आज 29 नवंबर को चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी को लेकर ICC की मीटिंग में कोई रास्ता नहीं निकल पाया है. चैंपियंस ट्रॉफी कहां होगी और किस मॉडल पर होगी, इस बात का आखिरी फैसला कल होगा.
भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ श्रीलंका, न्यूजीलैंड और साउथ अफ्रीका भी फाइनल की रेस में शामिल हैं. वहीं पाकिस्तान, इंग्लैंड, वेस्टइंडीज और बांग्लादेश इस दौड़ से बाहर हो चुकी हैं. WTC फाइनल जून 2025 में लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर खेला जाएगा.
ICC मीटिंग में यह तय किया जाएगा कि टूर्नामेंट को हाइब्रिड मॉडल के तहत आयोजित किया जाएगा या नहीं. यदि पाकिस्तान अपने रुख पर कायम रहता है, तो ICC के पास टूर्नामेंट को किसी दूसरे देश में शिफ्ट करने का ऑप्शन होगा.
विराट कोहली ने एडिलेड ओवल के मैदान पर अब तक 11 इंटरनेशनल मैच खेले हैं और कुल 957 रन बनाए हैं. अगर वह दूसरे टेस्ट मैच में 43 रन और बना लेते हैं, तो वह इस मैदान पर इंटरनेशनल क्रिकेट में 1000 रन पूरे करने वाले पहले विदेशी बल्लेबाज बन जाएंगे.
कोहली कप्तानी नहीं करते हैं तो टीम के पास रजत पाटीदार, क्रुणाल पंड्या, और भुवनेश्वर कुमार जैसे विकल्प मौजूद हैं. विशेष रूप से रजत पाटीदार की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है.
भारतीय टीम के कप्तान जसप्रीत बुमराह आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में नंबर वन बन गए हैं. बुमराह पहले तीन नंबर पर थे, अब 833 रेटिंग पॉइंट के साथ पहले मंबर पर आ गए हैं. ये बुमराह की ऑल टाइम रेटिंग हैं.
भारत ने पहले ही पाकिस्तान में खेलने को लेकर अपनी असहमति जाहिर कर दी थी. मौजूदा स्थिति भारत के इस रुख को और मजबूत करती है. अब ऐसा लग रहा है कि टूर्नामेंट हाइब्रिड मॉडल पर आयोजित किया जाएगा, जिसमें कुछ मैच पाकिस्तान में और बाकी किसी अन्य देश में हो सकते हैं.
कुछ क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि रोहित शर्मा अगर मिडिल ऑर्डर (5वें या 6वें नंबर) पर बल्लेबाजी करें, तो टीम के लिए यह रणनीति ज्यादा प्रभावी हो सकती है. पर्थ टेस्ट में केएल राहुल ने रोहित की गैरमौजूदगी में ओपनिंग की और 26 व 77 रनों की पारियां खेलकर अपनी उपयोगिता साबित की थी.
बैन का कारण डोप परीक्षण के लिए नमूना ना देना है. बजरंग ने नेशनल टीम के चयन ट्रायल के दौरान सैम्पल देने से इनकार कर दिया था. यह बैन 23 अप्रैल 2024 से प्रभावी होगा.
वैभव सूर्यवंशी के क्रिकेट में करियर बनाने की शुरुआत एक साधारण से गांव में हुई थी, जहां बच्चों के पास ना तो आधुनिक सुविधाएं थीं, ना ही क्रिकेट के लिए उचित संसाधन. लेकिन, वैभव के पिता संजीव सूर्यवंशी ने कभी भी अपने बेटे के सपनों को टूटने नहीं दिया.