Chhattisgarh News: मैनपाट में दबंगों ने 1000 एकड़ सरकारी जमीन को किया अपने नाम, SDM ने दिए जांच के आदेश

Chhattisgarh News: मैनपाट के कड़राजा, बरिमा, नर्मदापुर और उरंगा गाँव जहाँ की सरकारी जमीन को आदिम जाति सेवा सहकारी समिति के प्रबंधक और अन्य लोगों ने अपने और रिश्तेदारों के नाम तहसीलदार और पटवारी की मिलीभगत से अपने नाम करा लिया. इसके बाद उस जमीन पर धान की खेती होना बताकर समर्थन मूल्य में धान खरीदी भी कर लिया गया तो वहीं अलग अलग लोगों के नाम इसी जमीन के एवज में 100 करोड़ का केसीसी सहित अन्य लोन भी लिया गया.
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दबंगों द्वारा अपने नाम की गई जमीन

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ का शिमला यानि मैनपाट हिल स्टेशन और पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है, इसकी वजह से छत्तीसगढ़ सरकार में रहे कई नेताओं और अफसरों ने यहां जमीन खरीदी है. इसे देखते हुए यहां भू-मफियाओ ने एक हजार एकड़ से अधिक सरकारी जमीन को फर्जी तरीके से अपने नाम पर करा लिया है, और इस जमीन को बंधक रखकर बैंको से 100 करोड़ का लोन लिया है. मामला सामने आने के बाद जहां राजनैतिक दबाव बनाकर इसकी जांच प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है, तो माफिया नेताओं को खुश करने में जुट गए हैं ताकि वे इससे बच निकले. वहीं दूसरी तरफ शिकायत पर मामले की जांच के लिए कमेटी बना दी गई है.

SDM ने दिए जमीन घोटाले की जांच का आदेश

सरगुजा जिले में स्थित मैनपाट में जहां पर्यटन बढ़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ यहां की सरकारी जमीन को हथियाने का खेल राजनैतिक संरक्षण में एक दशक से चल रहा है, गाँव के लोग शिकायत करते हैं लेकिन माफियाओ और इसमें लिप्त अफसरों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं हो पा रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि शिकायतों पर कई बार जांच के आदेश हुए लेकिन उसका कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आया. वहीं अब यहां के एसडीएम रवि राही ने तहसीलदार को जमीन घोटाले पर जांच के आदेश दिए हैं, इस पर तहसीलदार ने अधिकारी व पटवारियों की छह सदस्यों की जांच कमेटी बना दी है.

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दरअसल मैनपाट के कड़राजा, बरिमा, नर्मदापुर और उरंगा गाँव जहाँ की सरकारी जमीन को आदिम जाति सेवा सहकारी समिति के प्रबंधक और अन्य लोगों ने अपने और रिश्तेदारों के नाम तहसीलदार और पटवारी की मिलीभगत से अपने नाम करा लिया. इसके बाद उस जमीन पर धान की खेती होना बताकर समर्थन मूल्य में धान खरीदी भी कर लिया गया तो वहीं अलग अलग लोगों के नाम इसी जमीन के एवज में 100 करोड़ का केसीसी सहित अन्य लोन भी लिया गया. लेकिन जब भूपेश बघेल की सरकार ने किसानों का कर्ज माफ़ किया तो यह कर्ज भी माफ़ हो गया है, ग्रामीणों ने इस दिशा में जांच की मांग की है.

सरकारी निर्माण के लिए भी नहीं बचे जमीन

मैनपाट में जमीन घोटाले की वजह से इन गांवों में अब सरकारी निर्माण कार्यों के लिए जमीन नहीं बचा है. उरंगा गांव में तो वहां के स्कूल की जमीन तक अपने नाम मफियाओ ने दर्ज करा लिया, यहां हुए जमीन घोटाले की शिकायत पर कांग्रेस सरकार के दौरान भी शिकायत हुआ लेकिन तब कांग्रेसी नेताओं के समर्थक फंसने लगे तो जांच आगे नहीं बढ़ी थी. अब एक बार फिर जांच शुरू होने वाला है तो माफिया सत्ताधारी नेताओं से बचने के लिए सहारा ले रहे हैं.

जानिए पटवारियों की साठगांठ से कैसे हुआ जमीन का बंदरबांट?

कडराजा गांव की 300 एकड़ सरकारी जमीन एक परिवार के सदस्यों के नाम पर दर्ज कर दिया गया. पटवारियों ने सरकारी प्लाट का नक्शा काटकर उसे ऑनलाइन भुईया पोर्टल में लोगों के नाम पर दर्ज किया और कुछ गांवों में तो सरकारी जमीन जब लोगों के नाम पर दर्ज हुआ तो उसे बेचा भी गया. वहीं कई लोगों ने बक्साईट माइंस के लिए उस जमीन के एवज में मुआवजा ले लिया, जांच में मुआवजा लेने की बात सही पाई गई, लेकिन कार्यवाही नहीं हुई. सबसे अधिक मैनपाट के कड़राजा, बरिमा, नर्मदापुर, उरंगा के साथ और भी गावों में जमीन का बंदरबांट हुआ है.

एसडीएम रवि राही ने बताया कि जांच के लिए तहसीलदार को लिखा है, जिस पर जांच कमेटी बनी है, कइयों को नोटिस दिया गया है, कार्यवाही की जा रही है. वहीं सरकारी जमीन का मैनपाट में अफरातफरी में शामिल रहे, पटवारियों के खिलाफ अब तक कोई बड़ी कार्यवाही नहीं हुई, कई बार यहां जमीन घोटाले के जांच के लिए आदेश होते हैं लेकिन जांच रिपोर्ट कभी तहसीलदार दफ़्तर तो कभी एसडीएम के दफ़्तर में पड़ा रहता है और कार्यवाही नहीं होती, क्योंकि सरकार किसी पार्टी की बने माफिया उनके ही बन जाते हैं, यही वजह है कि माफिया और अफसर सरकारी जमीन निगल जा जा रहें हैं.

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