CG News: बलात्कारी असहाय महिला की आत्मा को अपमानित करता है- हाई कोर्ट

CG News: पीड़िता की मां ने अपनी बेटी की असामान्य स्थिति देखा, उसे परेशान अवस्था में पाया और पूछताछ करने पर बच्ची ने हमले का भयानक विवरण बताया. मां ने तुरंत टिकरापारा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई.
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CG News: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पांच वर्षीय बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न के दोषी पाए गए व्यक्ति की सजा और दोषसिद्धि को बरकरार रखा है. मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल के फैसले में न्यायालय ने अपराध की गंभीरता और पीड़िता को हुए मानसिक नुकसान पर जोर दिया. न्यायालय ने दोहराया कि यौन उत्पीड़न की पीड़िता, विशेष रूप से नाबालिग की गवाही को, पुष्टि के अभाव में भी, महत्व दिया जाना चाहिए. मामला 22 नवंबर, 2018 की एक घटना से संबंधित है, जब नाबालिग पीड़िता छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक स्थानीय दुकान पर चॉकलेट खरीदने गई थी. दुकान के मालिक ने उसे मिठाई देने के बहाने अपने घर में बुलाया और फिर उसका यौन उत्पीड़न किया.

पीड़िता की मां ने अपनी बेटी की असामान्य स्थिति देखा, उसे परेशान अवस्था में पाया और पूछताछ करने पर बच्ची ने हमले का भयानक विवरण बताया. मां ने तुरंत टिकरापारा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. उसकी लिखित शिकायत के आधार पर, एक प्राथमिकी दर्ज की गई, और अगले दिन दुकान के मालिक को गिरफ्तार कर लिया गया. जांच में चिकित्सा परीक्षा, फोरेंसिक विश्लेषण और सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयान शामिल थे. मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376एबी और 376(2)(एन) के तहत मुकदमा चलाया गया, जो 12 साल से कम उम्र की नाबालिग के साथ बलात्कार और बलात्कार के बार-बार होने वाले कृत्यों से संबंधित हैं. बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि परिवारों के बीच पहले से मौजूद विवाद के कारण आरोप गढ़े गए थे. हालांकि, अदालत ने इन दलीलों को खारिज कर दिया, यह देखते हुए कि पीड़िता की गवाही सुसंगत और विश्वसनीय थी.

ट्रायल कोर्ट ने पीड़िता की गवाही, मेडिकल रिपोर्ट और फोरेंसिक निष्कर्षों सहित प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराया था. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मामले की समीक्षा करने के बाद निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा और धारा 376एबी के तहत 20 साल के कठोर कारावास और धारा 376(2)(एन) के तहत अतिरिक्त 10 साल की सजा की पुष्टि की, जिसे एक साथ पूरा किया जाना था.

फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने पीड़िता के मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर बलात्कार के गंभीर प्रभाव पर प्रकाश डाला और कहा, “बलात्कार केवल शारीरिक हमला नहीं है; यह अक्सर पीड़िता के पूरे व्यक्तित्व को नष्ट कर देता है. एक बलात्कारी असहाय महिला की आत्मा को अपमानित करता है.

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