Chhattisgarh: ‘लाल आतंक’ नहीं, लाल गुलाब बनेगा बस्तर की पहचान, गुलाब की खेती से लाखों कमा रहे किसान
Chhattisgarh: बस्तर की धरती जो अब तक लाल आतंक के लिए जानी जाती थी, वह अब लाल गुलाबों के लिए जानी जाएगी. बस्तर के उलनार इलाके में किसानों ने बड़ी ही मशक्कत के बाद गुलाब की खेती करने में सफलता हासिल की है. दरअसल बस्तर की आबोहवा गुलाब की खेती के लिए मुफीद नहीं है. ऐसे में किसानों ने वैज्ञानिक तकनीक का सहारा लिया और अब 2 एकड़ की खेती से ही किसान लाखों की कमाई कर रहे हैं.
बस्तर के किसान कर रहें गुलाब की खेती
इन दिनों वेलेंटाइन वीक चल रहा है, इस दौरान गुलाबों की मांग बढ़ जाती है. अब ये गुलाब बस्तर की वादियों से ही निकल रहे हैं. इन गुलाबों की मांग रायपुर सहित पड़ोसी राज्य के भुवनेश्वर और कटक जैसे शहरों में भी है. एग्रोनोमिस्ट सुदर्शन पाटिल बताते हैं कि बस्तर में गुलाब की खेती के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. पॉलीहाउस के अंदर आधुनिक तकनीक द्वारा गुलाबों की खेती की जा रही है. एक एकड़ में करीब 30 हजार गुलाब के पौधे लगते हैं, एक पौधा साल में 25 से 30 फूल देता है, जिनकी बाजार में थोक कीमत 4 से 5 रुपए है. एक एकड़ की खेत से ही किसान लाखों कमा रहे हैं. अब तक बस्तर में गुलाब जैसे फूल बंगलौर से आते रहे हैं, लेकिन अब बस्तर के गुलाबों की महक दूसरे शहरों में भी फैल रही है.
पिछले 4 दशक से बस्तर में लाल आतंक
आपको बता दें कि बस्तर में करीब 4 दशकों से नक्सलियों ने अपना कब्जा जमाया है. इस बीच सुरक्षाबल और नक्सलियों के बीच हजारों बार मुठभेड़ हो चुकी है. बड़ी संख्या में जवान शहीद हो चुके हैं. इसी तरह ग्रामीणों की भी हत्या का सिलसिला बस्तर में जारी है. हालांकि सीआरपीएफ कैंप के चलते नक्सलियों की दहशत पहले से कुछ कम हुई है. क्योंकि बस्तर में चप्पे-चप्पे पर अब सुरक्षा बल तैनात रहते हैं. लेकिन घने जंगल वाला बस्तर, जहां आदिवासी रहते है, उसे विकास से मीलों दूर नक्सली धकेल रहे हैं. ये समस्या दशकों से चली आ रही है. नक्सली अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए गाड़ियों को आग के हवाले कर देते हैं.