Chhattisgarh News: बीजापुर में नक्सलियों ने की 2 ग्रामीणों की हत्या, FIR दर्ज नहीं कराने ग्रामीणों को दी धमकी

Chhattisgarh News: नक्सलियों ने छुटवाई गांव के दो ग्रामीणों जोगा और हूंगा माड़वी की हत्या कर दी है. सूचना मिली है कि मृतकों के परिजनों पर FIR ना करने का दबाव बनाए जाने के कारण पुलिस भी इस संबंध में विस्तार से कुछ नहीं बता पा रही है.
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मृतक ग्रामीण

Chhattisgarh News:Chhattisgarh News: नक्सलियों ने छुटवाई गांव के दो ग्रामीणों जोगा और हूंगा माड़वी की हत्या कर दी है. सूचना मिली है कि माओवादियों ने मृतकों के परिजनों पर FIR ना करने का दबाव बनाया हुआ है, इस कारण पुलिस भी इस संबंध में विस्तार से कुछ नहीं बता पा रही है.अलग-अलग माध्यमों से मिल रही जानकारी के मुताबिक दोनों ग्रामीणों पर पुलिस के लिए मुखबिरी करने के आरोप लगाकर माओवादियों ने दोनों ग्रामीणों के गले घोंटकर उनकी हत्या कर दी है. सूचना यह भी है कि माओवादियों ने दोनों की हत्याएं जन अदालत लगाकर की हैं. छुटवाई गांव अतिमाओवाद प्रभावित क्षेत्र में बसा हुआ एक छोटा सा गांव है और यहां बसने वाले लगभग सभी ग्रामीण आदिवासी समुदाय के हैं. बीते महीने कुटरू के रहने वाले एक ग्रामीण पुसु हेमला का माओवादियों ने अपहरण कर लिया था और दो दिन बाद धारदार हथियार से उसकी हत्या कर दी गई थी.

FIR दर्ज नहीं कराने ग्रामीणों पर दबाव बना रहे नक्सली

इसी महीने मुदवेंदी का 18 वर्षीय एक ग्रामीण नवयुवक गड़िया कुंजाम नक्सलियों के प्रेशर आईईडी की चपेट में आकर बुरी तरह से घायल हो गया था, और 24 घंटे से अधिक समय तक जंगल में अकेला तड़पता रहा. अगले दिन जब ग्रामीणों ने युवक को अस्पताल ले जाना चाहा, अधिक मात्रा में रक्तस्राव हो जाने से उसकी दर्दनाक मौत हो गई थी. गड़िया के मौत के मामले में भी गड़िया के परिजनों की तरफ से FIR नहीं लिखाया गया और आज छुटवाई में हुई दो हत्याओं के बाद भी मृतकों के परिजनों पर नक्सलियों के दबाव की बात पुलिस सूत्रों से मिल रही है. पूर्व में भी इसी तरह के कई मामले जिले के अलग-अलग दुर्गम क्षेत्रों से मिलती रही हैं, बेशक यह बेहद चिंताजनक स्थिति है.

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4 महीने में 10 मामले आए सामने

हाल के चार माह में नक्सलियों के द्वारा हत्याओं के 10 मामले सामने आए हैं, जबकि पुलिस सूत्रों का कहना है कि अगर इन आंकड़ों को वर्षवार देखें तो ऐसी हत्याओं के कई मामले बीहड़ों से बाहर ही नहीं आ पाते हैं. बीते चार माह में नक्सलियों ने अलग-अलग जिलों और घटनाओं में 4 भाजपा नेताओं की हत्याएं कर दी हैं, जबकि मुखबिरी के आरोप या अन्य मामलों में खबर लिखे जाने तक 6 ग्रामीणों की हत्याओं के प्रकरण सार्वजनिक हैं.

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