Chhattisgarh: जंगल में जलाशय को कटीले तार से घेरा, रेंजर ने कहा- कूदकर पानी पीने जाएंगे जानवर

Chhattisgarh News: जलाशय के पास फेंसिंग करते समय कुछ नियमों को भी दरकिनार किया गया है. जलाशय को घेरने के पीछे का मुख्य उद्देश्य क्या रहा अभी तक साफ़ नहीं हो पाया है.
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तांदुला जलाशय

Chhattisgarh: बालोद जिले का जीवन दायिनी तांदुला जलाशय जो कि मानव जीवन के साथ-साथ वन्य प्राणियों के लिए भी महत्वपूर्ण है. लेकिन हाल ही में वन विभाग द्वारा इस जलाशय को चारों ओर से कटीले तार के माध्यम से फेंसिंग कर दिया गया है. लगभग 6 से 8 फीट फेंसिंग होने के बाद सवाल यह उठता है कि आखिर वन्य प्राणी अब जलाशय से पानी कैसे पी पाएंगे. वहीं जंगल में खोदे गए तालाब भी ज्यादातर सूख गए हैं. ऐसे में वन विभाग के रेंजर का अजीबोगरीब बयान सामने आया है, रेंजर ने कहा है कि वन्य प्राणी तार से कूदकर जलाशय तक पहुंच कर पानी पी सकते हैं.

रेंजर का बचकाना बयान

दरअसल तांदूला जलाशय जो कि वन्य क्षेत्र का एक हिस्सा है, यहां पर वन्य प्राणियों का जमावड़ा रहता है. तेंदुए से लेकर हिरण नील गाय अक्सर इस क्षेत्र में देखे जाते हैं. ऐसे में इस जगह को चारों तरफ से घेरने के बाद जलाशय की खूबसूरती घट गई है,  साथ ही भीषण गर्मी में वन्य प्राणियों को तकलीफ भी होने वाली है. पूरे मामले पर रेंजर हेमलता उइके ने जानकारी देते हुए बताया कि वन्य प्राणी फेंसिंग के ऊपर से कूदकर जलाशय तक जा सकते हैं. वन्य प्राणियों के लिए एक जगह रास्ता छोड़ा गया है. रेंजर के बयान सामने आने के बाद अब सवाल यह उठता है कि क्या मूकबधिर जानवर प्यास में फेंसिंग पार कर जलाशय के पास जा पाएंगे या फिर जानवर तार घेरे के खत्म होने का इंतजार करेंगे.

लोगों ने वन विभाग पर उठाए सवाल

पूरे मामले पर यूथ कांग्रेस के शहर अध्यक्ष साजन पटेल ने वन विभाग को घेरा और कहा कि समझ नहीं आता कि आखिर जलाशय के पास क्यों फेंसिंग किया गया है. वन्य प्राणी जलाशय तक अपनी प्यार बुझाने आखिर कैसे पहुंचेंगे.

उन्होंने इस पूरे मामले को सीधे-सीधे जेब भरने का साजिश करार दिया है. वहीं बालोद निवासी तरुण नाथ योगी ने कहा कि इस जगह को हम बचपन से देख रहे हैं पहली बार इसे घेर दिया गया है. हम सुबह वॉक करने आते हैं तो देखते हैं जानवर प्यासे बेबस कटीली तार के बाहर खड़े रहते हैं आखिर इसमें वन्य प्राणियों का भला कैसे होगा.

तालाब भी सूखे

जंगल के बीच में खोदे गए ज्यादातर तालाब सूखे हैं जिसके कारण वन्य प्राणियों को जलाशय तक जाना अनिवार्य है. तालाबों को भरने मानसून का इंतजार करना पड़ेगा और यह तीन महीने का समय वन प्राणियों के लिए घातक हो सकता है. इसके अलावा कुछ नए तालाब बनाए गए हैं वहां पानी का एक बूंद भी नहीं है. जलाशय जो कि पानी का बड़ा स्रोत है उसे अब घेर दिया गया है.

वन्य प्राणियों का विचरण क्षेत्र

जिस जगह को तार से घेरा गया है वह वन्य प्राणियों का विचरण क्षेत्र है, यहां पर नील गाय की बहुलता है और अक्सर देखा जाता है कि तार फेंसिंग में फंसने के कारण आए दिन जानवरों के घायल होने की खबर आती रहती है. अब इस पूरे मामले में वन विभाग का क्या स्टैंड रहता है, इसका सभी को इंतजार है.

बता दें कि जलाशय के पास फेंसिंग करते समय कुछ नियमों को भी दरकिनार किया गया है. जलाशय को घेरने के पीछे का मुख्य उद्देश्य क्या रहा अभी तक साफ़ नहीं हो पाया है. लोगों का कहना है कि वन विभाग को जलाशय के पास फेंसिंग लगाने से पहले जानवरों के लिए पयेजल की सुविधा सुनिश्चित करनी चाहिए थी. यदि पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं कि गई तो आने वाले दिनों में यह वन प्राणियों के लिए घातक हो सकता है.

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