Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में उपभोक्ताओं तक पहुंचने के बजाय राइस मिलों में पहुंचा भारत ब्रांड चावल, 200 करोड़ की हुई हेराफेरी

Chhattisgarh News: केंद्र सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को सस्ते दामों में भारत ब्रांड चावल उपलब्ध कराने की मंशा पर एक मिलर्स, पैकर्स और विक्रेताओं के एक सिडिकेट ने पानी फेर दिया गया है. 29 रुपए किलो में बिकने वाला भारत ब्रांड चावल जिले के उपभोक्ताओं के पास पहुंचने के पहले ही राईस मिलों में पहुंच गया है.
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Chhattisgarh News: केंद्र सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को सस्ते दामों में भारत ब्रांड चावल उपलब्ध कराने की मंशा पर एक मिलर्स, पैकर्स और विक्रेताओं के एक सिडिकेट ने पानी फेर दिया गया है. 29 रुपए किलो में बिकने वाला भारत ब्रांड चावल जिले के उपभोक्ताओं के पास पहुंचने के पहले ही राईस मिलों में पहुंच गया है. यही कारण है कि शहर सहित जिलेभर में सस्ते चावल के आने का इंतजार कर रहे उपभोक्ताओं में अब जबर्दस्त आक्रोश की स्थिति निर्मित हो रही है. मिली जानकारी के अनुसार भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड कृषि उपज के लिए विपणन सरकारी समितियों से संबंधित है. यह कृषि व अन्य वस्तुओं के सहकारी संस्थाओं और सहयोगियों की व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और विपणन के लिए कार्यरत है. कृषि उत्पादों को नामित आउटलेट्स में विक्रय के लिए प्रस्तुत किया जाता है. नाफेड द्वारा इन दिनों उपभोक्ताओं को भारत ब्रांड के नाम पर भारत दाल, भारत चावल तथा आटा उपलब्ध कराया जा रहा है.

राजनांदगांव में विक्रेताओं के माध्यम से शहर व आसपास के क्षेत्र में भारत चावल 29 रुपए किलो की दर पर 10 किलो की बोरी 290 रुपए में, भारत दाल साठ रुपए प्रति किलो की दर पर पांच किलो की बोरी 300 रुपए में तथा भारत आटा साढ़े 27 रुपए की किलो की दर से पांच किलो की पैकिंग में 137 रुपए 50 पैसे में विक्रय किया जाना है. राजनांदगांव शहर में उपभोक्ताओं को केवल भारत आटा सी-मार्ट के माध्यम से विक्रय किए जाने की जानकारी मिली है, परंतु चावल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.

पीडीएस की दुकानों में भी बिक्री नहीं

महंगाई से राहत देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सस्ते दामी पर चावल, आटा और चाल उपलब्ध कराए जाने की कोशिशे जिले में दम तोड़ रही है. केंद्र सरकार ने राशन दुकानों तया सी-मार्ट जैसे संस्थाओं के जरिये इसकी बि‌क्री करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन जिले भर में भारत चावल गायब कर दिया गया है. जिससे उपभोक्ताओं में आक्रोश की निर्मित है.

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कस्टम मिलिंग में खप रहा चावल

भारत सरकार के योजनांतर्गत जनता तक पहुंचने वाले चावल को सीधे राईत मिल को पहुंचाया जा रहा है. राईस मिल द्वारा यह तैयार चावल सेधे कस्टम मिलिग के रूप में फूड कापरिशन ऑफ इंडिया में लेवि के जरिये टूकों के जरिये खरीदा जा रहा है। इस गोरखधंधे को संपादित करने के लिए एक बड़ा ताई प्रोफाइल रैकेट काम कर रहा है. जांच की उठी मांग भारत  चावल सप्लाई में किए गए फर्जीवाड़े की शिकायतें सामने आने के बाद अब जांच की मांग साता उठ रही है. यदि प्रशासन द्वारा नाफेड के जरिये जिले में कितने भारत चावल की सप्लाई अभी तक की गई है और इसका वितरण कहा और कब किया गया इसकी जांच कराई जाए तो चौकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं.
इस बारे में खाद्य अधिकारी ऋषि सोनी राजनादगांव से बात करने पर विस्तार न्यूज को बताया कि चावल मार्कफेड के जरिये आई थी लेकिन राजनादगांव जिले के किसी भी राइस मिल में नही गई. दूसरे जिले के राइस मिल में चली गई है. जिले से ही लगे महाराष्ट्र के कई राइस मिल में पहुंच गई है.

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