Chhattisgarh: बिलासपुर में मलेरिया से 2 दिन में चार बच्चों की मौत, 4 साल में 224 मामले आए पर नहीं जागा स्वास्थ्य विभाग

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में मलेरिया से सिर्फ 2 दिन में चार मौत हो चुकी है. पहले दिन कोटा के टेंगनवाड़ा में जावेद और नावेद नाम के 9 और 13 साल के बच्चे की और दूसरे दिन बेलगहना के गेंदा से लगे सरायपाली गांव में अजय और संजय धुर्वे नाम के दो बच्चों की. कुल मिलाकर 2 दिन में चार मौत और 14 केस सक्रिय हैं.
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मलेरिया से पीड़ित लोग

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में मलेरिया से सिर्फ 2 दिन में चार मौत हो चुकी है. पहले दिन कोटा के टेंगनवाड़ा में जावेद और नावेद नाम के 9 और 13 साल के बच्चे की और दूसरे दिन बेलगहना के गेंदा से लगे सरायपाली गांव में अजय और संजय धुर्वे नाम के दो बच्चों की. कुल मिलाकर 2 दिन में चार मौत और 14 केस सक्रिय हैं. कोटा के जिन क्षेत्रों में मलेरिया फैला है उनमें करहीकछार, परसापनी, सीलपहरी इमलीपारा, पहाड़वैशाली, जैसे गांव शामिल है जहां अलग-अलग लोग मलेरिया से ग्रसित है. सबसे बड़ी बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इन गांव में पहुंचने में नाकाम है यही वजह है कि किसी बच्चे को कावड़ में भरकर कर लाया जा रहा है तो किसी को स्वास्थ्य सुविधा नहीं होने से मृत्यु का सामना भी करना पड़ रहा है. जिले के मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर प्रभात श्रीवास्तव पूरे मामले में फेल हो चुके हैं और यही कारण है की एक के बाद एक-दो दिन में कर मौत हो चुकी है. सबसे बड़ी बात यह है कि यहां कोई जवाब देने वाला भी नहीं है कि आखिर वह ग्राउंड पर क्या प्लान कर रहे हैं, और किस तरह मलेरिया से नियंत्रण का कार्यक्रम संचालित हो रहा है और आखिर यह मौत क्यों हो रही है?

 5 साल में मलेरिया के 224 मामले, इसी साल मौत ज्यादा

बिलासपुर जिले में मलेरिया विभाग के आंकड़े बता रहे हैं कि कैसे जिले का स्वास्थ्य विभाग मलेरिया को लेकर गैर गंभीर है. साल 2020 में 60 लोग इसकी चपेट में आए थे. साल 2021 में 61 लोग साल 2022 में 39 और साल 2023 में 63 लोग इसके शिकार हो चुके हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इस साल बारिश का मौसम शुरू होते ही 14 लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं और चार मौत हो चुके हैं, जबकि पिछले आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में सिर्फ एक व्यक्ति की मौत हुई थी. वह भी तखतपुर का रहने वाला था.

सबसे बड़ा कारण झोलाछाप डॉक्टर

बेलगहना के टेंगन माडा में कल जिन दो बच्चों की मौत हुई. उनका नाम 9 साल का जावेद और 13 साल का नावेद है. वे इरफान अली के बेटे थे. परिवार में मातम छाया हुआ है. स्वास्थ्य सुविधा नहीं होने के कारण माता-पिता ने बच्चों को बुखार आने पर यहां ही संजय गुप्ता नाम की एक झोलाछाप डॉक्टर से बच्चों को दिखाया था और 2 दिन के भीतर ही उन बच्चों की मौत भी हो गई सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इन झोलाछाप डॉक्टरों को इलाज के अनुमति कौन दे रहा है? इसके अलावा शुक्रवार को दोपहर 3:00 बजे जिन बच्चों की मौत की खबर आई है इनका इलाज भी झोलाछाप डॉक्टरों ने किया था. अजय धुर्वे और संजय धुर्वे नाम के जिन दो भाइयों की मौत हुई है उनका इलाज भी किसी झोलाछाप डॉक्टर नहीं किया है इसकी पुष्टि जिले के मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर प्रभात श्रीवास्तव ने फोन पर की है.

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हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव से मांगा जवाब

बिलासपुर हाईकोर्ट में गुरुवार को जावेद और नावेद की मौत के बाद मामले को गंभीरता से लिया है और स्वास्थ्य सचिव से मामले में जवाब मांगा है. इसके बाद कलेक्टर कोटा के उन क्षेत्र तक पहुंचे हैं, जहां मलेरिया फैला हुआ है. सबसे बड़ी बात यह है कि जिन क्षेत्रों पर मलेरिया फैल है. वहां एंबुलेंस जाने तक के लिए सड़क नहीं है बारिश के दिनों में कीचड़ जैसा माहौल है यही कारण है कि कलेक्टर अवनीश शरण को बाइक से उन गांव का दौरा करना पड़ा है.

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी गायब, कौन देगा जवाब?

जिले में मलेरिया से चार बच्चों की मौत हो चुकी है, 14 प्रकरण सामने आ चुके हैं जिनमें कथित तौर पर इलाज चल रहा है, लेकिन बिलासपुर के स्वास्थ्य विभाग में ऐसा कोई भी अधिकारी मौजूद नहीं है जो बात का जवाब दें. विस्तार न्यूज़ जब मौके पर पहुंची तब स्वास्थ्य विभाग की ज्वाइन डायरेक्टर डॉक्टर जेपी आर्य गायब थे. जिले के मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर प्रभात श्रीवास्तव नदारद थे. मलेरिया के नोडल अधिकारी डॉक्टर अनिल श्रीवास्तव नहीं थे. मलेरिया क्षेत्र में मलेरिया कंसलटेंट कृष्णा कुमारी ने यह कहकर कि उन्हें जिले के मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी ने कुछ भी कहने से मना किया है बोलने से इंकार कर दिया. कुल मिलाकर समझा जा सकता है कि बिलासपुर जिले में मलेरिया के हालात बिगड़ने के बाद भी आखिर कोई जवाब देने को क्यों तैयार नहीं या बड़ा सवाल है.

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