Valentine Day Special: पति-पत्नी के अटूट प्रेम की निशानी है छत्तीसगढ़ का यह तालाब, 300 सालों से अब तक नहीं सुखा इसका पानी
Valentine Day Special: 14 फ़रवरी को वेलेंटाइन डे है ऐसा माना जाता है कि इस दिन मोहब्बत करने वाले प्रेमी अपने प्यार का इजहार अलग-अलग अंदाज में करते हैं, ताकि उनका प्यार अटूट बंधन में बंधकर जन्मो-जन्मांतर तक याद रखा जाए. जिसकी एक बड़ी निशानी ताजमहल को मानी जाती है. इसे प्यार का प्रतीक भी माना जाता है. कुछ ऐसे ही प्यार की निशानी का प्रतीक एक तालाब को माना जाता है. जो छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थित है. दुर्ग जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर कंडरका गांव में यह तालाब स्थित है, जिसे लोग पति- पत्नी के अटूट प्रेम की निशानी के तौर पर जानते है.
प्यार के तालाब के नाम से मशहूर है इस गांव का यह तालाब
कहते हैं ना प्यार कभी मरता नहीं, बल्कि दो प्यार करने वाले इस दुनिया छोड़ जाते है, लेकिन उनका प्यार सदियों तक जिंदा रहता है. कंडरका गांव के लोगों का मानना है कि लगभग 300 साल पहले गांव में ही रहने वाले एक व्यक्ति (जिसे गांव के लोग गौटिया कहते थे) अपनी पत्नी से इतना प्यार करता था कि उसकी जिद और उसके सम्मान की रक्षा के लिए 100 एकड़ का विशाल तालाब बनवाया. यही कारण है की गांव के लोग यह कहते हैं कि उनके गांव में प्रेम का प्रतीक ताजमहल तो नहीं है लेकिन प्यार का तालाब जरूर है.
इस लिए पति ने अपने पत्नी के लिए बनवाया बड़ा तालाब
कंडरका गांव का एक व्यक्ति (जिसे गांव के लोग गौटिया कहते थे) और उसकी पत्नी का अटूट प्यार की निशानी के तौर पर पिछले 300 सालों से यह तालाब आज भी मौजूद है. गांव के लोग बताते है कि यह तालाब पति और पत्नी के अटूट प्यार की निशानी है. लगभग 300 साल पहले इस गांव में पानी का भारी अकाल पड़ा था. उस समय इस गांव मे गडरिया समुदाय लोग रहते थे. उन्हीं में से एक गौटिया का परिवार था. जो अपनी पत्नी के साथ रहता था. एक दिन उसकी पत्नी नहाने के लिए बगल के गांव चेटवा तालाब गई हुई थी. वहां नहाते समय उसी गांव का एक व्यक्ति गोटिया की पत्नी को ताना मारते हुए कहा कि यहां रोज आकर जगह घेर लेती हो. इतना ही तालाब में नहाने का शौक है तो क्यों नहीं अपने पति से कहती हो कि खुद का एक तालाब खुदवा दे तुम्हारे लिए. यह बात गोटिया की पत्नी को इतनी नागवार गुजरी की उसने अपने सिर के बाल में लगे मिट्टी को बिना धोए ही उसी हालात में घर आ गई. जब पति ने पत्नी से पूछा तो पत्नी ने बताते हुए पति से यह जिद करने लगी कि उसके लिए गांव में खुद का तालाब खुदवा दें और जिद पर अड़ गई की जब तक खुद का तालाब नहीं बनता तब तक वह बाल में लगे मिट्टी को नहीं धोएगी.
जानिए इस प्यार के तालाब को खुदवाने के पीछे की दिलचस्प कहानी
पत्नी की जिद को देखते हुए पति ने वादा कर दिया कि वह उसके लिए तालाब बनवाएगा. लेकिन अब उसे यह चिंता सताने लगी की गांव में तो अकाल पड़ा है तो पानी का स्रोत कहां से मिलेगा? और पति गांव में पानी की तलाश में निकल पड़ा. कुछ वक्त बीत जाने के बाद एक दिन पति ने देखा कि एक भैंस अपने शरीर में कीचड़ लगाकर आ रही है. पति दूसरे दिन उसे भैंस का पीछा करने लगा भैंस उसे जगह पर जाकर बैठ गई जहां हल्का पानी और कीचड़ था. उसे देखकर पति को समझ आ गया कि यहां पर पानी का स्रोत है फिर क्या था? पति ने तुरंत वहां एक तालाब खुदवा दिया. तब से लेकर आज तक यह तालाब आज भी कंडरका गांव में मौजूद है और लोग इसे प्यार का तालाब भी कहते हैं.
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300 वर्षों से अब तक नहीं सूखा है यह तालाब
गांव के लोग बताते हैं कि इस तालाब को खुदवाने में लगभग दो महीने का समय लगा था. लगभग 100 एकड़ के इस विशाल तालाब को खोदने के लिए उस समय सैकड़ों की संख्या में मजदूरों को लगवाया गया था. जब से इस तालाब का निर्माण हुआ तब से लेकर आज तक इस तालाब का पानी नही सूखा है. इस तालाब को बने लगभग 300 साल हो चुका है. गर्मी के सीजन भी यह तालाब पानी से लबालब भरा होता है. वर्तमान समय में गांव के लोग इस तालाब से खेतों की सिंचाई से लेकर निस्तारी का उपयोग करते हैं.