज नहीं चाहते कि कन्हैया कुमार बिहार के बड़े नेता बन पायें. ऐसा वो तेजस्वी यादव की वजह से चाहते हैं. अभी तक कन्हैया कुमार जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस के युवा नेता के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन अगर एक चुनाव जीत कर कन्हैया लोकसभा पहुंच जाते हैं, तो उनके भाषणों से बार-बार सुर्खियां बन सकती हैं. हालांकि, कन्हैया अब न सिर्फ जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष हैं बल्कि अब उनका कद राजनीति में दिन प्रतिदिन बढ़ता जा है. कांग्रेस में कन्हैया का कद खूब बढ़ा है. कांग्रेस की रणनीति बनाने में कन्हैया कुमार की भूमिका रहती है. कांग्रेस ने महागठबंधन के तहत बेगुसराय सीट की मांग की थी, लेकिन यह सीट कांग्रेस के खाते में नहीं आई.

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लालू यादव को बेटे तेजस्वी की चिंता!

लालू यादव को अपने बेटे तेजस्वी यादव की चिंता है और वो नहीं चाहते कि उनके बेटे के कद का कोई भी युवा बिहार और देश की राजनीति में नाम कमाएं. सूत्रों के मुताबिक, शायद इसलिए लालू यादव ने बिहार के बेगूसराय सीट से कन्हैया के नाम पर आपत्ति जता दी. वहीं बेगूसराय लोकसभा सीट पर कांग्रेस जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को चुनाव लड़ाना चाहती थी. वैसे कन्हैया कुमार यहां से 2019 में भी सीपीआई के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. तब उन्हें बीजेपी की गिरिराज सिंह से मुंह की खानी पड़ी थी.

कन्हैया कुमार के कांग्रेस ज्वाइन करने पर लालू यादव की नाराजगी तब सामने आई जब 2021 में बिहार की दो सीटों पर उपचुनाव हो रहे थे, तारापुर और कुशेश्वर स्थान, तब के कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास के बारे में पूछे जाते ही लालू यादव फूट पड़े, और उनके ‘भकचोन्हर तक कह डाले. खूब विवाद हुआ. कांग्रेस नेतृत्व के भी नाराज हो जाने की खबर आई और मामला इतना खराब हो गया कि लालू यादव को सोनिया गांधी से फोन पर बात कर सफाई देनी पड़ी, तब जाकर पैचअप हो सका.

कांग्रेस के पप्पू के साथ हुआ ‘खेला’

बता दें कि कांग्रेस पार्टी में विलय करने से एक दिन पहले पप्पू यादव ने लालू यादव और तेजस्वी से भी मुलाकात की थी. माना जा रहा था कि राजद भी उनकी उम्मीदवारी को लेकर सहमत है. फिर बीमा भारती ने जदयू छोड़ राजद ज्वाइन कर ली और इसके बाद से पप्पू यादव की राह और मुश्किल हो गई.

फिर अचानक लालू यादव ने बीमा भारती को पूर्णिया लोकसभा सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया. ऐसे में इसे पप्पू यादव को बड़ा झटका लगा. पप्पू यादव की इस पॉलिटिकल सिचुएशन में हर किसी को वो कहावत याद आ रही है- “ना घर के रहे ना घाट के”. पप्पू यादव ने बीते दिनों एक्स पर पोस्ट किया था- “मर जाएंगे कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे… दुनिया छोड़ देंगे, पूर्णिया नहीं छोड़ेंगे”. अब सीट बंटवारे के तहत पूर्णिया और मधेपुरा राजद के खाते में चली गई है. अब देखना ये होगा कि पप्पू यादव आगे क्या करते हैं.

 

 

 

 

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