Chhattisgarh: दुर्ग, भिलाई और राजनांदगांव जिलों की प्यास बुझाने वाले जलाशय सूखे, किसान हो रहे परेशान
Chhattisgarh News: बालोद जिला सहित दुर्ग, भिलाई और राजनांदगांव की प्यास बुझाने वाला जलाशय अब सूख चुका है. बारिश नहीं होने के कारण जलाशयों में पानी की मात्रा बेहद कम है. बालोद जिले की जीवनदायनी कही जाने वाली तांदुला जलाशय में महज 6 फीसदी पानी बचा हुआ है. उसमें से भी भिलाई इस्पात संयत्र से मांग आने के कारण हर दिन 23.41 क्यूमेक्स पानी छोड़ा जा रहा है, जो पानी बीएसपी के अलावा दुर्ग व भिलाई नगर निगम वासियों की भी प्यास बुझा रहा है.
प्यास बुझाने वाले जलाशय सूखे
वैसे तो बालोद जिले के खरखरा जलाशय से बीएसपी को पानी दिया जाता है लेकिन उसमें भी पानी की कमी होने के कारण इस बार तांदुला जलाशय से पानी देना पड़ रहा है. खरखरा जलाशय मेें महज 21 प्रतिशत ही पानी बचा हुआ है. जिसमें से वर्तमान में राजनांदगांव नगर निगम को प्यास बुझाने के लिए पानी दिया जा रहा है. वहीं गोंदली जलाशय के गेट की मरम्मत करने के कारण उसमें भी केवल 6 फीसदी ही पानी बचा हुआ है. एक ओर जहां बारिश नहीं होने से किसान चिंतित हैं.
सूखे जलाशय से किसान परेशान
ऐसे में किसानों की उम्मीद जिले के तीनों जलाशय से होती है लेकिन जलाशयों में पानी की मात्रा कम होने के कारण वह दिन दूर नहीं कि जलाशयों की स्थिति डेड स्टोरेज तक पहुंच जायेगी. अगर अच्छी बारिश नहीं होती है तो जलाशय डेड स्टोरेज तक पहुंच जायेगा ऐसे में जलाशयों से न पेयजल के लिए पानी दिया जा सकेगा और न ही बीएसपी और निस्तारी के लिए.
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दुर्ग जिले की जीवनदायानी नदी कहे जाने वाले शिवनाथ नदी भी अब सुख के कगार पर है हालांकि शिवनाथ नदी में तेंदुलकर और खरखरा डैम में बच्चे पानी छोड़ा गया है ताकि दुर्ग जिले के लोगों को पीने का पानी मिल सके सुनाद नदी पर अनिकेत बनाकर पंप के जरिए शहर में लगे फिल्टर हाउस तक पानी पहुंचाया जा रहा है जिस शहर के लोगों की प्यास बुझ रही है लेकिन अनिकेत के दूसरी तरफ शिवनाथ नदी पूरी तरह से सुखी है जहां-जहां अनिकेत बने हुए हैं वहां पर थोड़ा बहुत पानी है और उससे ही आसपास के शहरों या गांव तक पानी पहुंचाया जा रहा है लेकिन आने वाले दिनों में अगर अभी भी दुख संभाग में बारिश नहीं हुई तो खेती किसानी के सहित आसपास के इलाकों में पीने की पानी की किल्लत हो सकती है