Chhattisgarh: हाई कोर्ट ने भिलाई विधायक देवेन्द्र यादव के खिलाफ याचिका पर की सुनवाई, फैसला रखा सुरक्षित

Chhattisgarh News: हाई कोर्ट ने भिलाई नगर से निर्वाचित कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव के निर्वाचन को चुनौती देते हुए पूर्व विस अध्यक्ष और भाजपा उम्मीदवार प्रेमप्रकाश पांडेय द्वारा पेश याचिका पर अपना फैसला आज सुरक्षित रख लिया है.
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Chhattisgarh News: हाई कोर्ट ने भिलाई नगर से निर्वाचित कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव के निर्वाचन को चुनौती देते हुए पूर्व विस अध्यक्ष और भाजपा उम्मीदवार प्रेमप्रकाश पांडेय द्वारा पेश याचिका पर अपना फैसला आज सुरक्षित रख लिया है. याचिका में देवेंद्र यादव पर नामांकन पत्र में आपराधिक केस और संपत्ति की जानकारी छुपाने का आरोप लगाया गया था.

क्या है पूरा मामला?

भाजपा उम्मीदवार प्रेम प्रकाश पांडेय ने एडवोकेट शैलेन्द्र शुक्ला और देवाशीष तिवारी के माध्यम से कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव के खिलाफ चुनाव याचिका पेश कर बताया कि चुनाव आयोग से आपराधिक मामलों और संपत्ति की जानकारी छिपाना प्रावधानों का उल्लंघन है. यदि कोई उम्मीदवार इस तरह की जानकारी छिपाता है, तो उसका निर्वाचन अवैध हो जाता है. यादव ने जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन कर अपनी संपत्ति की जानकारी छिपाई है,साथ ही आपराधिक केस का भी अपने हलफनामें में जिक्र नहीं किया है. इसलिये उनका निर्वाच निरस्त किया जाये. याचिका में कहा गया है कि, रायपुर और बिलासपुर कोर्ट ने देवेंद्र यादव को समन जारी किया था, जिसमें उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया है. गुरूवार को जस्टिस राकेश मोहन पाण्डेय की सिंगल बेंच में हुई सुनवाई में यादव की ओर से एडवोकेट बी पी शर्मा ने 7 , 11 का आवेदन भी पेश किया. सभी पक्षों कि सुनवाई और बहस पूरी हो जाने के कारण कोर्ट ने इस याचिका पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है.

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आयोग को नहीं बनाया पक्षकार

याचिका में यह भी तर्क दिया गया था कि विधायक यादव ने आयोग के दिशानिर्देश और जनप्रतिनिधित्व कानून का खुला उल्लंघन करते हुए संपत्ति के संबंध में महत्वपूर्ण तथ्यों को भी दबाने का प्रयास किया है. प्रमाण में बताया गया है कि, साल 2018-2019 में उन्होंने अपनी आय 2 लाख रुपए बताई थी. फिर नामांकन पत्र जमा करते समय प्रस्तुत शपथ पत्र में भी अपनी दो लाख की आय होना बताया है। इस चुनाव याचिका में जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों को ही प्रमुख आधार बनाया था । इसी कारण चुनाव आयोग को पक्षकार नहीं बनाया गया ।

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