Chhattisgarh: विस्तार न्यूज की खबर का असर, गरियाबंद में फ्लोराइड युक्त पानी पीने के मामले में हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान

Chhattisgarh News: गरियाबंद जिले के देवभोग के नांगलदेही में फ्लोराइड जैसी गंभीर बीमारी फैल रही हैं, जिसके चलते यहां के बच्चों के दांत पीले और बाल सफेद हो गए है.  इस वजह से गांव के लड़के-लड़कियों की शादी तय नहीं हो रही है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व  रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने इसे जनहित याचिका माना हैं.
Chhattisgarh News

बिलासपुर हाईकोर्ट

Chhattisgarh News: गरियाबंद जिले के देवभोग के नांगलदेही में फ्लोराइड जैसी गंभीर बीमारी फैल रही हैं, जिसके चलते यहां के बच्चों के दांत पीले और बाल सफेद हो गए है.  इस वजह से गांव के लड़के-लड़कियों की शादी तय नहीं हो रही है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व  रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने इसे जनहित याचिका माना हैं. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, जिसमें डीबी ने पूछा है कि बीमारी रोकने के लिए शासन स्तर पर क्या प्रयास किया जा सकता हैं. मामले की सुनवाई 14 अगस्त को की जाएगी.

दरअसल, देवभोग तहसील के इस गांव में पीने के पानी में फ्लोराइड जैसी गंभीर बीमारी होने के कारण युवाओं से लेकर बच्चे भी पीड़ित बताए जा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यहां के पानी में इसकी आद्रता 8 गुना अधिक है. फिल्टरेशन संयंत्र लंबे समय से बंद कर दिया गया है. पीने के पानी में सुरक्षित सीमा से 8 गुना अधिक फ्लोराइड की मात्रा पाई गई है. इसे हाईकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की है.

ये भी पढ़ें – धमतरी में 3 साल के बच्चे को उठाकर ले गया तेंदुआ, झाड़ियों में मिले अवशेष

स्थानीय प्रशासन और शासन की उदासीनता पर उठाए सवाल

सोमवार को इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कहा कि रिपोर्ट से स्पष्ट है कि गरियाबंद जिले के बच्चे डेंटल फ्लोरोसिस से पीड़ित हैं.  पानी में फ्लोराइड की सीमा 1.5 पीपीएम पाई गई हैं,  हालांकि, कुछ गांवों में 2021 में पानी की गुणवत्ता परीक्षण में फ्लोराइड का स्तर 4 पीपीएम के आसपास पाया गया. पानी में फ्लोराइड का उच्च स्तर स्केलेटल फ्लोरोसिस, गठिया, हड्डियों की क्षति, आस्टियोपोरोसिस, मांसपेशियों की क्षति, जोड़ों से संबंधित समस्याएं, थकान, किडनी से संबंधित रोग और अन्य पुरानी बीमारियों का कारण बन सकता है. रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि प्रभावित स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के कई प्रयासों के बावजूद, राज्य के अधिकारी पानी से फ्लोराइड को हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. कोर्ट ने इस मामले में स्थानीय प्रशासन व शासन की उदासीनता पर सवाल उठाते हुए चिंता जाहिर की.

हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव से मांगा जवाब

मामले की सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भरत ने कहा कि इस संबंध में राज्य शासन के विभागीय अधिकारियों से चर्चा करेंगे व जरुरी उपाय पर काम करेंगे. जिस पर हाईकोर्ट ने पूरे मामले में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव को जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा है.

ज़रूर पढ़ें