Chhattisgarh: 40 साल से जुगाड़ की जमीन पर बिलासपुर का ट्रैफिक डिपार्टमेंट, जहां जरूरत नहीं वहां भी लगाया गया सिग्नल

Chhattisgarh News: आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की बिलासपुर की ट्रैफिक व्यवस्था जुगाड़ के भरोसे पर चल रही है. कहने को बिलासपुर छत्तीसगढ़ का दूसरा सबसे बड़ा शहर है लेकिन यहां के यातायात विभाग के पास ना तो खुद की जमीन है और ना ही उतने बोल और संसाधन की बिलासपुर की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधार लिया जाए.
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बिलासपुर की ट्रैफिक व्यवस्था

Chhattisgarh News: आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की बिलासपुर की ट्रैफिक व्यवस्था जुगाड़ के भरोसे पर चल रही है. कहने को बिलासपुर छत्तीसगढ़ का दूसरा सबसे बड़ा शहर है लेकिन यहां के यातायात विभाग के पास ना तो खुद की जमीन है और ना ही उतने बोल और संसाधन की बिलासपुर की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधार लिया जाए. सत्यम चौक पर जहां ट्रैफिक विभाग का छोटा सा दफ्तर बना है वह पिछले 40 साल से जुगाड़ की जमीन पर बनाया गया है. जयरामनगर के रहने वाले जयराम वाल नाम के व्यक्ति की यह जमीन पिछले 40 साल से ट्रैफिक डिपार्टमेंट यानी पुलिस के कब्जे में है और वहां से ही ट्रैफिक दफ्तर संचालित हो रहा है. यह तो रही जमीन की बात लेकिन जब साधन और संसाधन की बात होती है तब सबसे बड़ी कमी बल यानी पुलिस कर्मियों को लेकर सामने आती है. बिलासपुर की ट्रैफिक व्यवस्था को संभालने के लिए लगभग ढाई सौ पुलिस जवान और आरक्षकों की जरूरत है लेकिन मुश्किल से 149 पुलिस कर्मियों की सेटअप पर इतने बड़े बिलासपुर की ट्रैफिक व्यवस्था को कथित तौर पर संभाल जा रहा है. यही कारण है की तीज त्यौहार या दूसरे फेस्टिवल या ओकेशन के दौरान जाम में फंसना बिलासपुर के ढाई लाख लोगों के लिए परेशानी का बड़ा कारण बन गया है. सबसे ज्यादा समस्या सुबह के वक्त यानी 10:00 बजे दफ्तर और स्कूल के टाइम पर लोगों को झेलनी पड़ती है और यही हाल शाम को उसे वक्त होता है जब दफ्तर और स्कूल की छुट्टियां होती है और सड़क पर लगभग घंटे भर ट्रैफिक जाम में फंसकर लोग घर तक पहुंचाते हैं और हर दिन ट्रैफिक डिपार्टमेंट के उन अधिकारियो को कोसते हैं जिन्होंने शहर की ट्रैफिक व्यवस्था का जिम्मा लिया है.

बिलासपुर में यह है, जाम के बड़े कारण

1. जहां जरूरत नहीं थी वहां भी लगा दिए सिग्नल

बिलासपुर में ट्रैफिक सिग्नल लगाने के नाम पर एक अलग तरह का प्रयोग किया जा रहा है. लगभग 500 -500 मीटर के दायरे में शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को संभालने के लिए इसे लगवाया गया है. बिलासपुर के किसी भी क्षेत्र में पहुंचने पर सबसे ज्यादा दिक्कत इन ट्रैफिक सिगनलों को पार करने की होती है. लोग जैसे ही घर से निकलते हैं लगभग हर उन चौक चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल को प्रयोग के तौर पर लगाया गया है. जहां उतनी जगह नहीं थी जितने की ट्रैफिक सिग्नल लग गए हैं. सिप चौक महामाया चौक नेहरू चौक वेयरहाउस रोड मंदिर चौक जरहा भाटा चौक इंदु चौक मगरपारा चौक सत्यम चौक अग्रसेन चौक गांधी चौक बहतराई चौक अशोक नगर चौक यानी कुल मिलाकर यह ऐसे चौक चौराहे हैं जहां शहर में घुसने पर इन चौराहों से चांद दूरी पर ट्रैफिक सिग्नल पर करना संघर्षों जैसा साबित होता है. यही वजह है कि बिलासपुर के लोग इस चुनौती से पिछले दो-तीन सालों से जूझ रहे हैं और ट्रैफिक डिपार्टमेंट इसकी टाइमिंग को सेट करने और लोगों को राहत देने की तरफ ध्यान नहीं दे रहा है.

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2. टूटे डिवाइडर और गलत तरीके से बनी रोटरी

बिलासपुर में जाम का दूसरा सबसे बड़ा कारण टूटे-फूटे डिवाइडर और गलत तरीके से बनाई गई. वह रोटरी है जिसके कारण लोग परेशान होते हैं. बिलासपुर रायपुर रोड पर कुछ रोटरी को व्यवस्थित करने का काम जरूर किया गया है, लेकिन वहां भी जाम की स्थिति सुबह और शाम समस्या देने वाली रहती है. हाईकोर्ट रोड होने के कारण सबसे ज्यादा लोग आना-जाना भी इसी मार्ग से करते हैं, यही वजह है कि यहां सबसे ज्यादा समस्या महाराणा प्रताप चौक के पास होती है, जहां पर कहने को तो एक ब्रिज बनाया गया है, लेकिन उसका भी लाभ बिलासपुर के लोगों को ठीक तरह से नहीं मिल पा रहा है.

3. चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस का नहीं होना

बिलासपुर में आमतौर पर उन स्थानों से ट्रैफिक पुलिस गायब रहते हैं जहां उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है. बिलासपुर में कुदुदंड का इलाका, नूतन चौक अशोक नगर चौक बहतराई चौक, खमतराई चौक ऐसे ही स्पॉट है जहां पुलिस जवानों की जरूरत है लेकिन वहां कोई कर्मचारी मौजूद नहीं रहता और यही वजह है कि सरकंडा के 50000 से अधिक लोग जाम की समस्या को झेलते आ रहे हैं.

4. पुलिस कर्मियों की कमी भी समस्या

ट्रैफिक डिपार्टमेंट के आंकड़ों पर गौर करें तो सामने आता है कि बिलासपुर में न सिर्फ पुलिस कर्मियों की कमी है बल्कि इनके पास ठीक तरह से बैरिकेट्स, गलत खड़े होने वाली गाड़ियों को उठाने वाली क्रेन और ऐसे गोदाम तक नहीं है जहां इन संसाधनों को रखा जा सके कुल मिलाकर पूरा ट्रैफिक डिपार्टमेंट जुगाड़ के भरोसे पर चल रहा है और पुलिस हेडक्वार्टर से उम्मीद के अनुरूप न तो पुलिस कर्मियों की भर्ती हो रही है और ना ही साधन संसाधन उपलब्ध हो रहे हैं. यही वजह है कि बिलासपुर की ट्रैफिक व्यवस्था चरमराई हुई है जिसकी तरफ जिम्मेदार अधिकारी ध्यान देने को तैयार नहीं है.

5. दुकानदारों के पास पार्किंग नहीं

बिलासपुर में मकान और दुकानों की बसाहट अवस्थित तरीके से की गई है जिसके कारण 50 से 60 साल पुराने 1523 से अधिक दुकानदारों के पास पार्किंग की सुविधा नहीं है. शहर के बीच जब 30 त्योहारों के दौरान लोग घरों से निकलते हैं, तो उन्हें गाड़ियां खड़ी करने की जगह नहीं मिलती और वह सड़क पर ही इस पार्क कर देते हैं. यही वजह है कि पूरा शहर जाम से जूझता है, हालांकि ट्रैफिक डिपार्टमेंट का कहना है कि नगर निगम ने 67 दुकानदारों को चिन्हित किया है जिन्होंने अपनी दुकानों में पार्किंग होने के बावजूद अपने ग्राहकों को इसका इस्तेमाल होने से बचा रहे हैं, उन्हें नोटिस देने की तैयारी है जिसके बाद शहर की व्यवस्था दुरुस्त हो जाएगी.

ट्रैफिक डिपार्टमेंट के एडिशनल एसपी ने दी जानकारी

ट्रैफिक डिपार्टमेंट के एडिशनल एसपी नीरज चंद्राकर का कहना है कि बिलासपुर में ट्रैफिक को संभालना चुनौतियों से भरा है, लेकिन वे कम्युनिटी पुलिसिंग के तहत लोगों को जागरुक कर रहे हैं. जन चेतना जैसे कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है. साथ ही सड़क पर जितने पुलिस बल मौजूद हैं, जो संसाधन उपलब्ध हैं, उनके हिसाब से बेहतर ट्रैफिक व्यवस्था बनाने का काम चल रहा है जो आगे भी जारी रहेगा. उनके मुताबिक कुछ ऐसे दुकानदार जिन्होंने अपनी पार्किंग को दबा रखी है. उन्हें नोटिस देने की तैयारी है जिसके बाद शहर में ट्रैफिक की व्यवस्था और भी अच्छी हो जाएगी.

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