Chhattisgarh: इस गांव में महिलाओं की ही चलती है! आपने देखा क्या?

Chhattisgarh: गांव के घरों की दीवारों के गेट के किनारे वार्ड क्रमांक लिखा होता है और उसके नीचे घर की महिला का नाम लिखा होता है.
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पतोरा गांव

Chhattisgarh: ऐसा माना जाता है कि भारत (India) एक पुरुष प्रधान देश है, लेकिन मौजूदा हालात में धीरे-धीरे यह स्थितियां बदलती जा रही हैं. महिलाएं भी पुरुष के मुकाबले देश के विकास में बढ़-चढ़कर हाथ बंटा रही हैं. अक्सर आपने पुरुषों के नाम से बच्चों और अपनी आसपास की जगह की पहचान देखी होगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिलाओं के कारण ही आज एक गांव की पहचान बन गई है और इसकी देशभर में चर्चा भी हो रही है.

घरों के बाहर नेम प्लेट पर महिला का नाम

दरअसल, यह गांव छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में है. इस गांव की महिलाओं ने ऐसा काम कर दिखाया है, जो एक मिशाल बन गया है. इसकी चर्चा आज पूरे छत्तीसगढ़ के साथ-साथ देशभर में हो रही है. उस गांव का नाम पतोरा है. इस गांव की पहचान अब बेटियों और महिलाओं के नाम से होने लगी है. दुर्ग जिले के पतोरा गांव को महिलाओं के गाँव के नाम से भी लोग जानने लगे हैं. महिलाओं को सक्षम और आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनके नाम से मुहिम चलाई गई, जिसमें उनके घर के सामने नेम प्लेट लगाई गई है. उस नेम प्लेट पर महिलाओं का ही नाम है. चाहें वह महिला घर की बेटी हो या घर की बहू… या फिर स्वयं घर की मुखिया, सभी घरों के सामने महिलाओं के ही नाम लिखे गए हैं.

महिलाएं ही हैं ‘मुखिया’

इस गांव में आप जैसे ही पहुंचते हैं, घरों की दीवारों के गेट के किनारे वार्ड क्रमांक लिखा होता है और उसके नीचे घर की महिला का नाम लिखा होता है और उसके नीचे गांव का नाम लिखा हुआ है. ‘पतोरा’ के हर घर के बाहर महिला के नाम का नेम प्लेट लगा है, जिससे पता चलता है कि महिलाएं ही घर की वास्तविक ‘मुखिया’ हैं. इस गांव के लोगों द्वारा यह पहल की गई है, जिससे महिलाओं को पुरुषों की तरह मान और सम्मान मिल सके. इस गांव की महिलाएं भी गांव के विकास के लिए समूह बनाकर काम कर रही हैं.

गांव के विकास में निभा रहीं अहम जिम्मेदारी

गांव पतोरा की रहने वाली भुनेश्वरी देवांगन बताती हैं कि घर के अंदर निर्णय महिलाएं लेती हैं. घर के मुखिया के रूप में भी महिला को अहम जिम्मेदारी दी जाती है. वहीं घर के बाहर उनका नाम लिखे होने से उनके नाम से ही घर को पहचाना जाता है, जिससे हम लोग वाकई गर्व महसूस करती हैं. महिलाएं खुद कहती हैं कि हमें अब ऐसा लगता है कि हमें वाकई सम्मान मिल रहा हैं.

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