“मैं गंगा नहा आया, ‘AAP’ यमुना में नहाएंगे…”, CM योगी के जरिए ‘इंद्रप्रस्थ’ साधने में जुटी BJP! सियासत को ऐसे समझिए
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
Delhi Election 2025: दिल्ली के सियासी बिसात पर जबरदस्त खेल चल रहा है, और इस बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एंट्री ने इसे और भी रोमांचक बना दिया है. सीएम योगी अपने अंदाज में दिल्ली के सियासी मुकाबले को नया मोड़ देने को तैयार हैं. आज दिल्ली में जब योगी आदित्यनाथ चुनाव प्रचार करने पहुंचे, तो मानो उन्होंने दिल्ली के हृदय में एक सुनामी की लहर उठा दी! योगी जी का अंदाज था बिल्कुल धमाल. पहली रैली में उन्होंने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सीधे ‘झूठ बोलने की एटीएम मशीन’ करार दे दिया. उन्होंने कहा, ” मैं तो गंगा नहा आया क्या AAP यमुना में स्नान करेंगे?”
रोहिंगिया को बसाकर रची जा रही है साजिश- सीएम योगी
सीएम योगी ने यह भी कहा कि दिल्ली में बिजली महंगी है, सड़कों पर गड्ढे हैं, और सबसे बड़ी बात – रोहिंग्या को यहां बसाकर दिल्ली में अराजकता फैलाने की साजिश हो रही है! फिर आए उनके ‘डबल इंजन सरकार’ वाले दावे – यूपी में एक मजबूत सरकार है.
योगी को दी गई है बड़ी जिम्मेदारी
बता दें कि दिल्ली में बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ का विशेष योगदान तय किया है! उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिल्ली की 14 सीटों में से प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गई है, और इनमें से एक सीट आम आदमी पार्टी के नेता अवध ओझा की है. बीजेपी ने योगी जी को पार्टी के स्टार प्रचारक के रूप में चुना है, और अब उनका मुख्य काम दिल्ली में भारी चुनावी माहौल तैयार करना है. साथ ही पूर्वांचली वोटरों को साधना है.
सीट दर सीट रणनीति
23 जनवरी: योगी जी किराड़ी, जनकपुरी और उत्तम नगर में जनसभाओं को संबोधित करेंगे.
28 जनवरी: वह मुस्तफाबाद, घोंडा, शाहदरा, पटपड़गंज में बीजेपी के प्रत्याशियों के लिए प्रचार करेंगे.
30 जनवरी: योगी जी महरौली, आर के पुरम, राजेंद्र नगर और छतरपुर में जनसभाओं के दौरान दिल्ली के लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करेंगे.
1 फरवरी: वह पालम, बिजवासन और द्वारका विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार करने वाले हैं.
क्या दिल्ली में भी हिंदुत्व को मुद्दा बनाएंगे सीएम योगी?
दिल्ली विधानसभा चुनाव में सीएम योगी के प्रचार ने सियासी तापमान को और बढ़ा दिया है. अब सवाल यह उठता है कि क्या योगी जी दिल्ली में भी वही हिंदुत्व का मुद्दा उठाएंगे, जो उन्होंने महाराष्ट्र में चुनावी माहौल को गर्म करने के लिए किया था? महाराष्ट्र में जब बीजेपी और शिवसेना यूबीटी के बीच हिंदुत्व को लेकर तनाव था, तब योगी आदित्यनाथ ने ‘हिंदुत्व का एजेंडा’ को मजबूती से उठाया था. उन्होंने अपने प्रचार के दौरान भगवान राम, भगवान शिव और अन्य हिंदू प्रतीकों का जोरदार उपयोग किया था, जिससे हिंदू वोटों का एक बड़ा हिस्सा उनके पक्ष में आ सका. कहा ये भी जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ का यह प्रसिद्ध नारा ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ इस बार दिल्ली में गूंज सकता है.
अब दिल्ली में योगी जी की चुनावी रणनीति की बात करें, तो यह सवाल उठता है कि क्या वह दिल्ली में भी वही हिंदुत्व का कार्ड खेलेंगे? दिल्ली, जहां मुस्लिम आबादी का एक बड़ा हिस्सा है और जहां आप (AAP) और कांग्रेस जैसे दल मुख्य मुकाबले में हैं. जैसा कि उन्होंने पहले भी अपने बयान में अरविंद केजरीवाल को हिंदुत्व विरोधी बताया था और दिल्ली के मुद्दों को कूड़ा, गड्ढे और रोहिंग्या जैसे विवादों से जोड़ा था, ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में योगी दिल्ली में भी अपनी सियासी ताकत को हिंदू पहचान से जोड़ने की कोशिश करेंगे. पिछले दिनों केजरीवाल ने बीजेपी को ‘रामायण’ वाला हथियार भी दे दिया था.
यह भी पढ़ें: न जाति, न जेंडर और न ही जोन…इन मुद्दों पर सबसे ज्यादा वोट करते हैं दिल्ली वाले!
मुस्लिम वोटों पर ओवैसी की नजर!
अब, दूसरी ओर असदुद्दीन ओवैसी का खेल बिल्कुल अलग है! ओवैसी ने ओखला से अपनी चुनावी शुरुआत की और सीधे शाहीन बाग और बटला हाउस जैसे हॉटस्पॉट्स पर डेरा डाल लिया. ओवैसी का जोर था – “हम दिल्ली के मुस्लिमों को एकजुट करेंगे!” उनका सीएए-एनआरसी पर फोकस बिल्कुल बिंदास है. उन्होंने दिल्ली के मुस्लिम वोट को लुभाने के लिए अपने सबसे बड़े हथियार – धार्मिक ध्रुवीकरण – को खोल दिया है.
ओवैसी का दावा है कि दिल्ली में मुसलमानों की आवाज़ उनके जरिए ही उठेगी. ओवैसी के इस ‘मुस्लिम वोट मिशन’ में कांग्रेस और AAP का साथ लेना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि ओवैसी जानते हैं कि असली सियासी खेल अब वोटों के ध्रुवीकरण का है.
सियासी फिजा
अब, दिल्ली की सियासत में एक नया रंग घुल चुका है. जहां योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व के एजेंडे के साथ मैदान में हैं, वहीं ओवैसी ने मुस्लिम वोटों को एकजुट करने का मास्टर प्लान बनाया है. यही नहीं, इन दोनों के बीच में AAP और कांग्रेस की नाकामी भी चर्चाओं का हिस्सा बनी है. ये दोनों नेता चुनावी रण में सशक्त योद्धा की तरह हैं, लेकिन एक सवाल सबके दिमाग में है – दिल्ली का क्या होगा?
दिल्ली का भविष्य?
इस बार की दिल्ली विधानसभा चुनावी जंग केवल वोटों की गिनती नहीं होगी, बल्कि यह समाज और धर्म का महा मुकाबला बनने वाला है. योगी आदित्यनाथ और ओवैसी दोनों ही अपनी-अपनी सियासी गोटियां चला रहे हैं, और अब बस देखने की बात होगी कि दिल्ली की जनता किसकी चालों को समझ पाती है! दिल्ली का दंगल अब और भी रोमांचक होने वाला है, जहां ध्रुवीकरण, वोट बैंक और सियासी कूटनीति सब कुछ मिलेगा!