वेब सीरीज ‘IC 814’ में आतंकियों के हिंदू नामों पर विवाद, बार-बार क्यों क्रिएटिव लिबर्टी के नाम पर ‘खेला’ कर रहे हैं निर्माता?

किसी किरदार का नाम रखने का फैसला पूरी तरह से फिल्म निर्माताओं के हाथ में होता है, लेकिन भारत में कई निर्माता और निर्देशक रचनात्मक स्वतंत्रता के नाम पर लोगों, खासकर हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाते रहे हैं. ऐसे मुद्दों को सख्ती से संभालने का समय आ गया है, क्योंकि ऐसा लगता है कि यह एक आदत बनती जा रही है.
Web Series IC 814

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Web Series IC 814: फिल्म निर्माता अनुभव सिन्हा की नई वेब सीरीज ‘IC 814: द कंधार हाईजैक स्टोरी’ ने सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया है. वेब सीरीज को लेकर विवाद अपने चरम पर पहुंच गया है और अब सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इस फिल्म में विमान अपहरण करने वाले आतंकवादियों को हिंदू नाम देने के लिए नेटफ्लिक्स की कंटेंट हेड मोनिका शेरगिल को तलब किया है.

वेब सीरीज ‘IC 814: द कंधार हाईजैक स्टोरी’ दिसंबर 1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 814 के अपहरण पर आधारित है. अब इस सीरीज को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. सोशल मीडिया यूजर्स पर कुछ लोगों ने अपहरणकर्ताओं के नाम बदलकर हिंदू नाम रखने के लिए आलोचना की है. विमान का अपहरण करने वाले आतंकवादी इब्राहिम अतहर, शाहिद अख्तर सईद, गुलशन इकबाल, सनी अहमद काजी, मिस्त्री जहूर इब्राहिम और शाकिर थे, लेकिन वे विमान में ‘भोला’, ‘शंकर’, डॉक्टर, बर्गर और चीफ जैसे कोड वर्ड का इस्तेमाल करके एक-दूसरे से बात कर रहे थे. लोगों ने ‘भोला’ और ‘शंकर’ नामों पर आपत्ति जताई है और अनुभव सिन्हा पर जानबूझकर हिंदू नामों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है.

क्या कह रहे हैं लोग?

पीटीआई के अनुसार, अपहरणकर्ताओं के चित्रण ने विवाद को जन्म दिया है. दर्शकों के एक वर्ग ने अपराधियों के ‘मानवीय’ चित्रण पर आपत्ति जताई है. लोगों ने कहा कि किसी को भी इस देश के लोगों की भावनाओं के साथ खेलने का अधिकार नहीं है. भारतीय संस्कृति और सभ्यता का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए. लोगों ने कहा है कि क्या हमें किसी विदेशी व्यक्ति को हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के साथ खिलवाड़ करने देना चाहिए? फिल्म निर्माताओं को किसी चीज को गलत तरीके से चित्रित करने से पहले सोचना चाहिए.

सरकारी बयान में आतंकियों के नाम

6 जनवरी 2000 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 पर केंद्रीय गृह मंत्री के बयान में कहा गया है कि हाईजैकर्स को इब्राहिम अतहर, बहावलपुर; शाहिद अख्तर सईद, कराची; सनी अहमद काजी, कराची; मिस्त्री जहूर इब्राहिम, कराची; और शाकिर सुक्कुर के नाम से पहचाना गया था.  बयान में कहा गया है, “अपहृत विमान के यात्रियों के सामने ये अपहरणकर्ता  (1) चीफ, (2) डॉक्टर, (3) बर्गर, (4) भोला और (5) शंकर के नाम से एक दूसरे को बुला रहे थे.”

अब सवाल उठता है कि आखिर क्रिएटिव लिबर्टी के नाम पर फिल्म निर्माता सिर्फ़ हिंदुओं को ही क्यों निशाना बनाते हैं? अनुभव सिन्हा विवादों से अछूते नहीं हैं और महामारी पर आधारित उनकी पिछली फ़िल्म ‘भीड़’ को भी तथ्यों को गलत तरीके से दर्शाने के लिए विरोध का सामना करना पड़ा था. हालांकि, अनुभव अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जिन पर हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है. चुकी भारत में फिल्मों और वेब सीरीज में किरदारों के नामकरण को लेकर कोई ख़ास नियम नहीं है, ऐसे मामले सामने आए हैं जहां खलनायकों को हिंदू नाम दिए गए हैं. ऐसा निर्माता किस लिए करते हैं यह कहना मुश्किल है.

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पहले भी विवादों में घिर चुकी है कई फिल्में

बता दें कि किसी किरदार का नाम रखने का फैसला पूरी तरह से फ़िल्म निर्माताओं पर निर्भर करता है, लेकिन जब काल्पनिक फ़िल्में बनाई जाती हैं, तो कोई समस्या नहीं होती. हालांकि, ऐसी फ़िल्मों के लिए जो सच्ची घटनाओं पर आधारित होने का दावा करती हैं, उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि निर्माता तथ्यों का सम्मान करें और धार्मिक या सांप्रदायिक भावनाओं को ठेस न पहुंचाएं. निर्माता अक्सर कानूनी विवादों से बचने या किसी ख़ास समुदाय को ठेस पहुंचाने से बचने के लिए किरदारों के नाम बदलने का फ़ैसला करते हैं. लेकिन इस सीरीज़ पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया जा रहा है. यह पहली ऐसी सीरीज़ नहीं है जो विवादों में घिरी हो. पद्मावत, सेक्रेड गेम्स, पीके, तांडव, पठान, लैला, ए सूटेबल बॉय और लक्ष्मी जैसी कई फिल्मों और सीरीज पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाया गया है.

भारत में कई निर्माता और निर्देशक रचनात्मक स्वतंत्रता के नाम पर लोगों, खासकर हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाते रहे हैं. ऐसे मुद्दों को सख्ती से संभालने का समय आ गया है, क्योंकि ऐसा लगता है कि यह एक आदत बनती जा रही है.

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