Chhattisgarh: जर्जर स्कूलों को लेकर हाई कोर्ट की टिप्पणी, सरकारी फंड का इस्तेमाल स्कूलों की स्थिति सुधारने में हो रहा है या नहीं?
Chhattisgarh News: स्कूलों के जर्जर भवनों को लेकर खुद संज्ञान याचिका पर हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि जर्जर स्कूलों के लिए स्वीकृत फंड का उपयोग स्कूलों की हालत सुधारने में हो भी रहा है या नहीं? कोर्ट ने शासन और स्कूल शिक्षा सचिव को शपथपत्र पर स्कूल भवनों को ठीक करने की प्रोग्रेस रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है.
अगली सुनवाई 21 अगस्त को निर्धारित की गई है. प्रदेश भर के शासकीय स्कूलों में से अनेक स्थानों पर भवन जर्जर हो चुके हैं. बारिश के समय इनकी हालत और खराब हो जाती है. कुछ सप्ताह पहले ही एक सरकारी स्कूल में बाथरूम का छज्जा किसी छात्र पर ही गिर गया था. इसके अलावा करीब साल भर पहले भी एक छात्र बन रही रसोई के बर्तन से बुरी तरह जल गया था. इस तरह के समाचारों के सामने आने पर हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की है.
मुख्यमंत्री जतन योजना की स्थिति भी स्पष्ट करने के निर्देश
बुधवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डिविजन बेंच में सुनवाई हुई. मुख्यमंत्री शाला जतन योजना में 1837 करोड़ सत्र 2022 – 23 में शासकीय स्कूलों के लिए जारी किए गए हैं. अतिरिक्त महाधिवक्ता ने जब यह जानकारी दी तो चीफ जस्टिस ने कहा कि इस राशि का इस्तेमाल क्या किया गया? उन्होंने कहा कि वास्तव में स्कूलों की स्थिति सुधर रही है या सब कागजों पर ही है. शासन ने कहा कि कलेक्टर अपने डीएमएफ फंड से भी राशि उपलब्ध करा सकते हैं. इस पर डीबी ने कहा कि, एक कलेक्टर कहां-कहां जाएगा? विभाग के जो प्रमुख हैं, शिक्षा सचिव उन्हें मानिटरिंग करना चाहिए कि फंड कहां जा रहा है.
महाधिवक्ता ने दी ये जानकारी
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि शासन द्वारा शपथपत्र में दी गई जानकारी के अनुसार 31मार्च 2024 के पहले सरकार ने जर्जर और सुरक्षित स्कूलों की गिनती कराई थी. इसमें 2 हजार 219 स्कूलों को डिस्मेंटल करना था.