Chhattisgarh: बिना प्रक्रिया घर तोड़ने पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक, SDO ने नियमों का पालन किए बिना शुरू कर दी थी कार्रवाई

Chhattisgarh News: हाई कोर्ट में इस मुद्दे पर याचिका दायर की गई. इसमें पिथौरा, जिला महासमुंद के उप-संभागीय अधिकारी (राजस्व) द्वारा 21 मई, 2024 को जारी आदेश को चुनौती दी गई.  आदेश में याचिकाकर्ताओं बिहारी यादव, हेमंत कुमार, रमेश आदि को सार्वजनिक कार्यों के लिए आरक्षित भूमि पर अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया गया था.
Chhattisgarh News

बिलासपुर हाईकोर्ट

Chhattisgarh News: वेकेशन कोर्ट ने गुरुवार को अर्जेंट हियरिंग पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ 30 दिनों तक कोई दबावकारी या प्रतिकूल कार्रवाई नहीं करने का आदेश जारी किया है. शासकीय भूमि पर अतिक्रमण बताते हुए एसडीओ पिथौरा ने प्रक्रिया के बिना कार्रवाई के निर्देश जारी किए थे.

जानिए क्या है पूरा मामला

हाई कोर्ट में इस मुद्दे पर याचिका दायर की गई. इसमें पिथौरा, जिला महासमुंद के उप-संभागीय अधिकारी (राजस्व) द्वारा 21 मई, 2024 को जारी आदेश को चुनौती दी गई.  आदेश में याचिकाकर्ताओं बिहारी यादव, हेमंत कुमार, रमेश आदि को सार्वजनिक कार्यों के लिए आरक्षित भूमि पर अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया गया था. पिथौरा के तहसीलदार ने 3 जून, 2024 को याचिकाकर्ताओं को कब्जा हटाने का नोटिस दिया. नोटिस में तीन दिनों के भीतर निर्माण को हटाने के निर्देश दिए. ऐसा नहीं करने पर निर्माण को ध्वस्त किया जाना था. याचिकाकर्ताओं ने अंतरिम राहत के लिये ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान तत्काल सुनवाई के लिए हाईकोर्ट में आवेदन प्रस्तुत किया. कोर्ट ने आवेदन स्वीकार कर गुरुवार को सुनवाई निर्धारित की. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आनंद शुक्ला और पार्थ श्रीवास्तव ने पक्ष रखा. शासन की ओर से अधिवक्ता अखिलेश कुमार और हस्तक्षेपकर्ता की और से एडवोकेट प्रियांशु गुप्ता ने पैरवी की.

ये भी पढ़ें- बलरामपुर के बरियों बघिमा इलाके में क्रेशर और पत्थर खदान से लोग हो रहे बीमार, घर में रखा खाना भी सुरक्षित नहीं

हाई कोर्ट ने लगाई रोक

जस्टिस दीपक कुमार तिवारी की वेकेशन बेंच में हुई सुनवाई में यह तर्क दिया गया कि,याचिकाकर्ता उक्त भूमि पर 60 से अधिक वर्षों से रह रहे हैं. कथित रूप से अतिक्रमित क्षेत्र में कुल 60 मकान बने हुए हैं, हालांकि, केवल याचिकाकर्ताओं को ही हर हटाने का नोटिस मिला है. याचिका में दावा किया गया कि यह मनमानी और पक्षपात पूर्ण कार्रवाई है. उन्होंने तर्क दिया कि उनके घरों का कुछ हिस्सा नोटिस जारी करने से पहले ही राजस्व अधिकारियों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है.

ज़रूर पढ़ें