बदलते बस्तर की तस्वीर! नक्सलियों के गढ़ में जमकर हुई वोटिंग, 5 KM पहाड़ों से उतरकर लोगों ने डाला वोट

CG Panchayat Election: छत्तीसगढ़ में आज पंचायत चुनाव के लिए वोटिंग पूरी हो गई है. लोगों ने अपने गांव की सरकार के लिए वोट डाल दिया. वहीं इस पंचायत चुनाव में बदलते बस्तर की तस्वीर भी दिखी, जहां घोर नक्सल इलाकों में जमकर वोटिंग हुई. लोगों ने पहाड़ों से उतरकर वोट डाला.
CG Panchayat Election

बस्तर में हुई बंपर वोटिंग

CG Panchayat Election: छत्तीसगढ़ में आज पंचायत चुनाव के लिए वोटिंग पूरी हो गई है. लोगों ने अपने गांव की सरकार के लिए वोट डाल दिया. वहीं इस पंचायत चुनाव में बदलते बस्तर की तस्वीर भी दिखी, जहां घोर नक्सल इलाकों में जमकर वोटिंग हुई. लोगों ने पहाड़ों से उतरकर वोट डाला.

नक्सलियों के गढ़ जमकर हुई वोटिंग

बस्तर के अंदरूनी इलाकों में चुनाव कराना बहुत बड़ी चुनौती मानी जाती है, क्योंकि यहां नक्सलीयों के खौफ के चलते न ही कोई चुनाव लड़ता था और न ही कोई वोट डालता था, लेकिन अब नक्सलियों के बुलेट पर लोकतंत्र का बैलेट भारी है. सुकमा और बीजापुर जिले के 130 से अधिक मतदान केंद्रों में 40 साल बाद मतदान हो रहा है. खूंखार नक्सली कमान्डर हिडमा के खौफ के चलते यहां लोकतंत्र के लिए कोई जगह नहीं थी, लेकिन जवानों के लगातार कैम्प खोलने से… घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में भी वोटिंग हो रही है.

बदलते बस्तर की नई तस्वीर

नक्सल दहशत के ऊपर लोकतंत्र पर विश्वास की है. पहली तस्वीर बस्तर जिले के अंतिम छोर पर बसे गांव कोलेंग की है. कभी ये गांव नक्सलियों का मजबूत गढ़ था. साल 2016 में नक्सलियों ने इलाके के जनपद सदस्य की गांव के बीचों-बीच हत्या कर दी, क्योंकि पूर्व सरपंच और जनपद सदस्य पांडु गांव तक सड़क पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे. नक्सली जानते थे कि अगर गांव तक सड़क पहुंची तो फोर्स भी पहुंचेगी और साथ में विकास भी. यही वजह है कि ग्रामीणों के बीच अपनी दहशत बरकरार रखने के लिए नक्सलियों ने पांडु की हत्या कर दी. लेकिन अब इलाके की तस्वीर बदल चुकी है. जिस इलाके में कभी नक्सली दहशत थी वहां अब लोकतंत्र पर विश्वास है. और इसी विश्वास की तस्वीर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान नजर आई. जब कोलेंग गांव के प्राथमिक शाला के सामने ग्रामीण बड़ी संख्या में अपने मताधिकार का प्रयोग करने पहुंचे, ताकि वो अपने गांव की सरकार चुन पाएं.

CG Panchayat Election 2025: नक्सलियों के गढ़ में जमकर हुई वोटिंग | Sanjay Thakur | Vistaar Digital

बस्तर में आ रहे बदलाव की तस्वीर दिखाने विस्तार न्यूज बस्तर जिले के अंतिम छोर तक गया… छिंदनार, कोलेंग, चांदामेटा जैसे इलाकों में नक्सली कुछ साल पहले तक अपना ट्रेनिंग सेंटर चलाते थे. इलाके का नेता यदि विकास की बात करे तो उसकी हत्या कर देते थे. गांव के सरपंच, जनपद सदस्य जैसे कई नेताओं की हत्या नक्सलियों ने बीच बाजार की है, लेकिन अब इलाके की तस्वीर बदल गई है. पंचायत चुनाव में इस गांव के लोगों ने नक्सल दहशत से ऊपर उठकर लोकतंत्र पर विश्वास जताया.

जहां हुई सरपंच की हत्या, वहां लोगों ने दिखाई हिम्मत

जिला मुख्यालय जगदलपुर से करीब 60 किलोमीटर दूर बसा है छिंदनार गांव, बस्तर जिले का अंतिम छोर और बस्तर जिले में नक्सलियों का अंतिम ठिकाना भी. इस गांव के बाद ओडिसा राज्य की सीमा शुरू हो जाती है. इस इलाके में एक गांव है कोलेंग. घने जंगलों के बीच ऊंची पहाड़ियों पर बसा, इस गांव तक पहुंचने के लिए कुछ साल पहले तक सड़क भी नहीं थी. गांव के जनपद सदस्य पांडु ने सड़क बनवाने की कोशिश की तो साल 2016 में नक्सलियों ने गांव के बीचों बीच उसकी हत्या कर दी, लेकिन आज उसी कोलेंग गांव के ग्रामीण पोलिंग बूथ के बाहर लंबी कतार लगाए खड़े हैं, क्योंकि वो वोट देकर अपने गांव की सरकार बनाना चाहते हैं, ताकि गांव में विकास हो.

5 KM पहाड़ों से उतरकर लोगों ने डाला वोट

कांकेर जिले के 3 विकासखंड कांकेर, चारामा और नरहरपुर में मतदान हो रहा है. विस्तार न्यूज की टीम कांकेर विकासखंड के नक्सल प्रभावित इरदाह मतदान केंद्र पहुंची. जहाँ सुरक्षा के लिहाज से काफी संख्या में जवान तैनात है. मतदाताओं से बात करने पर मतदाओं ने बताया कि गांव में पेयजल की काफी समस्या है. जीवलामरी जो कि पहाड़ी पर बसा गांव है. यहाँ से मतदान के केंद्र की दूरी 5 किलोमीटर है. पहाड़ी जंगलो से उतर कर वह मतदान करने पहुंचे है. यह आज तक सड़क नहीं बन पाई है. पीने को पानी नहीं है. झरिया का पानी पीने को मजबूर है. राशन ले जाना हो या गांव में किसी की तबियत खराब होने पर वाहन भी नहीं पहुंच सकता. रास्ता नहीं होने के कारण गांव आज भी पिछड़ा हुआ है.

Panchayat Election: Naxal प्रभावित गांव के लोगों ने 5 KM पहाड़ों से उतरकर voting की | Tameshwar Sinha

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