Chhattisgarh: इन शर्तों के साथ सरकार से वार्ता को तैयार नक्सली, डिप्टी सीएम ने दिया था बातचीत का ऑफर

Chhattisgarh News: पिछले कई दशकों से नक्सली बस्तर के जंगलों में कब्जा जमाए हुए हैं. नक्सली सरकार के विकास कार्यों को रोकने के लिए सड़क निर्माण कार्य को प्रभावित करते हैं.
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बस्तर के नक्सली (सोशल मीडिया)

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने कुछ दिनों पहले मीडिया से बात करते हुए कहा था कि वो नक्सलियों से वार्ता करने को तैयार हैं. गृह मंत्री ने साफ कहा था कि यदि नक्सली वार्ता करने जंगलों से बाहर नहीं आ सकते तो वो वीडियो कॉल पर भी उनसे बात कर सकते हैं. गृह मंत्री का यह बयान 1 महीने पहले 16 जनवरी को आया था और अब वार्ता की इस पेशकश पर नक्सलियों का जवाब भी सामने आ गया है. नक्सलियों ने वार्ता से पहले कुछ बड़ी शर्तें रख दी हैं.

सरकार से वार्ता के पहले नक्सलियों ने रखी ये शर्त

दरअसल नक्सलियों के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है. इस विज्ञप्ति में नक्सली प्रवक्ता ने लिखा है कि नक्सली वार्ता को तैयार तो हैं लेकिन कुछ शर्तों के साथ. प्रवक्ता ने लिखा है कि नक्सल संगठन सरकार से सीधी या फिर मोबाइल के जरिए वार्ता को तैयार है .लेकिन उससे पहले सरकार को बस्तर में चल रहे अपने सभी पुलिस ऑपरेशन बंद करने होंगे.

इतना ही नहीं नक्सली प्रवक्ता ने यह भी कहा है कि 6 महीनों के लिए सभी जवानों को कैंप और थाने में ही रखा जाए, यानि की कोई भी जवान जंगलों में सर्च ऑपरेशन पर 6 महीनों तक ना निकले. साथ ही इस दौरान कोई नया पुलिस कैंप भी उनके आधार इलाकों में स्थापित ना किया जाए. नक्सलियों ने वार्ता से पहले अपने साथियों को रिहा करने की शर्त भी रखी है. प्रवक्ता ने साफ किया है कि यदि सरकार इन न्यूनतम शर्तों को मानती है तो नक्सल संगठन उनसे सीधे या मोबाइल के जरिए वार्ता को तैयार है.

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इससे पहले हुई बातचीत रही है बेनतीजा 

नक्सली प्रवक्ता विकल्प ने अपनी प्रेस रिलीज में यह भी लिखा है की इससे पहले इस तरह की वार्ता की पेशकश बेमानी रही है. चाहे वह पहले के मुख्यमंत्री या केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा पेश की गई हो. नक्सली प्रवक्ता ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार एक और वार्ता का प्रस्ताव देती है और दूसरी ओर जंगलों में हमारे खिलाफ ऑपरेशन तेज हो रहे हैं.

बस्तर में कई दशकों से है नक्सलियों का आतंक

गौरतलब है कि पिछले कई दशकों से नक्सली बस्तर के जंगलों में कब्जा जमाए हुए हैं. नक्सली सरकार के विकास कार्यों को रोकने के लिए सड़क निर्माण कार्य को प्रभावित करते हैं. इसकी सुरक्षा में लगे जवानों को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे सैकड़ों जवानों की जान जा चुकी है. वहीं पुलिस नक्सली मुठभेड़ में सैकड़ों नक्सलियों की भी मौत हुई. ये सिलसिला लंबे समय से चल रहा है, इसमें बस्तर के आदिवासियों की भी जान जाती है. इसलिए राज्य हो या केन्द्र सरकार चाहती है कि नक्सली हथियार छोड़ दें.

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