Chhattisgarh: बस्तर में इकलौता ऐसा नाग मंदिर जहां पीरियड्स से जुड़ी बीमारियां ठीक करने की मांगते हैं मन्नत, जानिए पूरी कहानी
Chhattisgarh News: बस्तर में इकलौता ऐसा नाग मंदिर है, जहां नाग देव भक्तों को दर्शन देने के लिए आते हैं. यहां खुजली की बीमारी भी ठीक होती है. यह मंदिर दंतेवाड़ा जिले के गीदम-बारसूर मुख्य मार्ग में हैं . मान्यता है कि इस मंदिर में खुजली की बीमारी ठीक हो जाती है. इसके साथ ही दूर-दुर से आने वाले लोग निःसंतान, घरेलू कलह, मासिक धर्म (पीरियड्स) से जुड़ी समस्या को लेकर मन्नत मांगते हैं, जो पूरी भी होती है. यहाँ हर साल नाग पंचमी के दिन मेला भरता है.
छत्तीसगढ़ में शेषनाग की 11 सौ साल पुरानी मूर्ति
कहा जाता है कि बस्तर में 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच छिंदक नागवंशीय राजाओं का शासन था. वे नागों की पूजा किया करते थे. प्रजा भी नागों की उपासक बनी। इस लिए इलाके में नाग के प्रति आज भी लोगों में आस्था है। छिंदकनागवंशीय राजाओं ने नाग देवता की अनद्धुत मूर्तियां बनवाई थी. जिसमें जोड़ा यानी शेषनाग की मूर्ति आज भी है। इसी मूर्ति को नागफनी मंदिर में स्थापित किया गया है। इसके साथ ही 13वीं शताब्दी की ही सूर्य देव, भगवानराम-लक्ष्मण, भोलेनाथ, भगवाम कृष्ण और बलराम की भी अद्धत मूर्तियां स्थापित हैं. इसके अलावा मंदिर में अलग-अलग प्रजातियों के सांपों की तस्वीरें भी लगी हैं. कहा जाता है कि इन सांपों की इलाके में बहुतायत है.
नाग देवता की हत्या करने पर दिया जाता है दंड
भक्त अपनी मान्यता मुताबिक यहां चढ़ावा करते हैं. यहां के जंगलों में नागों को संरक्षण मिला हुआ है. जो नाग देवता की हत्या करता है उसको दंडित किया जाता है. मंदिर के पुजारी ने कहा, ‘मेरे पूर्वज इस मंदिर में पुजारी थे. साल 2007 से मैं पूजा कर रहा हूँ. ऐसा ज्यादातर सोमवार के दिन होता है जब नागदेव समय-समय पर भक्तों को दर्शन देने आते रहते हैं. इस मंदिर परिसर में जोड़ा नाग भी देखे गए हैं. नाग ने मंदिर में कभी भी किसी को कोई नुकसान नही पहुंचाया. पुजारी ने कहा, ‘पास के ही एक गांव घोटपाल के पूरे परिवार को खुजली की बीमारी हुई थी. परिवार ने मंदिर में मन्नतमांगी, बीमारी ठीक हो गई.
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यहां पीरियड्स से जुड़ी बीमारियां ठीक करने मांगते है, मन्नत
जिन महिलाओं को मासिक धर्म की समस्या रहती है, वे भी यहां मन्नत मांगती हैं. पुजारी की माने तो यहां बीमारियों के अलावा पारिवारिक समस्या भी दूर होती है. निःसंतान दंपती भी यहां संतान के लिए मन्नत मांगते आते हैं. नाग पंचमी के दिन यहां कई कार्यक्रम होते हैं. पुजारी ने कहा, ‘जाने अनजाने अगर कोई नाग को मार देता है, तो उनके परिवार में किसी न किसी तरह की विपत्ति आती है. वे इस मंदिर में आते हैं, क्षमा मांगते हैं और फिर बदले में अपनी इच्छा अनुसार पीतल, चांदी या फिर अन्य किसी धातु से बना सांप चढ़ाते है.
इतिहास में मिलता है, छिंदक नागवंशीय राजाओं का प्रमाण
नाग मंदिर से जुडे इतिहास के जानकार कहते हैं, “बारसूर छिंदक नागवंशीय राजाओं की राजधानी रही है. नागफनी गांव उसका प्रवेश द्वार है. नागवंशीय राजाओं को नाग शासक कहा जाता था. अपने शासनकाल के दौरान उन्होंने कई मंदिरों का निर्माण कराया था। इसका प्रमाण इतिहास में भी मिलता है.