Chhattisgarh: बिलासपुर के साइंस कॉलेज में लाखों रुपए की किताबें खा गए दीमक, लाइब्रेरी की हालत खराब, सालों से हो रही 1. 24 करोड़ रु की मांग
Chhattisgarh News: बिलासपुर में यहां के सबसे बड़े साइंस कॉलेज में लाइब्रेरी की हालत बेकार हो गई है. यहां छात्रों की संख्या 2500 है, लेकिन लाइब्रेरी में बैठने की जगह 25 की भी नहीं है. इसके अलावा साल 1972 की यह लाइब्रेरी और यहां की दीवारें सीपेज और सीलन का शिकार हो रही है. बारिश के कारण छत का पानी लाइब्रेरी के भीतर पहुंच रहा है, और इसके कारण किताबें खराब हो चुकी है. साथ ही इतनी पुरानी लाइब्रेरी होने के कारण यहां रखी लाखों रुपए की किताबें दीमक का चारा बन चुकी है. कुल मिलाकर स्थिति खराब है, और बच्चों के पढ़ने की व्यवस्थाएं बुरी तरह चौपट होती जा रही है. साइंस कॉलेज के पदाधिकारी ने प्रशासन से इस कॉलेज के रिनोवेशन के लिए एक करोड़ 25 लाख रुपए की मांग की है, लेकिन पिछले 3 साल बाद इसकी मंजूरी नहीं मिल सकी है और यही कारण है, कि यहां छात्रों को कई तरह की समस्या हो रही है.
कॉलेज में छात्रों का गुरु होता है लाइब्रेरी
साइंस कॉलेज में सबसे बड़ी समस्या कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है, जबकि यहां के 2500 बच्चे पढ़ाई को लेकर इसी लाइब्रेरी पर निर्भर है, और इसे समझा जा सकता है कि यहां किस तरह पढ़ाई हो रही होगी. छात्र बताते हैं, उन्हें यहां उनसे जुड़े कई सब्जेक्ट नहीं मिलते हैं. इसके चलते उन्हें दिक्कत होती आ रही है.
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ग्रंथपाल से लेकर कॉलेज प्रशासन ने लिखी है चिट्ठी
कॉलेज में ग्रंथपाल के तनुजा और कॉलेज प्रबंधन ने अपनी दिक्कत बताते हुए सबसे पहले उच्च शिक्षा विभाग के सचिव को इसकी जानकारी दी. इसके बाद प्रशासन स्तर से पैसों की मांग हुई, लेकिन आज तक कोई इसकी ओर ध्यान देने को तैयार नहीं है, और यही कारण है कि बिलासपुर के सबसे बड़े कॉलेज की स्थिति अब धीरे-धीरे खराब होती चली जा रही है. शुरुआत मिस कॉलेज को नेट की टीम ने एक ग्रेड का दर्जा दिया था, लेकिन सुविधाओं की कमी के चलते अब यह ग्रेड बी का कॉलेज बन गया है. जिसे लेकर कालेज प्रबंधन भी चिंतित है. यही कारण है कि यहां सुविधाओं की मांग लगातार उठती जा रही है.
हमने समस्या बताई है – लाइब्रेरियन
साइंस कॉलेज की लाइब्रेरियन के तनुजा का कहना है, कि उन्होंने अपनी समस्या उच्च शिक्षा और जिला प्रशासन दोनों के समक्ष रख दी है. उन्होंने बताया कि 2500 बच्चों में 25 लोगों के बैठने की जगह नहीं है, और यही कारण है कि छात्रों को कई तरह की तकलीफ हो रही है. उनके मुताबिक इसकी और शासन प्रशासन को ध्यान देना चाहिए.