10 लाख रुपये का मुचलका, जमा करना होगा पासपोर्ट, जानें किन शर्तों के साथ मनीष सिसोदिया को मिली जमानत

Manish Sisodia Bail: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अक्टूबर में हमें बताया गया था कि 6-8 महीने में मुकदमा पूरा हो सकता है. हमने कहा था कि अगर ऐसा न हुआ तो आरोपी दोबारा जमानत की मांग कर सकता है.
Manish Sisodia Bail

मनीष सिसोदिया, ( पूर्व डिप्टी सीएम, दिल्ली )

Manish Sisodia Bail: दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी नेता मनीष सिसोदिया को शुक्रवार (9 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति मामले में मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी है. अदालत ने जमानत देते हुए कुछ शर्तें भी रखी हैं. कोर्ट ने कहा है कि सिसोदिया को अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा, वह गवाहों को प्रभावित नहीं कर सकते हैं. साथ ही उन्हें हर सोमवार को जांच अधिकारी को रिपोर्ट करना होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अक्टूबर में हमें बताया गया था कि 6-8 महीने में मुकदमा पूरा हो सकता है. हमने कहा था कि अगर ऐसा न हुआ तो आरोपी दोबारा जमानत की मांग कर सकता है. आरोपी लंबे समय से जेल में है. ऐसे में हमसे PMLA सेक्शन 45 में दी गई ज़मानत की कड़ी शर्तों से रियायत की मांग की गई.

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आरोपी को दस्तावेज देखने का अधिकार- कोर्ट

मनीष सिसोदिया को जमानत देते समय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, “ED ने कहा कि आरोपी गैरजरूरी दस्तावेज मांग रहा है. सैकड़ों आवेदन दाखिल किए. रिकॉर्ड ऐसा नहीं दिखाते. ED और CBI दोनों मामलों में बहुत अधिक आवेदन दाखिल नहीं हुए इसलिए मुकदमे में देरी के लिए आरोपी को ज़िम्मेदार मानने के निचली अदालत और हाई कोर्ट के निष्कर्ष से हम सहमत नहीं हैं. आरोपी को दस्तावेज देखने का अधिकार है.”

ED ने 3 जुलाई तक जांच पूरी करने की कही थी बात

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, “ED के वकील ने 3 जुलाई तक जांच पूरी करने की बात कही थी. यह अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट को बताए गई 6-8 महीने की सीमा के परे है. इस देरी के चलते निचली अदालत में मुकदमा शुरू हो पाने का सवाल ही नहीं था. व्यक्तिगत स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है. इसका बिना उचित वजह के हनन नहीं हो सकता है. निचली अदालत और हाई कोर्ट अक्सर इस बात को नहीं समझते कि बेल को रूल और जेल को अपवाद माना जाता है. इस वजह से सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिकाओं की बड़ी संख्या आती है.”

“सिसोदिया फरार होने का अंदेशा नहीं”

सुुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया को ही दंड नहीं बनाया जाना चाहिए. मनीष सिसोदिया के देश छोड़ने की आशंका को लेकर कोर्ट ने कहा कि आरोपी का समाज मे गहरा आधार है. उसके फरार होने का अंदेशा नहीं है. निचली अदालत ज़मानत की शर्तें तय कर सकती है. सबूत मिटाने की आशंका पर भी शर्ते तय की जाएं.

इन शर्तों पर कोर्ट से मिली जमानत

  • 10-10 लाख के 2 मुचलको पर जमानत
  • जमा करना होगा पासपोर्ट
  • हर हफ्ते के सोमवार को थाने में लगानी होगी हाजिरी
  • गवाहों को प्रभावित न करें की सलाह

मामले की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने आज सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि मनीष सिसोदिया को दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रवेश करने से रोक दिया जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि हम इसकी अनुमति नहीं दे सकते हैं. स्वतंत्रता का मामला हर दिन मायने रखता है. सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाने से पहले जमानत को लेकर अब तक की गई कार्यवाही के बारे में बताया.

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