Chhattisgarh: क्यों विवादों में है CGPSC की परीक्षा, क्या UPSC की तर्ज पर परीक्षा होने से अभ्यर्थियों को होगा फायदा?
Chhattisgarh News: सीजीपीएससी को लेकर लगातार विवाद चल रहा है और अब सरकार ने अभ्यर्थियों का विश्वास वापस लौटाने के लिए सीजीपीएससी को यूपीएससी के तर्ज पर करने की घोषणा की है. क्या अब इससे अभ्यर्थियों को फायदा मिलेगा?
क्यों विवादों में रही CGPSC की परीक्षा
सीजीपीएससी में कई गड़बड़ियाँ हुई है, सीजीपीएससी चेयरमैन ने अपने रिश्तेदारों का चयन करवाया. सीजीपीएससी परीक्षा में सवाल गलत आए है. सवाल को डिलीट कर दिया गया. ये वो शब्द है जिसको पिछले कई सालों में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले अभियार्थियों ने सुना और महसूस किया है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकिं छत्तीसगढ़ में सीजीपीएससी की परीक्षा कई सालों से विवादित हो गई है.
वर्ष 2021 के चयन प्रक्रिया को लेकर कई गंभीर सवाल भी उठे. उस समय तत्कालीन पीएससी चैयरमैन टामन सिंह सोनवानी के ऊपर गंभीर आरोप लगे कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों का चयन करवाया. जिसके बाद सोशल मीडिया में सूची वायरल हो गई. जिसमे तत्कालीन चैयरमैन टामन सिंह सोनवानी के पुत्र, भतीजा और भांजे का सिलेक्शन होने की जानकारी सामने आई. सूची के आधार पर आपको बता दे कि चयनित सूची में सोनवानी के पुत्र का सरनेम छिपाकर डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन किया गया. वहीं सोनवानी के भतीजा का भी सरनेम छिपाकर डीएसपी के पद पर चयन किया गया. वहीं पर सोनवानी की भांजी का श्रम पदाधिकारी के पद पर चयन किया गया था.
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पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने हाई कोर्ट में दायर की थी याचिका
छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग वर्ष 2021-22 भर्ती में हुई गड़बड़ी को लेकर पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी थी. इसमें राज्य लोक सेवा आयोग के सचिव अमृत खलखो के बेटी, बेटे, मुंगेली के तत्कालीन कलेक्टर पीएएस एल्मा के बेटे, कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला के बेटे, बस्तर नक्सल आपरेशन डीआइजी की बेटी समेत ऐसे 18 लोगों की सूची पेश करते हुए आरोप लगाया गया है.
भाजपा सरकार ने लिया फैसला
बता दें कि सीजीपीएससी में गड़बड़ी को लेकर भाजपा ने विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनाया था. साथ ही इसे मोदी की गारंटी में भी शामिल किया था कि भाजपा की सरकार आने के बाद इसकी सीबीआई जांच कराई जाएगी सरकार बनते ही भाजपा ने सीजीपीएससी में हुए गड़बड़ियों की फाइल सीबीआई को सौंप दी है. वहीं आगामी समय पर होने वाले परीक्षाओं की जिम्मेदारी के लिए एक आयोग का भी गठन किया गया है. आयोग यूपीएससी के तर्ज पर कैलेंडर जारी कर सीजीपीएससी की परीक्षा करवाएगा और इस आयोग का अध्यक्ष डॉ प्रदीप जोशी को बनाया गया है. प्रदीप जोशी यूपीएससी में काम करने का लंबा अनुभव रखते हैं.
CGPSC में कई और गड़बड़ियां
करीबियों के चयन के अलावा सीजीपीएससी अपने विवादित सवालों को लेकर भी हमेशा सुर्खियों में रहता है. कई बार ऐसे सवाल पूछे जाते हैं जो किसी धर्म, समाज विशेष को हानि पहुंचने वाले भी होते हैं. इसके अलावा प्रश्न चयन करने वाले चयनकर्ता के ऊपर भी सवाल अक्सर उठते रहे हैं कि क्या आयोग के पास सक्षम व्यक्ति भी नहीं है, जो सही प्रश्न पत्र सेट कर सके. पिछले 6 सालों के इतिहास को देखें तो सीजीपीएससी में 52 से 53 प्रश्न गलत पूछे गए हैं. इसके अलावा कई प्रश्नों के उत्तर को गलत बताकर मान्य नहीं किया जाता. 2023 में 100 में से 7 प्रश्न को डिलीट कर दिया गया. 93 प्रश्न को ही मान्य किया गया था.
कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर साधा निशाना
वही छत्तीसगढ़ में मौजूद विपक्ष की भूमिका अदा कर रही कांग्रेस का कहना है कि यूपीएससी राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा होती है, और सीजीपीएससी राज्य स्तर की परीक्षा होती है. दोनों का अपना-अपना स्तर है भाजपा के सब कुछ ठीक हो जाने को लेकर कांग्रेस नेता सुबोध हरितवाल का कहना है की हम भी चाहते हैं कि सच सामने से आए और उनका ये कहना है सब ठीक हुआ हो गया है. तो उसी प्रकार ठीक हुआ होगा जब राज्यपाल ने सीजीपीएससी के अध्यक्ष को हटाया था. मुझे कुछ ज्यादा उम्मीदें नहीं है. परीक्षा के मामले में भारतीय जनता पार्टी सबसे ज्यादा बर्बाद है चाहे वह 2004 से 8 के बीच का मामला हो या 15 साल में 4 से 5 बार परीक्षा करवाए जाने को लेकर हो. चाहे पेपर लीक होने का मामला हो.
दुनिया के सबसे कठिन एग्जाम में से एक माने जाने वाले सिविल सर्विसेस के एग्जाम में हर साल 100 प्रश्नों में से सात-आठ प्रश्न डिलीट करना पड़े तो यह आयोग के कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा करता है. लेकिन देखने वाली बात ये है कि भाजपा का यूपीएससी के तर्ज पर सीजीपीएससी एग्जाम करवाने वाला फ़ैसला कितना कारगर साबित होता है.