Chhattisgarh: कीचड़ में तब्दील हुआ करोड़ का धान, 17 समितियों में 50 करोड़ का घोटाला, एफआईआर की तैयारी में प्रशासन
Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में जिस धान को सोने की कीमत पर सरकार खरीद रही है, उसे बर्बाद करने का एक अलग तरह का खेल सामने आया है. जिले की बिरकोना, टिकारी, वेद परसदा समेत 17 सोसाइटी में लगभग 50 करोड़ रुपए का धान बर्बाद कर दिया गया है. इस अघोषित तौर पर धान घोटाला भी कहा जा सकता है क्योंकि इसी एक मामले में गोदाडीह समिति में प्रबंधक और बाकी कर्मचारियों के खिलाफ जिला प्रशासन ने फिर भी दर्ज करवा दी है. यहां 1 करोड़ 54 लाख रुपए के करीब का धान गायब है. इसके अलावा अन्य समितियां में भी इसी तरह की गड़बड़ी सामने आ गई है. विस्तार न्यूज़ ने बिलासपुर जिले के कोई धान खरीदी केंद्र का जायजा लिया है. बिलासपुर के बिरकोना धान खरीदी केंद्र पर धान बारिश में इतना भीगा है कि कीचड़ में तब्दील हो चुका है. लोग इस पर से चलकर समिति के भीतर और धान खरीदी केंद्र के भीतर प्रवेश कर रहे हैं. यहां बड़े पैमाने पर किसानों की मेहनत को खराब कर दिया गया है. हनुमान के मुताबिक यहां भी 50 लाख रुपए से अधिक का धान गायब है. प्रशासन ने बिरकोना के प्रबंधक को नोटिस भेज कर इसके बारे में जवाब तलब किया है, लेकिन अभी तक प्रबंधन की तरफ से कोई भी जवाब जिला प्रशासन को नहीं भेजा गया है यही कारण है कि आने वाले दिनों में उनके खिलाफ बड़ी कार्यवाही की बात कही जा रही है.
जानिए किस समिति में कितने का धान गायब
जिला प्रशासन की सूची परगौर करें गोदा डीह में एक करोड़ 54 लाख रुपए का धान शॉर्टेज है. भरारी समिति में 76 लाख रुपए का धान शॉर्टेज है. गतौरा में 94 लाख वेद परसदा में 46 लाख, सीपत सेवा सहकारी समिति में 66 लाख, ओखर समिति में 56 लाख, मस्तूरी में 50 लाख, मस्तूरी में 34 लाख, जैतपुरी, सोढ़ी, मानिक चोरी, चिलहटी, जयरामनगर विद्याडीह नरगोड़ा भटचौरा समेत पांच समिति में 2 करोड़ से ज्यादा का धान शॉर्टेज़ मिला है. जिला प्रशासन ने सभी समितियां को नोटिस भेज कर मामले में पूछ पड़ताल की है फिलहाल किसी ने भी जवाब नहीं भेजा है.
कोई कह रहा चूहे खा गए, तो कोई बारिश में खराब होने की कह रहा बात
बिस्तर नहीं उसकी टीम ने धान शॉर्टेज के मामले में जिन समितियां को नोटिस भेजा गया है. वहां पहुंचकर उनके प्रबंधकों से बात की है. बिरकोना में धान को बारिश में खराब होने की बात कही जा रही है. नरगोड़ा में धान को चूहे खान और अन्य तरह से खराब होने की बात सामने आ रही है. वेद परसदा और चिल्हाटी में भी इसी तरह की बात है जबकि कुछ और समितियां में प्रबंधक बता रहे हैं, कि स्थानीय लोगों ने धान चोरी कर लिया है जिसके कारण बड़ी मात्रा में धान की बर्बादी सामने आई है कुल मिलाकर घोटाला दबाने और किसी तरह की कार्यवाही से बचने के लिए प्रबंधकों ने अपने-अपने तरीके से नए नेता तरह की बात सामने लाई है.
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धान तय कर रही सरकार, लेकिन सब बेपरवाह
छत्तीसगढ़ में 80 फ़ीसदी आबादी किस है यानी खेती किसानी और धान उगाने का काम करती है और यही कारण है कि जब भी चुनाव आता है तब किसानों को साधने के लिए सत्ता और विपक्ष दोनों ही अपने-अपने तरीके से किसानों की मेहनत को समर्थन मूल्य में खरीदने के लिए इसका रेट बढ़ती है, लेकिन जब किसान अपना ध्यान सरकार को भेज देते हैं. तब सरकारी कर्मचारी इस धान की सुरक्षा को लेकर इतने बेपरवाह हो जाते हैं, कि यह सड़ने और बर्बाद होने की तरफ चला जाता है, कुल मिलाकर जो धान और किसान सत्ता तय कर रहा है उसकी सुरक्षा ही खतरे में है तो ऐसे में यह कहना कि सरकारी अमला इस मामले में पूरी तरह फेल है गलत नहीं होगा और यही कारण है कि लाखों क्विंटल धान छत्तीसगढ़ में खराब हो चुका है, जिसका कोई उपयोग नहीं है और इसकी जिम्मेदारी है, सिर्फ और सिर्फ शासन व प्रशासन की है.
सभी समितियों को भेजा नोटिस, होगी कार्यवाही
बिलासपुर जिले के सेवा सहकारी समिति की उप पंजीयक मंजू महेंद्र पांडे का कहना है कि उन्होंने धान शॉर्टेज के मामले में 17 समितियां को नोटिस भेज दिया है फिलहाल उनके जवाब का इंतजार किया जा रहा है, यदि उनका जवाब संतुष्टि पूर्ण नहीं होगा तो यह निश्चित है कि आने वाले समय में जिस तरह से एक समिति के खिलाफ एफआईआर हुई है, इस तरह सभी 17 समितियां के खिलाफ भी जुर्म दर्ज कराया जाएगा. धान शॉर्टेज होने के मामले में विधिवत कार्यवाही होगी.