Chhattisgarh: चुनाव हारने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बनाई पार्टी के अभियान से दूरी! क्राउड फंडिंग के लिए नहीं मिल रहे पैसे
Chhatisgarh Congress: चुनावी साल में खर्च जुटाना एक बड़ा काम है, कांग्रेस पार्टी के लिए यह काम और मुश्किल होता हुआ दिख रहा है. तीन राज्यों में मिली करारी हार के बाद छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में कांग्रेस की वित्तीय स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है. सामने लोकसभा चुनाव है और ऐसे में कांग्रेस पार्टी देशभर से चंदा जुटाने के लिए कैंपेन चला रही है. लेकिन छत्तीसगढ़ में ये कैंपेन पटरी से उतरता नजर आ रहा है.
हार के बाद कांग्रेसियों ने पार्टी के अभियान से दूरी बनाई!
दरअसल, छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी राष्ट्रीय कैंपेन से कोसों दूर हैं. “डोनेट फॉर देश” कैंपेन में छत्तीसगढ़ का परफॉर्मेंस खराब है. विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद अब कांग्रेसी कार्यकर्ता एक-एक रुपए बचाकर चल रहे हैं. इसलिए अब एक सवाल उठा रहा है कि क्या छत्तीसगढ़ कांग्रेस के पास पैसा नहीं है? मिली जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ कांग्रेस दान देने के नाम मामले में 12वें पायदान पर खड़ी है. जबकि डोनेट करने में राजस्थान पहले नंबर पर, उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर, महाराष्ट्र तीसरे नंबर पर और चौथे नंबर पर पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश है. इसकी पीछे वजह बताई जा रही है कि विधानसभा चुनाव कांग्रेस की करारी हार हुई है. हार के बाद पार्टी का अकाउंट खाली हो गया है.
क्या है “डोनेट फॉर देश” आभियान?
राजनीतिक पार्टियां चुनावी प्रचार के लिए क्राउड फंडिंग करती हैं. चुनाव प्रचार में कई तरह के खर्च आते हैं. पार्टियां उन सभी खर्चों के लिए फंड की व्यवस्था करती हैं. इसे क्राउड फंडिंग भी कहा जाता है और आगामी समय पर लोकसभा का चुनाव है. इसे देखते हुऐ कांग्रेस ने 138 स्थापना दिवस के अवसर पर “डोनेट फॉर देश” नाम से क्राउड फंडिंग शुरू की है. इस अभियान में 18 साल से ऊपर के लोग 138 रुपये, 1,380 रुपये, 13,800 रुपये और 1,38,000 रूपये चंदे रुप में दे सकते हैं. इसकी शुरुआत 18 दिसंबर को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 1 लाख 38 हजार रुपए डोनेट कर की थी.
कांग्रेसियों का पैसा भाजपा के खाते में जा रहा था क्या?
वहीं कांग्रेस ने क्राउड फंडिंग कैंपेन तो शुरू कर दिया, लेकिन डोमेन को रजिस्टर कराना भूल गई. जब कांग्रेस ने कैंपेन लॉन्च किया तब ‘डोनेट फॉर देश’ डोमेन भाजपा के नाम पर रजिस्टर्ड था. चंदा देने के लिए कोई भी पेज क्लिक करता तो भाजपा के डोनेशन पेज पर पहुंच जाता था. हालांकि जब कांग्रेस के बड़े नेताओं को जानकारी मिली, उन्होंने बाद में डोमेन चेंज किया. अब कांग्रेस के आभियान के लिए donateinc.in डोमेन का उपयोग किया जा रहा है. इसके अलावा ऑफलाइन मोड पर भी फंड लिया जा रहा है.
क्या छत्तीसगढ़ कांग्रेस के पास नहीं है फंड?
छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने “डोनेट फॉर देश” राष्ट्रीय अभियान से दूरी बना ली है. विधानसभा चुनाव से पहले हुए सदस्यता अभियान के बाद प्रदेश में कांग्रेस के 19 लाख सदस्य हैं. राष्ट्रीय कांग्रेस ने कांग्रेस के पदाधिकारी को कम से कम 1380 रुपए फंड करने को कहा था. विधायकों से 1 लाख 38 हजार की राशि देने को कहा गया था. लेकिन 13 फरवरी तक कांग्रेस के खाते में सिर्फ 37 लाख के आसपास की राशि पहुंची, जो की मात्रा 2.8% है. फंड को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज का कहना है कि सब व्यवस्थित चल रहा है और किसी भी प्रकार की समस्या नहीं है.
भाजपा और कांग्रेस के खजाने में कितना पैसा?
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म की रिपोर्ट कहती है कि 2021–22 में राष्ट्रीय पार्टियों के पास कुल 8 हजार 829 करोड़ की संपत्ति थी. इसमें भाजपा के पास करीब 70 फीसदी यानी 6 हजार करोड़ रूपये की संपत्ति अकेले थी. वही कांग्रेस के पास 800 करोड़ रूपये की संपत्ति थी. वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का कहना है कि हमेशा से सत्ताधारी पार्टी के पास चुनावी चंदे और फंड विपक्षी पार्टियों से ज्यादा रहता है. सभी राजनीतिक दल क्राउड फंडिंग करते हैं. कांग्रेस ने भी अपने कार्यकर्ताओं के बीच जाकर चंदा मांगने की शुरुआत की है. चंदे में बढ़त की एक बड़ी वजह कॉर्पोरेट घराने होते हैं. कॉरपोरेट घराने उन्हीं को चंदा देते हैं जो सत्ता में रहता है.