Chhattisgarh: जिला सहकारी बैंक में 2.47 करोड़ का बड़ा घोटाला, पुलिस को सिर्फ 14 लाख की दी जानकारी

Chhattisgarh News: जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर घोटाले का गढ़ बन चुका है. घुटकू, रानी गांव, तोरवा, धूमा समेत कई ब्रांचो में 50 करोड़ से अधिक की आर्थिक गड़बड़ी सामने आ चुकी है. फिलहाल मामले में सीबीआई जांच जारी है लेकिन जो ताजा मामला है, वह और हैरान करने वाला है.
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Chhattisgarh News: जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर घोटाले का गढ़ बन चुका है. घुटकू, रानी गांव, तोरवा, धूमा समेत कई ब्रांचो में 50 करोड़ से अधिक की आर्थिक गड़बड़ी सामने आ चुकी है. फिलहाल मामले में सीबीआई जांच जारी है लेकिन जो ताजा मामला है, वह और हैरान करने वाला है. बिलासपुर के तोरवा में मंडी ब्रांच पर एक महिला कैशियर ने अकेले 2 करोड़ 47 लाख का घोटाला किया है, जिसे 123 किसानों के खातों से उनके फर्जी दस्तखत कर बैंक की रकम गबन कर ली है. मामले में बैंक प्रबंधन स्थिति कोतवाली थाने में जुर्म दर्ज करवाया है लेकिन इसमें भी बैंक अधिकारियों का बड़ा खेल सामने आया है. साल 2016 से 2022 तक जिस तरह से धीरे-धीरे किसानों के खातों से कैशियर ने पैसे निकाले हैं वह रकम बड़ी है लेकिन बैंक की तरफ से सिटी कोतवाली पुलिस को दी गई सूचना में सिर्फ 14 लाख रुपए का गबन बताया गया है. यही वजह है कि महिला कैशियर को न सिर्फ थाने बल्कि कोर्ट कचहरी से बचने के लिए पूर्व के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों ने इस बड़ी गड़बड़ी को अंजाम तक पहुंचाया है. इस गड़बड़ी को कुछ महीने पहले आए नए मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुनील सोनी ने पकड़ ली है और अब उन्होंने इस मसले पर फिर से सिटी कोतवाली पुलिस को वह सारी जानकारी उपलब्ध कराने की बात कही है, जो पिछले दौर में दबा दी गई थी, उन्होंने बैंक के विधि विभाग को वह सारी दस्तावेज तैयार करने जो ऑडिट रिपोर्ट में सामने आए हैं और बैंक में हुई गड़बड़ी के सबूत है उन्हें फिर से एकत्रित कर पुलिस को देने और हाई कोर्ट में महिला कैशियर का जमानत निरस्त करने की तैयारी की है ताकि उन 123 किसानों को न्याय मिल सके जिनके पैसों को निकाल कर महिला कैशियर ने गवन किया है और इसके कारण बैंक की आर्थिक स्थिति पूरी तरह खराब होती जा रही है.

जानिए क्या है पूरा मामला

साल 2016 से 2022 के बीच तोरवा मंडी ब्रांच में खुशबू शर्मा नाम की महिला कैशियर ने धीरे-धीरे बैंक को खोखला करना शुरू किया। किसी को पता नहीं चल यह सोचकर उन्होंने अलग-अलग किसानों के खातों से धीरे-धीरे पैसे निकाले और उसे हड़पती गई। जब मामला सामने आया तो पूर्व के अधिकारी चौंक गए और उन्होंने इसकी जांच शुरू करवाई. बैंक में ऑडिट की टीम पहुंची और पूरा मामला सामने आया तब यह बात पता लगी कि यहां दो करोड़ 47 लाख रुपए गायब है और 123 किसान सालों से परेशान हो रहे हैं, हालांकि बैंक प्रबंधन ने किसानों को पैसे देने की बात तो कही है लेकिन उन्हें कई महीनो तक खुद के पैसों के लिए भटकना पड़ा है.

20 से अधिक ब्रांच में पैसों की कमी

सहकारी केंद्रीय बैंक में घोटाले का असर यह हो रहा है कि बैंक और ब्रांचो में आर्थिक स्थिति पूरी तरह प्रभावित हो गई है. कहीं किसी बैंक में किसानों को 2 से 3 घंटे तो कहीं किसी बैंक में 2 से 3 दिन पैसों के लिए चक्कर लगाना पड़ रहा है. ब्रांच के अधिकारी कभी सर्वर डाउन तो कभी कोई दूसरा बहाना कर उन्हें उनके खुद के पैसों को देने के लिए टाल जा रहे हैं. कुल मिलाकर जिन बैंकों में घोटाले हुए हैं उन बैंकों में पैसों की कमी है और धीरे-धीरे वहां कोई और तरह की गड़बड़ी सामने आ रही है. इन बैंकों में तोरवा, धूमा, रानी गांव, चपोरा, मस्तूरी, सोन लोहरसी, गुड़ी जैसे कई ब्रांच के नाम शामिल हैं, जहां के हजारों किसान सहकारी बैंक में पैसों को पाने के लिए चक्कर लगा रहे हैं और उन्हें बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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5 लाख किस है खाता धारक

सहकारी केंद्रीय बैंक के आंकड़ों की माने तो यहां 5 लाख किस उनके खाता धारक हैं, लेकिन यहां सबसे बड़ी समस्या एटीएम की सुविधा ठीक तरह से संचालित नहीं होने को लेकर आ रही है. सहकारी केंद्रीय बैंक के मुख्य ब्रांच में एटीएम के नाम पर भी 50 लाख रुपए से ज्यादा की गड़बड़ी सामने आ चुकी है, यही वजह है किसानों का भरोसा एटीएम के नाम पर इस बैंक से उठ चुका है और वह ऑफलाइन पैसे लेना पसंद कर रहे हैं. जिसके चलते उन्हें घंटों लाइन में लगती पड़ रही है.

50 से 60 किलोमीटर दूर से आ रहे किसान

सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर के खाताधारक 40 से 50 किलोमीटर दूर से अपने पैसे निकलवाने के लिए आ रहे, लेकिन उन्हें समय पर पैसे नहीं मिल रहे हैं और बैंकों में भी उन्हें कई तरह की तकलीफ हो रही है. किराए पर संचालित हो रहे ब्रांच उस तरह से हाईटेक नहीं हो सके हैं. जिस तरह से होने चाहिए और यही वजह है कि किसानों को अपने पैसे पाने के लिए सरवर के आने और कई तरह की दिक्कत हो का सामना करना पड़ा है.

रसूखदारों को बचाने बड़ा खेल

जिस तरह से बैंकों में 40 से अधिक आरोपी अलग-अलग गड़बड़ी में शामिल है उन्हें बचाने का भी खेल इस तरह से जारी है किसी की जांच में तो किसी के दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर उन्हें बचाने और पुलिस कार्यवाही से अलग रखने की कवायद भी चल रही है. अधिकारियों का कहना है, कि किसानों को न्याय मिलेगा जिसकी तैयारी जारी है।

जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुनील सोनी का कहना है तोरवा मंडी ब्रांच में 2 करोड़ 47 लाख रुपए की आर्थिक गड़बड़ी सामने आई है. साल 2016 में यह गड़बड़ी 14 लख रुपए की थी तब पुलिस को इसकी सूचना दी गई थी. ऑडिट रिपोर्ट में यह गड़बड़ी 2 करोड़ पहुंच गई है. जिसकी सूचना भी जेल सिटी को ताली थाने को भेजी जाएगी. जिन लोगों ने भी इस घटना को अंजाम तक पहुंचा है उनके जमानत को निरस्त करने के लिए भी हाई कोर्ट तक मामला जाएगा.

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